मलिकाइन के पाती- ई कुरटाइन सेंटर का कहाला मलिकार

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किरिया पर जाई, माई-बाप मर जाई...। मलिकाइन के पाती ढेर दिन पर आइल बा। पाती के शुरुआत अबकी एही लाइन से मलिकाइन कइले बाड़ी।
किरिया पर जाई, माई-बाप मर जाई...। मलिकाइन के पाती ढेर दिन पर आइल बा। पाती के शुरुआत अबकी एही लाइन से मलिकाइन कइले बाड़ी।

मलिकाइन के पाती आइल बा। पाती में में एगो बड़हन सवाल पूछले बाड़ी। पूछले बाड़ी- ई कुरटाइन का ह मलिका। ऊ क्वारंटाइन के कुरटाइन लिखले बाड़ी। एही बहाने बिहार में क्वारंटाइन सेंटर के हाल के बयान उनका पाती में बा। रउरो पढ़ीं, ऊ का लिखले बाड़ीः

पांव लागी मलिकार। केतना दिन हो गइल रउरा के पाती पठवले। सोचनी हां कि आज अपना बड़के से लिखवाईं। दोसरा के आस केतना दिन ले कइल जा सकेला। एह घरी त केहू से केहू के भेंटे भइल मुसकिल बा। पहिले पांड़े बाबा के नतिनिया सांझे-भोरे अंगना में झुमेल लगवले रहत रहली हा सन। जब से ई उफरपरना कोरना आइल बा, ओकनियो के आइल छोड़ दिहली सन।

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ई अइसन लोक डाउन भइल बा कि गंउवों के लोगवा दोसरा के दुअरा नइखे जात। खाली बोरहियां पांड़े बाबा के दुआर पर दू-तीन जाना आवे ला लोग। उहां के कवन दूना एगो तेल दू बून ओह लोगन के हाथ पर डाल के मलवाईले। सभका कह देले बानी, कि जेकरा आवे के होखे, ऊ मुंह पर गमछा लपेट के आवे। बोली से ना चीन्हल जाव त चेहरा से सभे एके खानी लउकेला। हाथ मलवला के बाद उहां के कुरसी फरका-फरका लगवा दीले। ओही पर बइठ के सभे पढ़ेला। पहिले त चाहो (चाय) मिलत रहल हा, एह घरी उहो बंद बा। आज भोरे उहां के दुआर पर कवनो कुरटाइन सेंटर (मलिकाइन क्वारंटाइन के कुरटाइन लिखले बाड़ी) के बतकही होत रहल हा।

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ई कुरटाइन सेंटर का होला मलिकार। पांड़े बाबा बतावत रहवीं कि बहवासूं लोग के ओइजा राखल जाता। टरेन से उतरते ओह लोग के गांव के जरी कवनो इसकूल भा पंचायत घर के में भेज दिहल जाता। चौदह दिन ले लोग के ओही में रहे के बा। ओकरा बाद लोग अपना घरे जाई। पांड़े बाबा खबर कागज पढ़ के बतावत रहुवीं कि कुरपटाइन सेंटर के हाल अइसन बा कि जे ओइमें रहता, ओकर खाना घर के लोग पहुंचावता। सरकार कहतिया कि खाये-रहे, नहाये-धोए के सगरी इंतजाम ऊ कइले बिया। हमरा त एगो बात पर अइसन हंसी अउवे कि मुंह पर लुगा दाब के खिखियाये के पर गउवे। पांड़े बाबा कहुवीं कि कवनो कुरटाइन सेंटर पर मेहरारुन के पहिरे के खातिर सरकार लुंगी दिहले रहे।

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जोगिरहां के जगन मुखिया के भउजइया एक दिन फोन कइले रहे। रउरा त जानते होखब मलिकार कि ऊ हमार लरिकाईं के सखी हीय। बतावत रहुवे कि सरकार के कहला पर मुखिया जी कुरटाइन सेंटर खोलवा दिहले। अबहीं ले घर से हजारन रुपिया लाग गइल आ सरकार से चवन्नी ना भेंटाइल। सरकार कह दिहले बिया कि मुखिया लोग के पइसा भेजाइल बा। ई अइसन हल्ला भाइल बा कि रोज सबेरे-सांझ के कहो, दुपहरिया-तिजहरिया में झमेल लागल रहता। केहू चाउर मांगे आवता त केहू का कपड़ा चाहीं।

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एगो बात बतावल त हम भुवाइये गइल रहनी हां मलिकार। बता दे तानी, ना त कहेब कि मलिकाइन बतवली ना। दुपहरियवा में बरौली वाला बागी बाबा के फोन आइल रहल हा। उहां के बतावत रहुवीं कि एही लोक डाउन में बेटा बियह दिहनी। बड़का के घसेटउआ मोबाइलवा पर फोटुओ भेजले रहुवीं। वर-कनियां मुह पर जाबी पहिरले रहुवन सन। बतावत रहुवीं कि दसे आदमी बाराती गइल रहे। बताईं मलिकार कि उहां के एतना बड़हन समाज बा, बाकिर अइसन ई कोरना कइलस कि दसे आदमी बाराती गइल। तीन आदमी त उहें के घर के, बाप, बेटा आ दुलहा। दूगो पंडित-हजाम। असली बाराती त पांचे आदमी नू भइले। उहां के त अपना प-पहनाइयो के ना नेवत पवले होखेब। एही से बूझी ना कि रउरा से केतना उहां के पटेला, बाकिर रउरो के ना पूछनी।

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गां-जवार के बाकी हाल ठीक बा। काल्ह ईद रहुवे। राउर संघतिया इसलाम मियां फोन कइले रहुवन। कहत रहुवन कि ए मलिकाइन भउजी, अबकी ईद नीक नइखे लागत। पहिले सभे जुटत रहल हा। रउरा के बड़ी इयाद करत रहुवन। कहत रहुवन कि जबले इयार हमार घरे रहले, कवनो ईद पर हाजिर हो जास। उनका बाहर गइला के बादो हम हर साल सेवई पहुंचावत रहनी हां। बाकिर ई कोरना आ लोक डाउन से मन एतना डेराइल बा कि अबकी ना पहुंचा पवनी। अम्मा कहले बाड़ी कि लोक डाउन ओराला त जा के बाजार से कीन के पहुंचा अइह। चलीं, पाती लमहर हो गइल। बड़का कहता कि हाथ दुखा गइल, अब रहे दे। बाकी अगिला पाती में।

राउरे, मलिकाइन

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