- ध्रुव गुप्त
आज बिहार दिवस है। 1912 में 22 मार्च यानी आज ही के दिन बिहार को बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग कर पृथक राज्य बना बिहार भोजपुरी, मैथिली, मगही, अंगिका और संथाल संस्कृतियों की अनेकता में एकता की बेहतरीन मिसाल रहा है। प्राचीन काल में यह देश की सत्ता, धर्म और संस्कृति का केंद्र भी रहा।
बिहार दानवीर कर्ण के अंग साम्राज्य, प्रतापी जरासंध, बिम्बिसार, अजातशत्रु,चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक महान और प्रतापी गुप्त वंश के मगध साम्राज्य और वैशाली के विश्व के पहले गणतंत्र का साक्षी रहा है। बिहार भगवान महावीर और गुरु गोविन्द सिंह जी की जन्मभूमि, बुद्ध की कर्मभूमि और गुरु चाणक्य की जन्म तथा कर्मभूमि रहा है!
मध्यकाल में बिहार हज़रत शाह कमालुद्दीन यह्या मनेरी, हज़रत मख़दूम शेख़ शरीफुद्दीन, हज़रत मख़दूम सैयद शाह अलाउद्दीन बुखारी और बाबा आशिक शाह जैसे विख्यात सूफी संतों की कर्मभूमि रहा। बिहार में देखने, समझने, महसूस करने और संजो कर रखने लायक बहुत कुछ है। बुद्ध की ज्ञान-स्थली बोधगया का बोधिवृक्ष, मंदिर और प्राचीन अवशेष, गया के फल्गु नदी के तट पर पितरों की मोक्ष-स्थली, नालंदा स्थित प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय, राजगीर का मगध साम्राज्य और बुद्ध के काल के अवशेष, बसोकुंड की भगवान महावीर की जन्मस्थली और पावा पुरी का उनका निर्वाण-स्थल, विश्व के सबसे पहले गणतंत्र वैशाली में बुद्ध के काल के अवशेष, वैशाली, नंदनगढ़ लौरिया तथा केसरिया के बौद्ध स्तूप, भागलपुर का प्राचीन विक्रमशिला बौद्ध विश्वविद्यालय, समुद्र मंथन का केंद्र बना बांका जिले का पौराणिक मंदार पर्वत, पटना के कुम्हरार और अगमकुआं के मौर्यकाल के अवशेष, सासाराम का शेरशाह का मक़बरा, पटना का पुरातात्विक संग्रहालय, पटना साहिब का तख़्त हरमंदिर साहिब, सीतामढ़ी के पुनौरा में सीता की जन्मस्थली एवं जानकी कुंड, बाल्मीकि नगर का खूबसूरत जंगल और टाइगर रिज़र्व, दुनिया का सबसे बड़ा पशुमेला सोनपुर, नवादा का सुप्रसिद्ध ककोलत जलप्रपात, मुंगेर के हवेली खड़गपुर की सुंदर झील और भीमबांध के गर्म जल के प्राकृतिक कुंड बिहार के अनमोल धरोहर हैं।
बिहार वैसा नहीं है जैसा मीडिया उसे दिखाता रहा है। बस बिहारियों का अंदाज़ थोड़ा जुदा और तेवर ज़रा अलग हैं। इन्हें संभाल लीजिए तो बिहार का कहीं कोई ज़वाब नहीं। आईए, कभी कुछ दिन तो गुज़ारिए हमारे बिहार में!
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