पटना। बिहार में कृषि इनपुट अनुदान के लिए 578 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गयी है। आवेदन से वंचित रह गये लोग 11 मई तक आवेदन दे सकते हैं। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि एक ओर जहां राज्य सरकार वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए जारी लाक डाउन के दौरान गरीबों के राहत पैकेज पर 5 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च कर रही है, वहीं दूसरी और फरवरी और मार्च महीने में असामयिक वर्षा, ओलावृष्टि, आंधी जैसी प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए 578.42 करोड़ रुपये की स्वीकृति भी दी है। लाक डाउन के कारण मार्च महीने में हुई फसल क्षति का आवेदन देने से वंचितों के लिए आनलाइन आवेदन की तिथि 11 मई तक बढ़ा दी गई है। अप्रैल महीने में हुई क्षति की जिलाधिकारियों से रिपोर्ट मिलने के उपरांत अनुदान देने का सरकार शीघ्र निर्णय लेगी।
मोदी ने कहा कि 4-6 व 13-15 मार्च को राज्य के 23 जिलों के 196 प्रखंडों में असामयिक वर्षा, ओलावृष्टि व आंधी आदि से 3,84,016.71 हेक्टेयर में लगी फसल की क्षति की रिपोर्ट जिला पदाधिकारियों से मिली है। स्वीकृत 1,13,017 आवेदकों को कृषि इनपुट अनुदान देने के लिए सरकार राशि भेज रही हैं। जो किसान 18 अप्रैल तक आवेदन नहीं दे सके थे, उनके लिए 4 से लेकर 11 मई तक तिथि बढ़ा दी गई है।
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इसी प्रकार 23 से 26 फरवरी के बीच राज्य के 11 जिलों में असमय वर्षा,ओलापात आदि से 31929.35 हेक्टेयर में लगी फसलों की क्षति की प्रतिपूर्ति के लिए भी 60 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है। अप्रैल महीने में अलग-अलग तिथियों में विभिन्न जिलों में हुई वर्षा, ओलापात आदि से फसलों की क्षति की रिपोर्ट के आलोक में कृषि इनपुट अनुदान देने पर सरकार शीघ्र निर्णय करेगी। ज्ञातव्य है कि 33 प्रतिशत से अधिक फसल नुकसान होने की स्थिति में प्रति हेक्टेयर असिंचित क्षेत्र के लिए 6,800 रुपये और सिंचित क्षेत्र के लिए 13,500 रुपये का कृषि इनपुट अनुदान अधिकतम दो हेक्टेयर के लिए देय है।
केंद्र के फैसले का स्वागत किया
मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने लाक डाउन के दौरान राज्य से बाहर फंसे छात्रों, मजदूरों और पर्यटकों को घर लौटने की अनुमति दे दी है। बिहार इसके लिए लगातार मांग कर रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर जोर दिया था। केंद्र की अनुमति मिलने से लाखों लोग लाक डाउन के नियमों का पालन करते हुए सम्मान और समुचित सुरक्षा के साथ शीघ्र ही अपनों के बीच होंगे।
मोदी ने राजद की खिंचाई की
शासनकाल में काम के बदले जमीन लिखवाने का आदती राजद नेतृत्व कोरोना काल में जब गरीबों की मदद के लिए कुछ न कर सका, तब इसने पड़ोसी राज्य की जेल या प्रदेश के बाहर किसी अज्ञात स्थान से फैसला किया कि पार्टी के कार्यकर्ता 1 मई को मात्र दो घंटे का सामूहिक उपवास करेंगे। आम लोग रोज ही जलपान और भोजन के बीच तीन घंटे का “उपवास” रखते हैं। लोकतंत्र की झूठी दुहाई देने वाली पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेताओं के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग कर कोई फैसला नहीं किया, बल्कि दो लोगों ने एक फरमान उस पर थोप दिया। वैसे, उपवास की राजनीति में राजद का एक छोटा साथी पहले ही बाजी मार चुका है। महागठबंधन के दल जनता की सेवा करने में नहीं, बल्कि प्रचार पाने के शार्टकट खोजने में व्यस्त हैं।
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