मुम्बई। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का दावा है कि देश में आर्थिक मंदी नहीं है। फिल्में करोड़ों की कमाई कर रही हैं। रविशंकर ने NSO की रिर्पोट को ही गलत बताया है। रविशंकर प्रसाद का मंदी को लेकर यह अजीबोगरीब तर्क है। दरअसल उन्होंने आर्थिक मंदी को फिल्मों की कमाई से जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि अगर मंदी होती तो इस साल अब तक पांच फिल्में 200 करोड़ रुपये की कमाई नहीं करतीं।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एनएससओ (नेशनल सैंपल सर्वे ऑफ़िस) के बेरोज़गारी से जुड़े आंकड़े पूरी तरह गलत करा दिया है। रविशंकर प्रसाद ने यह भी कहा कि अगर फ़िल्में करोड़ों का कारोबार कर रही हैं तो फिर देश में मंदी कैसे है? उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर को 3 फिल्मों ने 120 करोड़ रुपये की कमाई की। यानी देश की अर्थव्यवस्था ठीक है। तभी तो फ़िल्में इतना अच्छा बिज़नेस कर रही हैं। रविशंकर प्रसाद ने यह भी कहा कि वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी सूचना प्रसारण मंत्री थे। इसलिए उनका फ़िल्मों से लगाव है। उन्होंने ये बातें शनिवार को मुंबई में आयोजित पत्रकार वर्ता के दौरान कहीं।
उन्होंने कहा, मैं एनएसएसओ की रिपोर्ट को गलत कहता हूं और पूरी ज़िम्मेदारी के साथ कहता हूं। उस रिपोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफ़ैक्चरिंग, आईटी क्षेत्र, मुद्रा लोन और कॉमन सर्विस सेंटर का ज़िक्र नहीं है। क्यों नहीं है? हमने कभी नहीं कहा था कि हम सबको सरकारी नौकरी देंगे। हम ये अभी भी नहीं कह रहे हैं। कुछ लोगों ने आंकड़ों को योजनाबद्ध तरीके से गलत ढंग से पेश किया। मैं ये दिल्ली में भी कह चुका हूं।
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रविशंकर ने आगे कहा कि देश में मोबाइल, मेट्रो और सड़कें बन रही हैं, इससे लोगों को रोजगार मिल रहा है। उन्होंने कहा कि न केवल भारत की अर्थव्यवस्था का ढा़ंचा दुरुस्त है, बल्कि यहां महंगाई दर भी पूरी तरह से नियंत्रण में है। उन्होंने यह भी दावा किया कि एफडीआई सबसे ऊंचे स्तर पर है।
केंद्रीय मंत्री ने अपने दावे के समर्थन में ईपीएफ के आंकड़े बताए और किसानों की आत्महत्या के संबंध में पूछे जाने पर कहा कि हम कारणों की पहचान कर रहे हैं। मरहम लगा रहे हैं। ज्ञात हो कि इस साल फरवरी में एनएससओ के लीक हुए आंकड़ों के अनुसार साल 2017-18 में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी थी, जो पिछले 45 साल में सबसे ज़्यादा थी। ये आंकड़े बाहर आने पर सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। वहीं, कुछ समय पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि भारतीय युवा गाड़ियां खरीदने के बजाय ओला-ऊबर से जाना पसंद करते हैं, इसलिए ऑटो सेक्टर में गिरावट आई है। वित्त मंत्री के इस बयान की भी काफ़ी आलोचना हुई थी।
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