पटना। बिहार विधानसभा भवन शताब्दी वर्ष का दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसके इतिहास और प्रसंगों पर प्रकाश डाला। बिहार विधानमंडल विस्तारित भवन के सेंट्रल हॉल में कार्यक्रम हुआ। मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को इस शताब्दी वर्ष समारोह के आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा और बिहार विधान परिषद पहले संयुक्त रूप से उपसभा विधायी कहलाता था। वर्ष 1920 में बिहार विधानसभा भवन के निर्माण का कार्य शुरू हुआ और 7 फरवरी 1921 को यह भवन बनकर तैयार हो गया।
उन्होंने कहा कि शताब्दी समारोह कार्यक्रम में ‘लोकतंत्र में विधानमंडल में सदस्यों की भूमिका’ पर परामर्श किया गया। इसके पहले भी हमलोगों ने कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं। 22 मार्च को बिहार दिवस मनाया जाता है। विधायी परिषद के 100 वर्ष पूर्ण होने पर उस समय के सभापति स्व. ताराकांत झा ने बड़े पैमाने पर बिहार विधान परिषद शताब्दी समारोह कार्यक्रम आयोजित किया था। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल भी इसमें शामिल हुई थीं। इसी कार्यक्रम में व्याख्यान देने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम साहब भी आए थे। देश और देश के बाहर के प्रमुख विद्वतजन ने भी अपने व्याख्यान दिए थे। विधान परिषद की पहली बैठक 20 जनवरी 1913 को पटना कॉलेज के प्रांगण में हुई थी। विधान परिषद के सौ साल पूरे होने पर आयोजित हुए कार्यक्रम में स्व. रामाश्रय बाबू भी उपस्थित थे, जो पचास साल पहले विधान परिषद् के सदस्य बने थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने इस सेंट्रल हॉल का उद्घाटन 7 फरवरी 2016 को कराया था। इस दौरान 6 और 7 फरवरी को कई कार्यक्रम भी आयोजित किए गए थे। उन्होंने कहा कि जो भी सदस्य विधायक या विधान पार्षद के रूप में निर्वाचित होते हैं, वे सभी जनप्रतिनिधि, जनता के प्रतिनिधि हैं। लोकतंत्र लोगों का शासन है। लोग अपने बीच से एक प्रतिनिधि चुनकर शासन के लिए भेजते हैं। चाहे सत्ता पक्ष के हों या विपक्ष के, सभी जनप्रतिनिधि सरकार के अंग होते हैं। आज कई जनप्रतिनिधियों ने जो बातें कही हैं, उन सब बातों पर गौर करना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि प्रजातंत्र में जनता मालिक है। सभी विधायक जनता के प्रतिनिधि हैं और सरकार में बैठे लोग जनता के सेवक हैं। सभी विधायक सरकार के अंग हैं, चाहे पक्ष हों या विपक्ष। सदन के सदस्यों का कर्तव्य है कि अपने क्षेत्र में हो रही समस्याओं के संबंध में जानकारी लें और उनका कर्तव्य है कि वे सदन की कार्यवाही में इसे रखें और बाहर भी इसे सार्वजनिक करें। हम आप सबको आश्वस्त करते हैं कि जो भी सार्थक प्रश्न होगा, उसका जरूर समाधान किया जाएगा। जब हम विधायक और सांसद थे तो सत्ता पक्ष और विपक्ष के साथियों के साथ मिलकर सदन में लोगों के हित की बात एकजुट होकर रखते थे। सरकार का दायित्व है जनप्रतिनिधियों की बातें सुनना, और उसका समाधान करना। लोकतंत्र की मजबूती के लिए सभी जनप्रतिनिधियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। जनता की सेवा के लिए हमसब कमिटेड हैं। लोगों की समस्याओं को दूर करना हमारा कर्तव्य है। लोगों की सेवा करना ही हमारा धर्म है। जनता ने फिर से जो जिम्मेवारी दी है, हम उसे पूरा करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार विधानसभा शताब्दी वर्ष समारोह पूरे साल चलेगा। इस समारोह में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी शामिल होंगे। देशभर के लोग भी इन कार्यक्रमों से अवगत होंगे। उन्होंने कहा कि एक दिन ऐसा भी कार्यक्रम रखें, जिसमें पूर्व विधायकों, विधान पार्षदों को भी आमंत्रित किया जाए, ताकि हम उनके अनुभवों को सुनकर उनका लाभ उठा सकें। नई पीढ़ी के जनप्रतिनिधि कई बातों को भी जान सकेंगे। कोरोना वैक्सीनेशन का प्रथम फेज चल रहा है। दूसरा फेज भी जल्द शुरू होगा, जिसमें 50 वर्ष से ऊपर के लोगों और 50 वर्ष से कम उम्र वाले लोगों का मुफ्त वैक्सीनेशन किया जाएगा। बिहार में अन्य राज्यों की तुलना में कोरोना संक्रमण की दर कम है, फिर भी हमलोगों को सतर्क और सजग रहना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज कुछ सदस्यों ने चर्चा के दौरान विधानमंडल के सत्र की अवधि बढ़ाने की बात की है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विधानसभा के अध्यक्ष और विधान परिषद के कार्यकारी सभापति मिलकर निर्णय लें, कि सदन अधिक से अधिक दिनों तक चलेे, जिसमें सदस्य अधिक से अधिक सवाल सदन के समक्ष रख सकें और उसका समाधान हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बापू के नेतृत्व में चंपारण सत्याग्रह हुआ जिसका इतना प्रभाव पड़ा कि 30 वर्ष के अंदर ही भारत को आजादी मिल गई। आजादी की कहानी नई पीढ़ी को जाननी चाहिए। बापू ने कहा था कि मेरा जीवन ही मेरा संदेश है। बापू से संबंधित दो किताबों का कथावाचन सभी स्कूलों में कराया जा रहा है। शिक्षा विभाग से आग्रह है कि ये दोनों पुस्तक सभी जनप्रतिनिधियों को भी उपलब्ध कराएं। बापू ने सात सामाजिक पापों की चर्चा की है, जिसे सभी स्कूलों, सरकारी संस्थानों में और विधानमंडल भवन में भी अंकित करा दिया गया है। यह सात सामाजिक पाप कार्य हैं। इनमें सिद्धांत के बिना राजनीति, काम के बिना धन, विवेक के बिना सुख, चरित्र के बिना ज्ञान, नैतिकता के बिना व्यापार, मानवता के बिना विज्ञान तथा त्याग के बिना पूजा शामिल हैं। नई पीढ़ी को इसे आत्मसात करना चाहिए। 13 जुलाई 2019 को सभी दलों के विधायकों एवं विधान पार्षदों के साथ पर्यावरण संरक्षण को लेकर संयुक्त बैठक हुई थी। सभी लोगों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए जल-जीवन-हरियाली अभियान चलाने का निर्णय लिया। जल-जीवन-हरियाली अभियान का मतलब है जल और हरियाली है तभी जीवन सुरक्षित है। चाहे वो जीवन मनुष्य का हो अथवा पशु, पक्षी या जीव जंतु का हो। 100 वर्ष पूर्व बापू ने पर्यावरण के संबंध में काफी महत्वपूर्ण बात कही थी कि पृथ्वी सभी की जरुरतों को पूरा करने में सक्षम है, लालच को नहीं। बापू की बातों को अगर नई पीढ़ी आत्मसात कर ले तो समाज ही आगे नहीं बढ़ेगा बल्कि कई प्रकार की कुरीतियों से भी छुटकारा मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार का पुराना इतिहास है। बीच में बिहार पिछड़ गया था लेकिन फिर से आगे बढ़ रहा है। आजादी के बाद डॉ श्री कृष्ण सिंह, स्व. अनुग्रहण नारायण सिंह, जननायक कर्पूरी ठाकुर जैसी कई विभूतियों ने बिहार को आगे बढ़ाया है। बिहार आगे बढ़ रहा है और आगे बढ़ता ही रहेगा। समाज के एक बड़े तबके पर किए जा रहे अच्छे कार्यों का प्रभाव दिखता है लेकिन समाज में 10 प्रतिशत लोग गड़बड़ करने वाले भी हैं। हमलोग भले ही राजनीतिक तौर पर अलग हैं लेकिन मिल जुलकर काम करना है, लोगों की सेवा करनी है। बिहार को आगे बढ़ाना है ताकि देश भी आगे बढ़ता रहे। समाज में प्रेम, भाईचारा और सद्भाव का माहौल बनाये रखना है। कार्यक्रम की शुरुआत में विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने मुख्यमंत्री का स्वागत अंग वस्त्र, पौधा और स्मृति चिन्ह भेंटकर किया।
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