ममता को कभी बांग्लादेशी घुसपैठिये लगते थे, अब भारतीय नागरिक हैं

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ममता बनर्जी को कभी बांग्लादेशी घुसपैठिये नजर आते थे और अब उनके वोटर बन चुके उन घुसपैठियों को वे भारतीय नागरिक का सर्टिफिकेट बांट रही हैं। फर्क इतना ही है कि तब वे वाम मोरचा के वोट बैंक थे और अब ममता बनर्जी की पार्टी को वोट देते हैं। वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर का मानना है कि हमारे नेता वोट के लिए कुछ भी करेंगे। उन्होंने कई उदाहरणों से इसे स्पष्ट किया है।

जब अवैध घुसपैठियों के वोट वाम मोरचा को मिलते थे

4 अगस्त, 2005 को ममता बनर्जी ने लोक सभा के स्पीकर के टेबल पर कागज का पुलिंदा फेंका। उसमें अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को  मतदाता बनाए जाने के सबूत थे। उनके नाम गैरकानूनी तरीके से मतदाता सूची में शामिल करा दिए गए थे। ममता ने कहा कि घुसपैठ की समस्या राज्य में महा विपत्ति बन चुकी है। इन घुसपैठियों के वोट का लाभ वाम मोर्चा उठा रहा है। उन्होंने  उस पर सदन में चर्चा की मांग की। चर्चा की अनुमति न मिलने पर ममता ने सदन की सदस्यता  से इस्तीफा भी दे दिया था। चूंकि एक प्रारूप में विधिवत तरीके से इस्तीफा तैयार नहीं था, इसलिए उसे मंजूर नहीं किया गया।

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जब घुसपैठियों के वोट ममता बनर्जी को मिलने लगे 3 मार्च 2020। पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि जो भी बांग्लादेश से यहां आए हैं, बंगाल में रह रहे हैं, चुनाव में वोट देते रहे हैं, वे सभी भारतीय नागरिक हैं। इससे पहले सीएए, एनपीआर और एनआरसी के विरोध में ममता ने कहा कि इसे लागू करने पर गृह युद्ध हो जाएगा।

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हिन्दुओं को त्योहार की इमाम से लेनी पड़ती है अनुमति

पिछले दिनों पश्चिम बंगाल से भाजपा सांसद ने संसद में कहा कि पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों में हिंदुओं को त्योहार मनाने के लिए अब स्थानीय इमाम से अनुमति लेनी पड़ती है।

कई साल पहले इंडियन एक्सप्रेस में एक खबर छपी थी। उसमें एक गांव की कहानी थी। वह गांव बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों के कारण मुस्लिम बहुल बन चुका था। वहां हिंदू लड़कियां हाफ पैंट पहन कर हाकी खेला करती  थीं। पर, मुसलमानों ने उनसे कहा कि फुल पैंट पहन कर ही खेल सकती हो। खेल रुक गया है।

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यह बात तब की है, जब बुद्धदेव भट्टाचार्य मुख्य मंत्री थे। उनका एक बयान जनसत्ता में छपा। उन्होंने कहा था कि घुसपैठियों के कारण सात जिलों में सामान्य प्रशासन चलाना मुश्किल हो गया है। बाद में उन्होंने उस बयान का खुद ही खंडन कर दिया। पता चला कि पार्टी हाईकमान के दबाव में कह दिया कि मैंने वैसा कुछ कहा ही नहीं था। हालांकि कई दशक पहले मांगने पर वाम मोरचा सरकार ने केंद्र  सरकार को सूचित किया था कि 40 लाख अवैध बांग्लादेशी पश्चिम बंगाल में रह रहे हैं। अनुमान लगाइए कि अब 2020 में वह संख्या कितनी बढ़ चुकी होगी!

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