पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने मंत्रियों को लेकर बार-बार फजीहत झेलनी पड़ रही है। मेवालाल चौधरी के बाद अब रामसूरत राय उभरे हैं। मेवालाल चौधरी को मंत्रिमंडल से हटा कर नीतीश कुमार ने विपक्ष के आरोपों पर मुहर लगा दी थी। अब विपक्ष ने एक और मंत्री राम सूरत राय को निशाने पर लिया है। पिछली सरकार में भी मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड में संलिप्तता मिलने पर विपक्ष के दबाव में नीतीश ने मंजू वर्मा को हटाया था।
बिहार में राजनीतिक घमासान के विषय विपक्ष रोज तलाश कर सामने ला रहा है। शराब बंदी पर सदन गरमाया है तो एक टिप्पणी को लेकर विवाद है। सदन और सदन से बाहर आरजेडी ने राज्य के भूमि सुधार मंत्री राम सूरत राय के घर में शराब के धंधे का आरोप लगा कर नीतीश कुमार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है। इससे पहले आरजेडी ने मेवा लाल चौधरी पर वीसी रहते नियुक्ति घोटाले का आरोप लगाया था। बाद में मेवालाल चौधरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंत्रमंडल से बाहर कर दिया था। आरजेडी ने अब रामसूरत राय को निशाने पर लिया है।
विधानसभा बन गयी अखाड़ा, उलझे दोनों पक्ष
राजद नेता तेजस्वी यादव का आरोप है कि मंत्री की देखरेख में चलने वाले स्कूल में शराब का करोबार होता है, जबकि बिहार में शराबबंदी है। तेजस्वी ने शराबबंदी के बावजूद शराब के कारोबार को लेकर आज राजभवन मार्च भी किया। विधानसभा में इस मुद्दे पर तो ऐसा हंगामा बरपा कि कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। दोनों पक्ष के सदस्यों ने अपशब्दों का प्रयोग तो किया ही, हाथापायी भी खूब हुई।
विधानसभा में स्वास्थ्य मंत्री को अपने महकमे के सवाल पर बोलना था। इससे पहले तेजस्वी यादव बोलने लगे और उनकी जुबान पर शराब शब्द आ गया। तेजस्वी किस संदर्भ में इसका जिक्र करना चाहते थे, यह पता चले, इसके पहले ही सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। विपक्षी भी जवाबी हंगामा करने लगे। मार-पीट, गाली-गलौज का ऐसा दौर शुरू हुआ कि अध्यक्ष सदन की कार्यवाही स्थगित कर आसन से उठ गये। इसके बाद भी हंगामा जारी रहा। बाद में मार्शल की मदद से सदस्यों को बाहर निकाला गया। बाद में कार्यवाही शुरू हुई तो विधानसभा ने अध्यक्ष ने कहा कि इस घटना को लेकर हम लज्जित है। उधर पूर्व
विधानसभा अध्यक्ष व सुशील मोदी ने अशोभनीय कहा
उपमुख्यमंत्री और सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राजद ने विधानसभा में हंगामा कर लोकतंत्र का अपमान किया है। बिहार विधानसभा में हंगामा, गाली-गलौज और बाहुबल का इस्तेमाल कर राजद ने फिर लोकतंत्र का अपमान किया। किसी मंत्री पर आरोप लगाना या कोई मुद्दा उठाना विपक्ष का अधिकार है, लेकिन सारी बात सदन के नियम और मर्यादाओं का पालन करते हुए होनी चाहिए थी। नेता विपक्ष के रूप में तेजस्वी प्रसाद यादव को अपने समर्थकों को संयम में रखना चाहिए था, जबकि वे खुद अराजकता के अगुआ बन गये। उन्होंने कहा कि जो लोग लोकतंत्र बचाओ यात्रा निकालने की नौटंकी करते रहे, उनका सदन में नितांत असंसदीय आचरण जनता देख रही है। विपक्ष के पास बिहार में कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए वे केवल चुनावी पराजय से उपजी अपनी हताशा प्रकट करने के बहाने खोजते हैं।