भानु प्रताप शाही ने पलामू प्रमंडल के लिए 5000 करोड़ का पैकेज मांगा

0
602
विपक्ष की भूमिका अब पहले जैसी नहीं। पूरी तरह बदल गयी है। सत्ता पक्ष के हर फैसले की आलोचना करना विपक्ष की भूमिका में शामिल हो गया है।
विपक्ष की भूमिका अब पहले जैसी नहीं। पूरी तरह बदल गयी है। सत्ता पक्ष के हर फैसले की आलोचना करना विपक्ष की भूमिका में शामिल हो गया है।

 भानु प्रताप शाही ने पलामू प्रमंडल के लिए 5000 करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांगा है। भानु प्रताप शाही भवनाथपुर से बीजेपी एमएलए हैं। पैकेज की मांग करते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है। आप भी पढ़ें, उन्होंने पत्र में क्या लिखा है। इसे हम हूबहू दे रहे हैः

बीजेपी विधायक भानु प्रताप शाही द्वारा सीएम हेमंत सोरेन को लिखे पत्र की प्रति
बीजेपी विधायक भानु प्रताप शाही द्वारा सीएम हेमंत सोरेन को लिखे पत्र की प्रति

“मुख्यमंत्री जी, कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी जारी है। आप आंकड़ों पर गौर कर लें तो सर्वाधिक प्रवासी मजदूरों की संख्या पलामू प्रमंडल के गढ़वा, पलामू और लातेहार से ही जुडी हुई है। ऐसे में यह भी चिंतन-मनन का विषय है कि आखिर पलामू से इतने बडे पैमाने नर पलायन क्यों?

- Advertisement -

इस बिंदु पर गौर करने से यह स्पष्ट होता है कि एकीकृत बिहार के जमाने में यह इलाका राजनीतिक तौर पर उपेक्षा  का शिकार रहा, यदि पूर्व में इच्छाशक्ति के साथ काम होता तो आज पलामू प्रमंडल की ऐसी स्थिति नही होती। यहां के मजदूरों को रोजगार के लिए दूसरी जगह पर जाना नहीं पड़ता, बल्कि यह इलाका इस स्थिति में होता जब बडी संख्या में यहां रोजगार का सृजन होता और दूसरे इलाके के लोग भी यहां आकर रोजगार  पाते, क्योंकि प्रकृति ने यहां पर्याप्त मात्रा में खनिज संपदा दी है। यदि उसका सही तरीके से दोहन होता तो यह इलाका औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित हो सकता था।

अभी भवनाथपुर तुलसीदामर खदान, पलामू का सोकरा ग्रेफाइट, भवनाथपुर का डोलोमाइट जैसे कई खदान बंद पड़े है। जहाँ  तक मेरी समझ है, यही कारण  पलामू से पलायन के मूल में  है। यहां रोजगार का अभाव के साथ-साथ पटवन  की समुचित व्यवस्था भी नही  है खेत पानी के बिना प्यासे हैं। इस कारण मेहनतकश किसान होने के बाद भी पर्याप्त सुविधा के अभाव में खेती नही कर पाते।

यह भी पढ़ेंः राहत पैकेज में कोरोना से बाहर निकलकर आगे की सोच दिखती है

पलामू प्रमंडल को सुखाड़ और अकाल का स्थायी घर भी कहा जाता है। कोरोना के कारण उत्पन्न संकट में विशेषज्ञ भी यह मान रहे हैं कि इस संकट से निकलने का बडा रास्ता खेती और मजदूरी पर टिका है। इस पर फोकस कर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की गयी है। पलामू प्रमंडल मे वह सारी संभावना मौजूद है, जो वर्तमान संकट से उबरने के लिए राज्य को पर्याप्त मदद कर सकता है।

यह भी पढ़ेंः मध्य वर्ग पर पड़ी है कोरोना की असल मार, समझिए कैसे….

इसलिए यह जरूरी है कि पलामू प्रमंडल के विकास पर राज्य सरकार का विशेष  फोकस होना चाहिए। मेरा मानना है कि पलामू प्रमंडल के समग्र विकास के बिना झारखंड का अपेक्षित विकास नहीं हो सकता। इसलिए विकास के मामले में सरकार को दलगत और राजनीतिक भावना से उपर उठकर  सोचने की जरूरत है। इसलिए यह  जरूरी है कि राज्य सरकार पलामू  प्रमंडल को विशेष पैकेज दे और यह पैकेज कम से कम 5000 करोड़ का विशेष पैकेज हो  तथा जितनी भी भूमिगत खदानें प्रमंडल में हैं, उन्हें तत्काल खोला जाये, ताकि  प्रमंडल  के  खेत को पानी और रोज़गार उपलब्ध हो सके। आपका यह कदम राज्य हित मे होगा। आशा है आप इसे गंभीरता से लेंगे।”

यह भी पढ़ेंः कोरोना के रंग-ढंग से और भी परेशानियां कर रहीं इंतजार

- Advertisement -