- अनूप नारायण सिंह
भिखारी ठाकुर महेंद्र मिश्र की परंपरा को आगे बढ़ाने में सारण प्रमंडल के कलाकार लगे हुए हैं। गीत-गवनई से लेकर अभिनय के क्षेत्र में भी वर्तमान समय में दर्जनों युवा आशा की किरण जला रहे हैं। खुद के दम पर अपने सपनों को साकार करते जीवटता की जीती जागती मिसाल हैं भोजपुरी सिनेमा के स्टार राजेश रौशन उर्फ नररमुंडा स्वामी।
मूल रूप से सारण जिले के गड़खा प्रखंड के बंगारी के सुरेंद्र चौक के रहने वाले राजेश रौशन उर्फ नरमुंडा स्वामी की शिक्षा-दीक्षा गड़खा के देवरहवा बाबा श्रीधर दास कालेज रामपुर व छपरा जय प्रकाश विश्वविद्यालय में हुई, जहां से उनकी स्नातक की पढ़ाई पूरी हुई। राजेश रौशन के पिता आपने गाव में व्यवसाय करते हैं ओर अपनी परिवार का खर्चा चलाते हैं। गांव-देहात में अपने पिता के कामकाज की वजह से गाव में ही ज्यादा समय व्यतीत हुआ राजेश रौशन उर्फ नारमुंडा स्वामी का। उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका मुकाम सिनेमा का रुपहला पर्दा होगा।
वे बताते हैं कि पढ़ाई खत्म होने के बाद उन्होंने 2004 से नुक्कड़ नाटक व रंगमंच की तरफ रुख किया, पर उन्हें कालिदास रंगालय से भगा दिया गया कि आप अभिनय नहीं कर सकते। यह बात उनके दिल को छू गयी थी। उन्होंने हार नहीं मानी तथा दूसरे सेक्टर में अपनी किस्मत आजमाने लगे। उसके बाद राजेश रौशन उर्फ नरमुंडा स्वामी ने बतौर आलम राज, खेसारीलाल यादव, दीपक दिलदार, अजित आनंद, प्रमोद प्रेमी, छोटू छलिया, बादल बवाली के साथ स्टेज शो शुरू किया। वह स्टेज पर इन कलाकारों के आमने सामने खड़े होकर कलाकारों एवं गायको की नक़ल उतारते थे। उनके दोस्तों ने सुना तो उन्होंने कहा कि तुम विलन की नकल कर लेते हो। उसके बाद इन्होंने प्रेमांशु सिंह के निर्देशन में बनी भोजपुरी पारिवारिक फिल्म में विलन की अपार सफलता के बाद लगभग दर्जनों फिल्मों के सभी बड़े कलाकारों की मिमिक्री करनी शुरू कर दी। साथ ही साथ स्टेज शो का हिस्सा बनने लगे।
राजेश तब किशोर कुमार के गाने भी गाते थे। साथ ही साथ लोगों को हंसाने का काम भी करते। लेकिन दिल में कहीं न कहीं अभिनय करने की कसक लगी हुई थी। इसी दौरान पवन सिंह की सबसे डुपर सुपर हिट भोजपुरी फिल्म सत्या की शूटिंग हो रही थी। किसी माध्यम से वह फिल्म के निर्देशक से मिले। इन्हें एक सीन करने का मौका मिला। उसके बाद राजेश रौशन उर्फ नारमुंडा स्वामी ने मुंबई के तरफ रूख किया, पर सब कुछ इतना आसान नहीं था। कोई काम देना नहीं चाहता था। जो परिचित थे उन्होंने भरोसा नहीं दिखाया। इसी बीच वह पटना वापस आकर स्टेज शो करने लगे। इसी दौरान पवन सिंह की गदर फिल्म में विलन का एक किरदार निभाने का एक ओर मौका मिला।
इनके आदर्श एवं गुरु हैं डायमंड स्टार गुड्डू रंगीला जिनसे बहुत कुछ सीखने का अवसर इन्हें मिला। वह कहते हैं कि इस कामयाबी का श्रेय उनको ही देना चाहूंगा। फिर राजेश रौशन उर्फ नारमुंडा स्वामी दो-चार फिल्म में विलेन के रोल के बाद वह मुंबई चले गए। छोटी-मोटी भूमिकाएं करते करते रहे। उन्होंने खुद एक नये रूप और पहचान को जन्म दे दिया और आज वह भोजपुरी जगत की एक जानी मानी हस्ती ओर विलन के रूप में भोजपुरिया रुपहले पर्दे पर स्थापित कलाकार हैं। खेसारी लाल यादव, विनय आनंद, कृष्णा अभिषेक से लेकर पवन सिंह सुदीप पांडे बाली जैसे कलाकारों के साथ इन्होंने स्क्रीन शेयर किया। राजेश रौशन कहते हैं कि भोजपुरी सिनेमा में वैसे तो बहुत हैं, पर दर्शकों ने जिस हिसाब से इन्हें प्यार और सम्मान दिया, उससे वे अभिभूत हैं और कुछ नया करने की कोशिश में लगे रहते हैं। उनकी हालिया प्रदर्शित फिल्म है नागदेव खेसारी लाल यादव। नरमुंडा स्वामी इन दिनों अपनी दो फिल्मों की शूटिंग कर रहे हैं। इनकी फिल्म है साली मिलल बा दहेज में व दहेज दानव। दर्जनभर से ज्यादा फिल्म में अभिनय कर चुके है। राजेश रौशन उर्फ नारमुंडा स्वामी का कहना है कि दिल में कसक है कि भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान मिले। भोजपुरी फिल्मों को भी मल्टीप्लेक्स में दिखाया जाए। राज्य सरकारों द्वारा भोजपुरी सिनेमा को संरक्षण प्रदान किया जाए। साफ-सुथरी और पारिवारिक फिल्में बनें। कलाकारों को भी सरकार द्वारा संरक्षण मिले।
यह भी पढ़ेंः मिथिला के सौराठ मेले का सांस्कृतिक सफर चीन के शंघाई तक
अपनी फिल्मी बन्धन, गदर, सत्या, वांटेड, नागदेव, लागल रह ए राजा जी-2, बेदर्दी तेरे प्यार में, ट्रेलर लांच हो चुकी है। वही बेनाम बादशाह,जैसी नई फिल्मों की ट्रेलरलर लांच हो चुकी है और अगले महीने प्रदर्शन को तैयार है।
यह भी पढ़ेंः अपने ही घर में बेगाने हो जाने की मजबूरी का नाम है घुसपैठ