पटना। भारत सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने त्मंरियों-अधिकारियों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से विचार-विमर्श किया। विचार-विमर्श में वित्त विभाग, कृषि विभाग, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, उद्योग विभाग एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी शामिल थे।
कृषि तथा पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सचिव एन0 सरवन कुमार ने एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर, वोकल फॉर लोकल, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, नेशनल एनिमल डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (एन0ए0डी0सी0पी0), एनिमल हसबेंड्री इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड, प्रमोशन ऑफ हर्बल कल्टिवेशन, मधुमक्खी पालन, टी0ओ0पी0 (टोमैटो, ओनियन, पोटैटो) शेष सभी सब्जियों एवं फलों का एक्सपेंशन, एमेंडमेंट टू इसेंशियल कमोडिटी एक्ट, एग्रीकल्चर मार्केटिंग रिफॉर्मस, एग्रीकल्चर प्रोड्यूस प्राइस एंड क्वालिटी एश्योरेंस के अंतर्गत कृषि क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने, प्रसंस्करण एवं मार्केटिंग क्षेत्र को बेहतर बनाने के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया।
ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने मनरेगा के अंतर्गत 40 हजार करोड़ रुपए के अतिरिक्त फंड के संबंध में तथा रोजगार बढ़ाने के लिए अधिक कार्य दिवस का निर्माण एवं प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के संबंध में जानकारी दी। दूसरी ओर उद्योग विभाग के सचिव नर्मदेश्वर लाल ने इकोनामिक मेजर्स फॉर एम0एस0एम0ई0 के संबंध में प्रस्तुतीकरण के माध्यम से जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने विमर्श के क्रम में अधिकारियों को निर्देश दिया कि हमारा उद्देश्य है कि हर हिन्दुस्तानी के थाल में बिहार का एक व्यंजन हो। मखाना इसे पूरा कर सकता है। इससे कृषि रोडमैप में निर्धारित लक्ष्य भी पूरा हो सकेगा। उन्होंने कहा कि मखाना एवं मखाना उत्पादों को बढ़ावा देने पर बल दें। मखाना का उत्पादन क्षेत्र बढ़ायें, उसकी प्रोसेसिंग एवं मखाना उत्पादों के लिये बाजार को बढ़ावा दें। इसकी ब्रांडिंग भी करें। मखाना का व्यापार बिहार से ही हो, इसकी योजना बनायें। इससे बिहार की अर्थव्यवस्था भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि मखाना, शाही लीची एवं शहद की बिहार में असीम संभावनाएं हैं। मखाना के साथ-साथ शाही लीची, चिनिया केला, आम, फल उत्पादन, मेंथा तेल, खस तेल, कतरनी चावल एवं अन्य कृषि उत्पादों के क्लस्टर को भी बढ़ावा दें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि उत्पादों के लिये बाजार की उपलब्धता के साथ-साथ पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट पर भी ध्यान देने की जरूरत है। गंगा नदी के तट पर बनाये गये जैविक खेती कोरिडोर में मेडिसिनल प्लांट के उत्पादन को बढ़ावा दें। लेमन ग्रास, खस तथा मेंथा के उत्पादन एवं उत्पादन क्षेत्र को बढ़ाया जाये। उन्होंने कहा कि राजगीर पहाड़ियों पर काफी अधिक संख्या में मेडिसिनल प्लांट हैं। इसका अध्ययन करवायें तथा इनके उपयोग के लिये संस्थागत व्यवस्था की जाये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में शहद उत्पादन की असीम संभावनाएं हैं। इसके लिये शहद की प्रोसेसिंग यूनिट तथा मार्केटिंग एवं ब्रांड वैल्यू पर विशेष बल दिया जाये। उन्होंने कहा कि शहद उत्पादन को सहकारी संस्थानों से लिंक किया जाये। शहद से संबंधित वैल्यू एडेड उत्पादों यथा रायल जेली, बी0 वैक्स, पौलेन, वेनम आदि, जिनके संबंध में कृषि रोडमैप में भी बल दिया गया है, को बढ़ावा देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार एग्रीकल्चर मार्केटिंग रिफार्म लागू करने जा रही है। बिहार में 2006 से ही ए0पी0एम0सी0 खत्म कर दी गयी है। भारत सरकार अब उस माडल को अपना रही है, यह अच्छी बात है। मुख्यमंत्री ने जीविका द्वारा की जा रही कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देने तथा उसका विस्तार करने का भी निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि बड़े एवं छोटे पशुओं यथा गाय, भैंस, बकरी, भेंड, सुअर का शत प्रतिशत एफ0एम0डी0 टीकाकरण किया जाये। इस संदर्भ में समुचित कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज का अधिक से अधिक लाभ कृषकों एवं श्रमिकों को हो सके, इसके लिये अनिवार्य कार्रवाई करें। अगर आवश्यकता हो तो प्रावधानों में भी सुधार पर विचार करें। उन्होंने मनरेगा में अधिकतम मानव दिवस की सीमा को 100 से 200 करने तथा स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों के बीमा से संबंधित तिथि विस्तार हेतु मुख्य सचिव को केन्द्र से अनुरोध करने का निर्देश दिया।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार के बाहर से आ रहे श्रमिकों के लिये उनकी स्किल मैपिंग के अनुसार रोजगार सृजन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये। इसके लिये राज्य में संचालित इकाइयों में श्रमिकों को उनके स्किल के अनुरूप रोजगार उपलब्ध कराया जाये। साथ ही नयी निर्माण इकाइयों की स्थापना की दिशा में भी समुचित कार्रवाई की जाये। नये उद्योगों को लगाने में सरकार पूरी मदद करेगी। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि स्किल सर्वे के अंतर्गत श्रमिकों के स्किल की विवरणी के अनुरूप क्या-क्या नये उद्योग लगाये जा सकते हैं, क्या मदद दी जा सकती है, इस पर विचार करें। आवश्यकता होने पर नीतियों में सुधार किया जा सकता है। इसके लिये वित्त विभाग, उद्योग विभाग, श्रम विभाग एवं अन्य संबंधित विभागों के सचिवों की एक राज्यस्तरीय टास्क फोर्स बनायी जानी चाहिए, जो इस संबंध में सुझाव देगी।
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बैठक में उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, मुख्य सचिव दीपक कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार एवं मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह उपस्थित थे, जबकि वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कृषि तथा पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री प्रेम कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, उद्योग मंत्री श्याम रजक, सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह, प्रधान सचिव वित्त एस0 सिद्धार्थ, ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार चैधरी, उद्योग विभाग के सचिव नर्मदेश्वर लाल, कृषि तथा पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सचिव एन0 सरवन कुमार तथा सहकारिता सचिव वंदना प्रेयसी जुड़ी थीं।
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