- विशद कुमार
मनिका (लातेहार)। महिला किसानों की मेहनत ने रंग दिखाना शुरू कर दिया है। इस बार आम की फसल ने लातेहार जिले के मनिका प्रखंड की उन महिलाओं को खास बना दिया है। अगर मन में कुछ करनी इच्छा हो और सही मार्गदर्शन मिल जाये तो सफलता पक्के तौर पर मिलती है। ऐसा कर दिखाया है लातेहार जिले मनिका प्रखंड अंतर्गत जान्हो की 9 महिला किसानों ने।
बंजर जमीन से सोना उगाने की कहानी को इन महिलाओं ने चरितार्थ किया है। मनरेगा द्वारा संचालित बिरसा मुंडा आम बागवानी योजना के तहत उन्हें यह मौका मिला, जिसका फायदा उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से उठाना शुरू कर दिया है। मनिका प्रखंड के जान्हो गांव के बैइर टांड टोला की रहने वाली रीता देवी, सारो देवी, शकुंतला देवी, करमी देवी, आसपतिया देवी, सुमीता देवी, रजनी देवी, मुनी देवी, यशोदा देवी सहित अन्य महिलाओं ने यह ठानी है कि पलायान करने से बेहतर है मनरेगा के साथ जुड़ कर अपने गांव में ही काम किया जाये।
सीएफटी द्वारा गठित मजदूर ग्रुप की महिलाओं ने बैठक कर मनरेगा से जुड़कर काम करने का प्रस्ताव दिया। उसी समय बिरसा मुंडा आम बागवानी का पायलट कार्यक्रम मनिका के दुन्दू और उच्चवाबाल में चल रहा था। इन महिला मनरेगा मजदूरों को वहां का भ्रमण कराया गया। कुछ किसानों को गुमला की आम बागवानी के पैच भी दिखाये गये। इससे प्रेरित होकर इस गांव की महिला मनरेगा मजदूरों ने ठाना कि हमलोग अपने गांव में आम बागवानी ही करेंगे।
2016 में आयोजित ग्राम सभा ने जान्हो गांव के बैरा टांड में आम बागवानी के लिए प्रस्ताव पारित किया। योजना पारित होने के बाद सीएफटी को कार्यान्वयन करने वाली संस्था मल्टी आर्ट एसोसिएशन और एसपीडब्लूडी की तकनीकी टीम ने उन्हें मदद की और प्रशिक्षण दिया। परिणामस्वरूप 9 एकड़ में इस गांव की 9 महिलाओं ने अपने कंधे पर बिरसा मुंडा आम बगवानी को सफल करने की जवाबदेही लेते हुए काम की शुरूआत की।
महिलाओं और उस गांव के मनरेगा मजदूर, प्रखंड व जिला प्रशासन तथा संस्था ने इन महिलाओं के मिशन को पूरा करने के लिये मदद शुरू की। आम बागवानी के बाद सभी किसानों को इंटर क्रापिंग के लिए प्लांडू और बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में संस्था के द्वारा भ्रमण कराया गया तथा प्रशिक्षण दिया गया। उसके बाद इस पैच के लगभग सभी लाभुकों ने सब्जी की खेती शुरू की। इससे प्रत्येक वर्ष 70 से 80 हजार रुपये तक आमदनी शुरू हुई, जिससे इन महिला किसानों का हौसला और बढ़ा।
अच्छी बात यह रही कि सब्जी पूरी तरह आर्गेनिक थी। इसके साथ ही साथ इस पैच में जुलाई 2019 से पालमारोजा घास की खेती भी शुरू हुई और घास की पेराई कर लगभग 2 लाख रुपये तक का पालमारोजा का तेल बेचा गया है। इसके साथ ही साथ इन महिला किसानों ने ओल की खेती भी शुरू की है। जान्हो आम बागवानी पैच में आज के दिन करीब 15 से 20 क्विंटल फसल देने वाली आम्रपाली और मल्लिका प्राजाति के आम पौधे लगे हुए हैं। आम की फसल इतनी अच्छी है कि लगता है, पौधे की टहनियां टूट जायेंगी। मनिका प्रखंड अंतर्गत जान्हो गाँव में इन महिला किसानों ने निराश झारखंडी ग्रामीण समुदाय को आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने का रास्ता दिखाया है। उस टोले में एक भी घर ऐसा नहीं है, जहाँ आज से 6 साल पहले रोजी रोजगार के लिए बाहर नहीं जाते रहे हों। दिल्ली, सूरत, पंजाब, बनारस सभी इलाके में पलायन के दर्द को बहुत करीब से महसूस करते हैं ये लोग। अपने घरों, खेतों के आस-पास खेती, बागवानी, पशुपालन, वृक्षारोपण जैसे कार्यों को इस कदर योजनाबद्द तरीके से अब लोग करने लगे हैं कि अपनी धरती माता को सिंगारने के लिए साल के 365 दिन भी इनके लिए कम पड़ रहे हैं।
यह भी पढ़ेंः कोरोना संक्रमण शहरों से बढ़ा अब गांवों की ओर……