पटना। बिहार सरकार हर मोर्चे पर विफल है। प्रवासियों को लाने के लिए पहले इजाजत मांगी और जब मिली तो सरकार की सांस अंटक गई। यह आरोप कांग्रेस ने लगाया है। बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी रिसर्च विभाग एवं मैनिपेस्टो समिति के अध्यक्ष आनन्द माधव ने एक बयान जारी कर कहा है कि बिहार सरकार हर मोर्चे पर विफल होती नज़र आ रही है। अब जबकि केंद्र सरकार में लॉक डाउन के नियमों में परिवर्तन करते हुए बिहार के बाहर फंसे बिहारी मजदूरों एवं छात्रों को वापस लाने का रास्ता साफ कर दिया है तो सरकार के हाथ-पांव फूल गये हैं।
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि बाहर फंसे बिहारी मजदूरों की संख्या 17 लाख से अधिक है। हालांकि गैर सरकारी सूत्रों के हिसाब से यह संख्या 25 लाख के आसपास है। इतनें लोगों को वापस लाने के लिए सरकार के पास कोई साधन नहीं है। केंद्र सरकार के आगे हाथ पसार रहे हैं। केंद्र भी आपकी और राज्य भी आपका तो बार-बार आप हाथ क्यों पसार रहे।
यह भी पढ़ेंः कोरोना डायरी- (4) कोरोना काल नहीं, इसे द्रोहकाल कहिए जनाब !
सरकार के लिए सबसे बड़ी समस्या पहले इन्हें लाना और फिर उन्हें क्वारंटाइन करना है। यह एक बहुत बड़ी चुनौती है। यह तो स्पष्ट है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों की जांच करने में बिहार का स्वास्थ्य विभाग कहीं से सक्षम नहीं है। सच्चाई तो यह है कि बिहार में स्वास्थ्य विभाग एक मजाक बन कर रह गया है। असफलता दर असफलता की कहानी लिखता चला आ रहा है। फिर इतनी बड़ी संख्या में लोगों की जांच करना और उनका फालोअप करना कहीं से संभव नहीं दिखता।
यह भी पढ़ेंः कोरोना डायरी- हर रोज एक नया अनुभव, आती है नयी समझ
उन्होंने सीएम नीतीश कुमार से कहा कि विपक्ष की आप कोई सलाह लेना नहीं चाहते और न ही इसे प्रक्रिया में शामिल करते हैं। इसका मूल कारण शायद यही है कि सरकार को डर है कि कहीं उनकी राहत एवं अन्य कार्यों की पोल न खुल जाये। अगर आप से राज नहीं संभलता तो छोड़ दीजिए गद्दी। लगातार 15 वर्षों से सत्ता में रहने के बाद भी अगर आप जनहित की नहीं सोच सकते तो आपको गद्दी पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। बहुत हो गया सुशासन का ढकोसला। जनता सब जान चुकी है कि आप मात्र कुर्सी बाबू हैं।
यह भी पढ़ेंः कोरोना डायरीः कोरोना हमारे संस्कार-संबंधों पर हमला कर रहा है