मलिकाइन के पातीः रांड़ माड़े पर उतान

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पांव लागीं मलिकार। कई दिन से राउरा के पाती पठावे के सोचत रहनी हां, बाकिर कवनो मिलते ना रहले हां सन लिखे वाला। आज पांड़े बाबा के बड़की बेटिया आइल रहुवे बायन बांटे त ओकरे से निहोरा क के लिखवा लिहवीं। पांड़े बाबा के पतोहिया आइल बिया। ओकरे इहां से गाजा-खाजा आइल रहल हा। ए मलिकार, रउआ के एगो बात पूछे के रहल हा। काल्ह पांड़े बाबा खबर कागज पढ़ के सुनावत रहवीं। कवन एगो बेमारी चलल बा, जवन केहू के हो जाता त जान लेइये के छोड़त बा। बतावत रहवीं पांड़े बाबा कि बादुर (चमगादड़ के मलिकाइन बादुर लिखले बाड़ी) एह बेमारी के फइलावत बाड़े सन। हम त एतना डेराइल बानी मलिकार कि बगइचा में लड़कवन के जाये नइखीं देत। ओइजा बर के पेड़ पर झुंड के झुंड बादुर टंगाइल रहे ले सन। सगरी आम आ लीची लोग खा गइल। केहू देखनीहार नइखे। पांड़े बाबा कहत रहवीं कि गाछ के कवनो फल खइला से एह बेमारी के खतरा बा। मझिला कई दिन से कहत बा कि माई रे, लीची खाये के मन करत बा। डरे हम लीची नइखीं मंगावत। हम त एतना डेराइल बानी मलिकार कि अतवार भूखल रहवीं त केरा (केला) ना कीनवीं। का जाने ओहू में ई बेमरिया समाइल होखे। लउकी (कद्दू) उसीन के दूध से खा लिहवीं। रउरा त आम-लीची से बेसी परेम ह। रउरो मत खायेब।

ए मलिकार, अपना जवार के एगो खबर रउरा ना मालूम होई। खवाजेपुर वाली फुआ के बड़की बेटिया के बड़ा गजन ओकरा घरवा वाला करत बाड़े सन। बेचारी अइसही सवांग के ना रहला से मुरझाइल रहे ले। राम जी जवानिये में ओकरा के रांड़ बना दिहले। परसों गइल रहवीं थावे मंदिर त ओही जा ऊ भेंटा गउवे। बड़ी रोवत रहुवे। बतावत रहुवे कि अरुआ-बसिया खाये के ससुई देले। मरबो करे ले। हमरा लगे पांच सौ रुपिया रहुवे त ओकरा के दे दिहवीं। पुरनिया लोग ठीके कहले बा कि रांड़ माड़े पर उतान। आज एतने, बाकी बाद में।

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राउर

मलिकाइन

 

 

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