रांची। भाजपा उपवास का ढोंग करती है, मजदूरों का दर्द वह क्या जानेगी। यह कहना है झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के प्रवक्ता डॉ तनुज खत्री का। उन्होंने कहा कि जब देश के विभिन्न राज्यों में फंसे झारखंड के मजदूर बेबसी के मारे सड़कों पर पैदल भूखे-प्यासे लौट रहे थे, तब प्रदेश भाजपा उपवास का ढोंग कर रही थी। उन्होंने पूछा है कि क्या झारखंड के लोग देश के नागरिक नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि क्या कभी प्रदेश भाजपा के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या अपने केंद्रीय नेताओं से यह कहा कि मजदूरों को लाने के लिए फ्री में ट्रेनें चलायी जाएं। जो भाजपा पूंजीपतियों का 68,000 करोड़ रुपये माफ करने में जरा भी देर नहीं लगाती और कोरोना संकट के समय में भी सार्वजनिक संस्थाओं के निजीकरण के लिए एड़ी-चोटी एक कर रही हो, उसे धरती पुत्र हेमंत सोरेन की संवेदनशीलता कैसे दिखायी देगी।
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उनकी आंखों पर तो राजनीति का चश्मा चढ़ा हुआ है। यदि केंद्र ने लॉक डाउन की घोषणा करते समय कुछ वक्त दिया होता तो मजदूरों को, चाहे वे देश के किसी भी राज्य के क्यों न हों, ये दिन देखने नहीं पड़ते। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तो देश के पहले सीएम थे, जिन्होंने प्रवासी मजदूरों के लिए ट्रेनें चलाने की मांग की।
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उन्होंने संकट की इस घड़ी में कभी राजनीति नहीं की। भाजपा की पूर्व की सरकार ने महागठबंधन की सरकार को खाली खजानेवाला राज्य सौंपा, पर संकट की इस घड़ी में सीमित संसाधनों के बावजूद राज्य सरकार मजदूरों के हित में हर संभव कदम उठा रही है। भाजपा मजदूरों की बेबसी का इस्तेमाल राजनीति की रोटियां सेंकने के लिए कर रही है और यह किसी से छुपा नहीं है।
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