बेगूसराय की बेटी ने BPSC में 59वां रैंक लाकर जिले का बढ़ाया मान

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बेगूसराय (नंद किशोर सिंह)।  मन में अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो, साथ ही कठिन मेहनत और लगन के साथ कोई भी छात्र अपनी पढ़ाई करता हो तो एक दिन उसके जीवन में खुशियां कदम को स्वंय आकर चूमती हैं। यह साबित कर दिखाया मंझौल पंचायत के एक गांव निवासी व मंझौल एमएस इंटर कॉलेज के प्रधान लिपिक अनिल कुमार सिंह की प्रथम पुत्री अन्नू कुमारी ने। उसने BPSC की फाइनल परीक्षा में 736 उत्तीर्ण हुए छात्रों में 59 वां रैंक प्राप्त न सिर्फ अपने जिले का नाम रोशन किया, बल्कि बिहार में यह रैंक प्राप्त कर बिहार प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी के पद पर उसका चयन भी हो गया है।

अन्नू के रिजल्ट की खबर बीती रात मिलते ही परिवारों में खुशी की लहर दौड़ गई। इंटर कॉलेज के प्रधान लिपिक अनिल कुमार सिंह, उनकी पत्नी सुनीता देवी तथा उनके घर पर भाई अनुराग कुमार को  ग्रामीण लोगों से लेकर जिला स्तर के सैकड़ों लोगों ने फोन कर उन्हें बधाई देनी शुरू कर दी।

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अन्नू के पिता को अपनी बेटी के BPSC में उत्तीर्ण होने की सूचना मिलने के बाद उनकी खुशी के आंसू दोनों आंखों  से छलक पड़े। उन्होंने बताया कि जिले के हर घर में ईश्वर हमारे अन्नू  बेटी जैसी बेटी को जन्म दे। जिससे कि बेटी के पिता को  एक दिन पढ़-लिखकर इसी तरह अपने माता पिता और परिवार का नाम रोशन करने वाली मेरी अन्नू जैसी बेटी मिले।

अन्नु कुमारी की तीन बहनें और एक भाई हैं। दूसरी बहन का नाम संध्या कुमारी है, जिसने हिन्दी विषय से ऑनर्स परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है। तीसरी बहन शालिनी कुमारी अर्थशास्त्र से एमए है। चौथी बहन प्रगति कुमारी बिहार पुलिस में कांस्टेबल के पद पर बेतिया जिला में कार्यरत है। एक भाई अनुराग कुमार है, जो बी.टेक करने के बाद इंजीनियर है।

पूरे परिवार में खुशी का माहौल है। अन्नू का रिजल्ट आने के बाद इस संदर्भ में उनसे सफलता के श्रेय के बारे में पूछने पर  उन्होंने बताया कि इस मुकाम तक पहुंचाने का पूरा श्रेय हम अपने माता-पिता अनिल कुमार सिंह और सुनीता देवी के अलावा अपने सभी गुरुजनों को देते हैं। उन्होंने बताया कि मैंने प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के रूप में जनता की सेवा करने का बहुत पहले व्रत ली थी और बचपन से मेरी यह दृढ़ इच्छा भी थी कि मैं एक दिन पढ़-लिखकर प्रशासनिक  पदाधिकारी बनकर अपने देश के निस्सहाय और गरीब लोगों की सेवा करूंगी। ईश्वर की कृपा से  मुझे वर्ष 2018 में यह सफलता मिल गयी। मैं अपने संदेश में जिले के छात्र-छात्राओं को यह कहना चाहूंगी कि कठिन परिश्रम और लगन के साथ-साथ छात्रों में कुछ कर गुजरने का ठोस इरादा होना चाहिए। तभी उनको एक दिन यह सफलता मिलेगी। इसलिए छात्रों को हमेशा अपनी पढ़ाई के प्रति ईमानदारी रखनी चाहिए और धैर्यपूर्वक पढ़ाई करनी चाहिए।

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