मीडिया का शिक्षक हो तो पुष्पेन्द्र पाल सिंह जैसा

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मीडिया का शिक्षक हो तो पुष्पेंद्रपाल सिंह जैसा। पुष्पेंद्रपाल सिंह पिछले पांच वर्षों से मध्य प्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग के उपक्रम मध्यप्रदेश माध्यम के प्रधान संपादक हैं।
मीडिया का शिक्षक हो तो पुष्पेंद्रपाल सिंह जैसा। पुष्पेंद्रपाल सिंह पिछले पांच वर्षों से मध्य प्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग के उपक्रम मध्यप्रदेश माध्यम के प्रधान संपादक हैं।

मीडिया का शिक्षक हो तो पुष्पेंद्रपाल सिंह जैसा। पुष्पेंद्रपाल सिंह पिछले पांच वर्षों से मध्य प्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग के उपक्रम मध्यप्रदेश माध्यम के प्रधान संपादक हैं।

  • कृपाशंकर चौबे
कृपाशंकर चौबे
कृपाशंकर चौबे

पुष्पेंद्रपाल सिंह पिछले पांच वर्षों से मध्य प्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग के उपक्रम मध्यप्रदेश माध्यम के प्रधान संपादक हैं। वे मध्यप्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग के साप्ताहिक समाचार पत्र ‘रोज़गार और निर्माण’ के संपादक भी हैं। यह अखबार मध्य प्रदेश का रोजगार समाचार है। पूरे देश में रोजगार समाचार की जो प्रतिष्ठा है, वही प्रतिष्ठा मध्य प्रदेश में ‘रोज़गार और निर्माण’ की है।

‘रोज़गार और निर्माण’ युवाओं की जरूरतों को पूरा करने का एक लोकप्रिय प्रकाशन है, जिसकी लगभग एक लाख प्रतियां हर सप्ताह प्रकाशित होती हैं। युवाओं के अलावा हर ग्राम पंचायत तक अपनी पहुँच के कारण यह मध्य प्रदेश शासन की गतिविधियों की जानकारी लेने वाला प्रामाणिक दस्तावेज भी है। बेरोजगार तथा अच्छे रोजगार अवसरों के लिए प्रयासरत युवाओं को जानकारी प्रदान करने और युवाओं को अपने पसंद के कैरियर के प्रति जागरूक बनाने में इस अखबार ने महती भूमिका निभाई है।

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भोपाल से निकलनेवाले इस साप्ताहिक अखबार में केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, स्वायत्त निकायों, विश्वविद्यालयों से संबंधित नौकरियों, व्यावसायिक पाठयक्रमों की प्रवेश सूचनाओं, संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग तथा अन्य सामान्य भर्ती निकायों जैसे संगठनों की परीक्षा सूचनाओं, परिणामों तथा विभिन्न स्तर के कैरियर प्रोत्साहन अवसरों की जानकारी को सुरुचिपूर्ण ढंग से प्रकाशित किया जाता है।

इस समाचार पत्र की एक संपादकीय में पुष्पेंद्रजी ने लिखा है, “समाज में शिक्षक कई तरह के होते हैं। एक शिक्षक किताबी ज्ञान देता है, एक आपको उसका विस्तार समझाता है, एक स्वयं कार्य करके आपको दिखाता है और एक आपको रास्ता दिखाकर उस पर चलने के लिए स्वतंत्र छोड़ देता है ताकि आप अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व निर्माण कर सकें। यह आखिरी तरह के गुण वाला शिक्षक हमेशा आपके अंदर प्रेरणा के रूप में जीवित रहता है। यही वह शिक्षक है जो प्रत्येक परिस्थिति में आपको संभालता है। यही शिक्षक सदैव आपको प्रोत्साहित करता है। जब कभी भी आपको ऐसा लगता है कि आपकी गति धीमी हो रही है, वह शिक्षक उसे तेज कर देता है। आपके अंदर नई ऊर्जा और उमंग पैदा करते हुए धूमिल दिशा को साफ कर देता है।” मेरी राय में स्वयं पुष्पेंद्रपाल सिंह इसी तरह के शिक्षक रहे हैं।

मध्य प्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग में आने के पहले उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में 21 वर्षों तक अध्यापन किया। पहले लेक्चरर रहे, फिर रीडर, उसके बाद एसोसिएट प्रोफेसर। वहां पत्रकारिता विभाग में वे वर्ष 2005 से 2015 तक अध्यक्ष रहे। वे कई वर्षों तक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पत्रकारिता स्नातक पाठ्यक्रम के समन्वयक रहे। वे अपने विद्यार्थियों में एक जिंदादिल इंसान के तौर पर बहुत जनप्रिय रहे हैं। इतने जनप्रिय शिक्षक रहे हैं कि पांच साल पहले तक भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के सामने से रात-बिरात गुजरने पर विद्यार्थियों के साथ बैठकर ठहाके लगाते अक्सर वे मिल जाते थे। यही नहीं, उसके बाद हर विद्यार्थी को जिम्मेदारी से अपनी गाड़ी में उनके घर तक सुरक्षित छोड़ भी आते थे। वे त्यौहार भी अपने विद्यार्थियों के साथ मनाते रहे हैं। पुष्पेंद्र ऐसे शिक्षक रहे हैं जो केवल किताबें पढ़ना नहीं सिखाता, वरन बिंदास जीवन जीने के हुनर भी सिखाता है। इसीलिए वे शिक्षक से अधिक मित्र और फिर बाबा बन गए। मुझे तो लगता है कि मीडिया शिक्षक हो तो पुष्पेंद्र जैसा जो विद्यार्थी के हर सुख-दुख में साथ दे और कैरियर के लिए काउंसलिंग भी करे।

पुष्पेंद्र देश के प्रमुख पत्र- पत्रिकाओं में मीडिया एवं सामाजिक मुद्दों पर लिखते रहे हैं। वे भारतीय प्रेस संस्थान की पत्रिका‘विदुर’, लखनऊ विश्विद्यालय की शोध पत्रिका‘संचार श्री’, राजस्थान वि.वि. की पत्रिका ‘कम्यूनिकेशन टुडे’, लोहिया अध्यन केंद्र नागपुर की पत्रिका ‘सामान्यजन’, माधवराव सप्रे संग्रहालय की पत्रिका ‘आंचलिक पत्रकार’ के साथ दैनिक भास्कर, लोकमत समाचार, नवभारत, दैनिक जागरण, नई दुनिया समाचार पत्रों में अक्सर लिखते रहे हैं। उन्होंने वर्ष 2011 में विज्ञान भारती की पत्रिका‘साइंस इंडिया’ का संपादन किया। इधर प्रकाशित हुई उनकी तीन किताबें ‘जनसंपर्कः बदलते आयाम’, ‘पर्यटन लेखन’, ‘देश समाज और गांधी’ चर्चा में रही हैं।

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