पटना। बिहार को आपदा प्रबंधन के लिए केंद्र से अगले पांच साल में 7,824 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे। यह कहना है पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी का। पूर्व उपमुख्यमंत्री व सांसद सुशील कुमार मोदी ने बताया कि 15 वें वित्त आयोग ने बिहार के आपदा प्रबंधन के लिए 14 वें वित्त आयोग की 2,591 करोड़ की तुलना में चार गुना अधिक 10,432 करोड़ रुपये का प्रावधान किया हैं। आयोग की अनुशंसा पर अगले पांच साल में बिहार को आपदा प्रबंधन के लिए केन्द्र से 7,824 करोड़ रुपये प्राप्त होगा जबकि राज्यांश के तौर पर राज्य को 2,608 करोड़ रुपये खर्च करना होगा।
श्री मोदी ने कहा कि प्रावधानित राशि को आयोग ने दो हिस्सों में विभाजित किया है। प्रावधान के अनुसार राज्य आपदा प्रतिक्रिया निधि ( State Disaster Response Fund) के अन्तर्गत 80 प्रतिशत, जबकि राज्य आपदा प्रबंधन निधि ( State Disaster Mitigation Fund) के तहत 20 प्रतिशत राशि खर्च की जाएगी। बिहार को पहले की तरह ही 25 प्रतिशत राज्यांश वहन करना होगा।
इसके साथ ही एसडीआरएफ की 80 प्रतिशत राशि में से 40 प्रतिशत प्रतिक्रिया व राहत, 30 प्रतिशत बचाव एवं पुनर्सरचना तथा 10 प्रतिशत राशि तैयारी एवं क्षमता निर्माण पर खर्च की जाएगी। इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रबंधन के लिए 68,463 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसमें से राज्यों को 500 करोड़ से ज्यादा की सहायता पर संबंधित राज्य को 25 प्रतिशत राज्यांश वहन करना होगा। इसका लाभ बिहार को मिलेगा।
किसान कल्याण के लिए समर्पित है केंद्र सरकार: राजीव रंजन
केंद्र सरकार द्वारा पेश हालिया बजट गांवों और किसानों को समर्पित है। भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा हालिया पेश बजट गांव और किसानों को और मजबूत करने वाला है। किसानों की आय दोगुनी करने उद्देश्य से इस बजट में कई प्रावधान किए गये हैं। इस बजट में कृषि क्षेत्र को मिलने वाले क्रेडिट टारगेट को बढाकर 16 लाख कर दिया गया है, जिससे किसानों को अपनी जरूरतों के लिए ऋण लेने में आसानी होगी। बजट में देश की मंडियों को यानी एपीएमसी को और मजबूत करने के लिए एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से मदद का प्रावधान भी किया गया है, जिसका लाभ करोड़ों किसानों को मिलेगा।
इसके अलावा माइक्रो इरिगेशन फंड को 5000 करोड़ तक बढ़ाया जा रहा है। वहीं ऑपरेशन ग्रीन के दायरे का विस्तार भी किया जा रहा है। इसके तहत जल्दी खराब होने वाले 22 और उत्पाएदों को शामिल किया जाएगा। इसके अतिरिक्त आने वाले साल में सरकार का लक्ष्य E-NAM से एक हजार और मंडियों को जोड़ना है, जिससे किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए नए बाजार मिलेंगे।
उन्होंने कहा कि जिस एमएसपी को लेकर आज विपक्ष दुष्प्रचार कर रहा है, हकीकत में एनडीए सरकार ने उसमें ऐतिहासिक वृद्धि की है। पिछले 6 वर्षों में धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 40%, गेंहू में 41% और चने के एमएसपी में 65% की भारी भरकम वृद्धि हुई है, जो सरकार की किसानों की आय बढ़ाने के प्रति सजगता को दिखाता है। केंद्र सरकार द्वारा किए गये कामों की बदौलत आज लगभग सभी किसानों के घरों में बिजली, शौचालय, गैस सिलिंडर जैसी मूलभूत सुविधाएं पहुंच चुकी हैं। पटवन के लिए अलग फीडर की व्यवस्था की जा रही है। प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा प्रदान करने के लिए उन्हें बेहद कम प्रीमियम पर फसल बीमा योजना की सुविधा और किसान सम्मान निधि के तहत तकरीबन 10 करोड़ किसानों को 6 हजार सालाना की सहायता राशि प्रदान की जा रही है। इसके अलावा किसानों के लिए पेंशन स्कीम भी बनायी गयी है, जिसके तहत 60 वर्ष की अवधि के बाद उन्हें हर माह कम से कम 3000 रुपये प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। यूरिया की नीम कोटिंग होने से अब किसी किसान को ब्लैक में यूरिया नहीं खरीदना पड़ता। वास्तव में सरकार ने बीज से बाजार के लिए वह सारे इंतजाम किए हैं, जिससे 2022 तक किसानों की आय दोगुनी की जा सके।
यह भी पढ़ेंः किसानों के मुद्दे पर वार्ता से पहले ही राहुल गांधी ने देश छोडाः मोदी(Opens in a new browser tab)