पटनाः बिहार में निर्माण कार्यों पर इस साल 31 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च हो रहा है। यह जानकारी बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने दी। संवदेक व संबंधित प्रक्षेत्र के लोगों के साथ मुख्य सचिवालय के सभागार में आयोजित बजट पूर्व बैठक के बाद उपमुख्यमंत्री श्री मोदी ने कहा कि बिहार में चालू वित्तीय वर्ष के दौरान निर्माण कार्यों पर 31 हजार 600 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। विकास योजनाओं व निर्माण कार्यों में संवेदकों की बड़ी भूमिका है। पथ निर्माण विभाग के अन्तर्गत एस बी डी (स्टैंडर्ड बिडिंग डाक्यूमेंट) तैयार करने के लिए एक समिति गठित की गई है। टेंडर में पारदर्शिता के लिए अप्रैल से ई-टेंडरिंग का एक नया माॅड्यूल लागू किया जायेगा। बैठक में भवन निर्माण मंत्री अशोक चैधरी, पीएचईडी मंत्री विनोद नारायण झा व जल संसाधन मंत्री संजय झा भी उपस्थित थे।
श्री मोदी ने कहा कि इस साल सड़क प्रक्षेत्र में 7,023 करोड़, भवन में 4,423 करोड़, जल संसाधन में 2,662.68 करेाड़ व ऊर्जा प्रक्षेत्र में 4,583.13 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। देश में तेजी से विकास कर रहा बिहार में इस साल के 9 महीने में ही 22,146 करोड़ के कच्चा माल बाहर से मंगाए गए हैं। इनमें आयरन व स्टील 10,600 करोड़, सीमेंट 4,279 करोड़, इलेक्ट्रिक सामान 6,572 करोड़, टाइल्स व मार्बल 675 करोड़ के लाए गए हैं। बिहार में सीमेंट की खपत देश में सर्वाधिक है। अलग-अलग विभागों की जगह अब संवेदक एक ही जगह अपना निबंधन करा सकेंगे। प्राक्कलन तैयार करने के दौरान ही संवेदकों को एक चेकलिस्ट दिया जायेगा जिससे संबंधित कानूनों व क्या-क्या करना है कि उन्हें जानकारी मिल जायेगी।
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पथ निर्माण विभाग जिस तरह से तकनीकी निविदा के बाद 7 दिनों तक संवेदकों से जुड़े सारे कागजात पोर्टल पर प्रदर्शित करता है उसी तर्ज पर अन्य विभाग भी करेंगे ताकि किसी भी त्रुट्टि व निविदा रद्द होने की जानकारी मिल सके। सीएफएमएस लागू होने के बाद आॅनलाइन बिल दाखिल करने व भुगतान प्राप्त करने की पारदर्शी व्यवस्था से किसी संवेदक को अब कोषागार जाने की जरूरत नहीं है।
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बैठक में अनेक संवेदकों ने जीएसटी व खनन से जुड़ मुद्दे उठाये जिसके आलोक में शीघ्र ही संबंधित लोगों के साथ वर्कशाॅप आयोजित करने का निर्णय लिया गया। संवेदकों ने शिड्यूल आॅफ रेट, कार्य अवधि विस्तार, रिटेंशन मनी की वापसी आदि से जुड़े अनेक मुद्दों पर अपने सुझाव दिए।
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सुशील मोदी के ट्वीट
- लालू प्रसाद के राजनीतिक और जैविक उत्तराधिकारियों को एक सिपाही के खिलाफ अनुशाननात्मक कार्रवाई पर बोलने से पहले तथ्यों की जानकारी लेनी चाहिए थी और यह भी जानना चाहिए था कि उनके माता-पिता के राज में सिपाही क्या, आइएएस-आइपीएस स्तर के अधिकारियों को किस तरह अपमानित किया जाता था। राजद बताये कि उसके शासनकाल में कई योग्य और ईमानदार अफसरों ने बिहार से बाहर तबादले क्यों करा लिये थे?
- लालू प्रसाद ने एक चुनाव से पहले हाजीपुर में अपने वाहन की जांच करने वाले अफसरों को ” चप्पल मार कर सीधा” करने की धमकी सार्वजनिक रूप से दी थी। लालू-राबड़ी की संतानें यही संस्कार लेकर राजनीति में आयी हैं, इसलिए वे प्रधानमंत्री तक की चमड़ी उधेड़ने की धमकी दे चुके हैं।
- राजद ने अपने 15 साल के राज में नौकरशाही को भ्रष्ट और अक्षम बनाकर बिहार का विकास ठप कर दिया था, राज्य सरकार के कई निगमों को खोखला कर अनुत्पादक बना दिया था और निगम के कर्मचारियों को भूखमरी के कगार पर ला दिया था। उसी दल का युवा नेतृत्व बुजुर्गों के गुनाह भूल गया है या जनता को धोखा देना चाहता है।
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