बिहार विधानसभा के चुनाव  इस बार तीन ध्रुवों पर होने के आसार

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बिहार में एनडीए और महागठबंधन ने काफी खिचखिच के बाद सीटों का बंटवारा कर लिया है। महागठबंधन ने घटक दलों को सीटों की संख्या के बारे में बता दिया है।
बिहार में एनडीए और महागठबंधन ने काफी खिचखिच के बाद सीटों का बंटवारा कर लिया है। महागठबंधन ने घटक दलों को सीटों की संख्या के बारे में बता दिया है।

PATNA : बिहार विधानसभा के चुनाव इस बार तीन ध्रुवों पर होने के आसार बन रहे हैं। राजद और कांग्रेस एक साथ हो सकते हैं तो महागठबंधन के घटक दलों का अलग मोर्चा। राजनीतिक हलकों में अनुमान लगाया जा रहा है कि राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस का एक ध्रुव हो सकता है तो महागठबंधन में शामिल रहे चार दलों का अलग ध्रुव बन सकता है। इन चार दलों में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हम, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा, मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी और शरद यादव की पार्टी हो सकती हैं। विपक्षी दलों के दूसरे ध्रुव में राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के साथ होने की प्रबल संभावना है।

तीसरा ध्रुव एनडीए होगा, जिसमें जेडीयू, भारतीय जनता पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी शामिल हैं। अभी तक राजद के नेतृत्व में महागठबंधन का स्वरूप खड़ा था, जिनमें छह दल स्पष्ट तौर पर शामिल थे। इन छह दलों में चार ने अपना रास्ता अलग करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।

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शुक्रवार को रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा, वीआईपी प्रमुख मुकेश साहनी, हम नेता जीतन राम मांझी और शरद यादव ने बैठ कर यह राय बनाने की कोशिश की कि महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा शरद यादव को बनाया जाना चाहिए। कल की बैठक में कांग्रेस और राजद के लोग शामिल नहीं थे। शनिवार को भी पटना के एक होटल में इन चारों दलों के प्रमुखों की बैठक हुई। इसमें भी राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस की ओर से कोई शामिल नहीं हुआ। इससे एक बात तो साफ हो गई है कि राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस अलग राह पर चल रहे हैं या अलग अवधारणा के साथ काम कर रहे हैं, लेकिन उनके साथी दल समय-समय पर वितंडा खड़ा करते रहे हैं।

हालांकि महागठबंधन के सारे घटक दल और उसके बड़े-छोटे नेता लालू प्रसाद को बेहिचक अपना नेता मानते हैं और उनसे मिलते भी रहे हैं। तेजस्वी यादव खुद को सीएम फेस के रूप में पेश करते रहे हैं। उनके इर्द-गिर्द के कुछ वरिष्ठ पार्टी नेता भी मुख्यमंत्री के रूप में तेजस्वी को ही सामने करने में लगे हुए हैं।

तेजस्वी इस बीच बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर बिहार के दौरे पर निकले हैं। दूसरी ओर महागठबंधन के वरिष्ठ नेता मुख्यमंत्री का चेहरा कौन हो, इस मंथन में जुटे हैं। पहले से भी जगदानंद सिंह जैसा राजद के कद्दावर नेता यह कहते रहे हैं कि तेजस्वी ही पार्टी के नेता हैं और वही मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे। हालांकि उनकी इस बात को पार्टी के ही दूसरे वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह एकतरफा फैसला मानते रहे हैं। उनका कहना है कि महागठबंधन के घटक दलों को मिल-बैठकर नेतृत्व की बात सलटानी चाहिए। इस अंतर्विरोध के बावजूद राजद की तमाम बैठकों में रघुवंश प्रसाद सिंह शामिल होते रहे हैं और तेजस्वी के नाम पर हामी भी भरते रहे हैं।

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