बिहार में पानी ने सबको पानी-पानी कर दिया, सियासत भी गरमायी

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नीतीश जी शहर काहें भईल बा पानी-पानी, हम कुछ कहब त लाग जाई धक से...

पटना। बिहार में पानी ने सबको पानी-पानी कर दिया है। बिहार में चुनाव अगले साल होने हैं, लेकिन सियासत में गरमाहट अभी से दिखने लगी है। सियासत के केंद्र में पानी है। यह कहें कि पानी ने सबका पानी उतार दिया है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। विपक्ष का तो काम ही है सरकार के कामों की आलोचना करना, लेकिन बिहार की सियासत में नयी बात यह देखने को मिल रही है कि इस बार पानी की वजह से सत्ता में भागीदार दल ही एक दूसरे का पानी उतारने में लगे हैं।

इस साल बिहार को चार बड़ी प्राकृतिक आपदाओं से जूझना पड़ा है। अव्वल गर्मी ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली। दूसरे गर्मी के मौसम में जापानी इंसेफलाइटिस (चमकी बुखार) ने सैकड़ों बच्चों को मौत की नींद सुला दिया। फिर बाढ़ ने कहर बरपाया और अब बारिश के पानी से पटना में भारी जलभराव ने लोगों को न सिर्फ परेशान किया, बल्कि अब तरह-तरह की बीमारियों और असमय मौत का कारण भी बन रहा है। पानी पर पनपने वाले मच्छरों से डेंगू का खतरा लगातार बढ़ रहा है। पटना के अस्पताल डेंगू के मरीजों से अंटे पड़े हैं। हर दिन औसतन 50 मरीज अस्पतालें में भर्ती हो रहे हैं। अब तक यह आंकड़ा हजार के करीब पहुंच चुका है। ये आंकड़े सरकारी अस्पतालों के हैं। अनुमान है कि करीब इतने ही मरीज प्राइवेट अस्पतालों में अपना इलाज करा रहै हैं। हालात की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करनी पड़ी।

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बारिश के पानी का राजधानी के पटना के निचले इलाकों में जमाव को लेकर पारंपिरक रावण दहन कार्यक्रम में भाजपा का कोई नेता शामिल नहीं हुआ। केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव और रविशंकर प्रसाद पटना में रहते हुए कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी की कुर्सी मंच पर लगी थी, लेकिन वह भी नहीं पहुंचे। भाजपा नेताओं की दलील है कि जब जनता परेशान है और कराह रही है, वैसे में उत्सव का कोई मतलब नहीं रह जाता। उपमुख्यमंत्री की कुर्सी पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा को मुख्यमंत्री ने बिठाया। यहीं से सियासत मं। गर्माहट को हवा मिल गयी।

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हालांकि भाजपा के नेता जलजमाव के मुद्दे पर पहले से ही नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे थे। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह तो नीतीश कुमार से खार ही खाये हुए हैं। बारिश पर उनकी तल्ख बयानबाजी ने जदयू को और झकझोर दिया। हालांकि कहा जा रहा है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने गिरिराज को बयानबाजी से बचने की सलाह दी है।

इन सबके बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुप्पी साध ली है। वे अपना काम सामान्य ढंग से कर रहे हैं। जब-जब वह चुप्पी साधते हैं, कोई नया गुल खिलता रहा है। इसी चुप्पी के बीच कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को बिठाना अटकलों का आधार बन गया है।

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