बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं| बीज भंडारण एवं प्रसंस्करण क्षमता का शत-प्रतिशत उपयोग होगा| 35000 हे॰ में बीज उत्पादन को बढ़ाकर 2021-22 में 72576 हे॰ में बीज उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित| हर हिन्दुस्तानी की थाल में बिहार का एक व्यंजन पहुँचाना सरकार का लक्ष्य है| इस लक्ष्य को पूरा करने एवं आधुनिक कृषि में बीज की महत्वपूर्ण भूमिका है। कृषि रोड मैप प्रथम एवं द्वितीय में बीज के विकास पर विशेष बल दिया गया था। इसके फलस्वरूप धान का बीज विस्थापन दर वर्ष 2005-06 में मात्र 11 प्रतिशत था, जो वर्ष 2016-17 में बढ़कर 42 प्रतिशत से अधिक हो गया। विगत 10 वर्षो में राज्य में बीज उत्पादन का क्षेत्र 10 गुणा से अधिक बढ़ा है। वर्ष 2005-06 में राज्य में बीज उत्पादन का रकबा लगभग 3000 हे0 था जो हाल के वर्षों में 35000 हे0 तक हो गया है। कृषि रोड मैप में धान का बीज विस्थापन दर का लक्ष्य 50 प्रतिशत रखा गया था, जिसके विरूद्ध विगत 5 वर्षो की औसत उपलब्धि 41.3 प्रतिशत रहीं। इसी प्रकार गेहूँ, मक्का, दलहन, तेलहन के लिए निर्धारित लक्ष्य 35, 90, 30, 70 प्रतिशत के विरूद्ध उपलब्धि क्रमशः 24.89, 86.09, 7.70, 54.86 प्रतिशत रहा। पिछले 10 वर्षो में राज्य में बीज उत्पादन क्षेत्र में दस गुणा वृद्धि के बावजूद राज्य बीज उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर नहीं हो सका है। अन्य राज्यों में भी दलहन बीज का उत्पादन पर्याप्त नहीं है। राष्ट्रीय बीज एजेंसियों के माध्यम से भी दलहनी बीजों की उपलब्धता नहीं हो पाती है।
राज्य में बीज विस्थापन दर में उल्लेखनीय प्रगति कृषि रोड मैप के प्रयासों की सफलता है, फिर भी नयी एवं गुणवत्ता वाले बीजों के प्रचलन को बढ़ाने की चुनौती बनी हुई है। राज्य में नये फसल प्रभेदों के प्रमाणित बीज के उपयोग को बढ़ावा देने हेतु बीज वितरण योजनान्तर्गत धान एवं गेहूं के 10 वर्षो के अंदर के अधिसूचित प्रभेद पर ही वर्ष 2014-15 से अनुदान अनुमान्य किया गया है।
बीज उत्पादन/भंडारण /प्रसंस्करण क्षमता का शत प्रतिशत उपयोग के मद्देनजर पहले एवं दूसरे कृषि रोड मैप अवधि में बिहार राज्य बीज निगम के स्तर पर बीज भंडारण एवं प्रसंस्करण की क्षमता का सृजन किया गया है। विभाग द्वारा आगामी वर्षो में राज्य को बीज उत्पादन, प्रसंस्करण एवं भंडारण की व्यवस्था सुदृढ़ की जायेगी। इसके अन्तर्गत राज्य में बीज उत्पादन, भंडारण, प्रसंस्करण और विपणन में स्थानीय निजी उद्यमियों को सहायता दी जायेगी। किसानों को प्रजनक/आधार बीज क्रय पर मूल्य का 50 प्रतिशत सहायता, 1000 मे0 टन क्षमता के बीज गोदाम निर्माण पर 50 प्रतिशत की सहायता, बीज प्रसंस्करण संयंत्र पर 50 प्रतिशत की सहायता, बीज उत्पादन के पंजीकरण एवं निरीक्षण शुल्क में 50 प्रतिशत की सहायता देने संबंधित कार्यक्रम कार्यान्वित किये जायेंगे।
बीज वितरण का कार्यक्रम भी सुनिश्चित किया गया है| सभी फसलों यथा धान, गेहॅू, दलहनी, तेलहनी के राई/सरसों, सोयाबीन एवं मूंगफली, सूर्यमुखी के संकर बीज, राजमा, ज्वार, बाजरा एवं जौ फसलों के बीज पर भी अनुदान दिया जायेगा। निजी क्षेत्र के उद्यमियों को बीज वितरण कार्यक्रम में भी शामिल करने पर विचार किया जायेगा, जिससे निजी उद्यमियों को अपने नये प्रभेद के बीज को किसानों के बीच प्रचारित करने में सहायता मिल सके।
राज्य में बढ़ती जनसंख्या को कुपोषण से मुक्ति हेतु पोषकयुक्त भोजन उपलब्ध हो इसके लिए आवश्यक है कि फसलों के वैसे प्रभेद जिनमें विटामिन एवं मिनरल की मात्रा को अनुसंधान द्वारा बढ़ाया गया है, ऐसे प्रभेदों को प्रोत्साहित करने से संबंधित योजना बनाया जायेगा। मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार कार्यक्रम के अधीन धान, गेहूँ, अरहर, चना एवं मसूर के साथ-साथ अन्य फसलों को भी शामिल किया जायेगा।
बिहार राज्य बीज निगम के पास वर्ष 2017-18 के अन्त तक बीज भण्डारण क्षमता बढ़कर 8.72 लाख क्वीं0 हो जायेगी। इसी प्रकार वर्ष 2017-18 के अन्त तक बीज प्रसंस्करण इकाई की क्षमता बढ़कर 8.3 लाख क्वीं0 हो जायेगी। इस भण्डारण क्षमता के पूर्ण उपयोग के लिए बीज उत्पादन को बढ़ाया जायेगा। बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाये जायेंगे। बीज संचालन की क्षमता बढ़ाकर 10 लाख क्वींटल करने का लक्ष्य है। इसके लिए बिहार राज्य बीज निगम किसानों को बीज उत्पादन हेतु प्रशिक्षित करेगी। नवीनतम प्रभेदों के बीज की बिक्री नहीं होने तथा बीज बैंक की स्थापना में निगम को नुकसान होने पर राज्य सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति की जायेगी|
निजी बीज उत्पादक कम्पनियों के माध्यम से भी बीज का उत्पादन किया जाएगा| बिहार राज्य बीज निगम लि0 अपनी आमदनी को बढाने के लिए बीज उत्पादक कम्पनियों/संस्थानों/समूहों से एकरारनामा कर सब्जी, हाईब्रीड मक्का एवं हाईब्रीड धान एवं अन्य बीजों को राज्य के विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत उपलब्ध करायेगी। निगम के बीज उत्पादक किसानों के खेतों से धान की कटाई, जो नवम्बर एवं दिसम्बर माह में होती है, के उपरान्त प्राप्त रॉ बीज में नमी 17-20 प्रतिशत तक रहती है। इस समस्या के समाधान के लिए बिहार राज्य बीज निगम वांछित संख्या में मोबाईल सीड ड्रायर की व्यवस्था की जायेगी। इन सीड ड्रायर का उपयोग कटनी के उपरान्त किसानों से प्राप्त बीजों की नमी को कम कर गोदामों में प्रसंस्करण हेतु भण्डारण किया जायेगा।
बिहार राज्य बीज निगम अपने गोदामों में बीजो की आर्द्रता नियंत्रण हेतु संयंत्र की स्थापना करेगी। इन गोदामों का उपयोग आकस्मिक फसल योजनाओं के लिए बीज भण्डारण हेतु बीज बैंक के रूप में भी किया जायेगा। कुदरा, हाजीपुर, भागलपुर, बेगूसराय, बिहटा इत्यादि प्रसंस्करण ईकाईयों मे निगम के स्तर पर विभिन्न चरणों में बीजों की गुणवत्ता की जाँच हेतु बीज विशलेषण प्रयोगशाला की स्थापना की जायेगी ताकि बीजों की गुणवत्ता का सतत अनुश्रवण हो सके।