मोतीहारी। चंपारण के पवित्र गंडकी नदी के कैलाश बाबा घाट पर अटल अस्थि विसर्जन के अवसर पर आयोजित श्रंद्धाजलि सभा को संबोधित करते हुए केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी मन, कर्म और वचन से राष्ट्रवाद के प्रति पूर्णत: समर्पित राजनेता थे। राजनीति में उनके विरोधी कोई नेता नहीं थे, प्रतिद्वन्दी जरूर थे। देश हो या विदेश, अपनी पार्टी हो या विरोधी दल, सभी उनकी प्रतिभा के कायल थे। इस मायने में अटल जी अजातशत्रु थे। उनकी वाणी पर साक्षात सरस्वती विराजमान थी। अपनी वक्तृत्व क्षमता के कारण वे लोगों के दिलों में बसे थे।
उन्होंने कहा कि अटल जी लगातार 9 दशकों से देश के सार्वजनिक जीवन पर अपने व्यक्तित्व और कृतित्व की अमिट छाप छोड़ी है। उनके विराट व्यक्तित्व में देश का लगभग 9 दशकों का इतिहास समाया हुआ है। परमाणु बम के सफल परीक्षणों तथा कारगित युद्ध के समय प्रदर्शित उनकी दृढ़संकल्प शक्ति ने पूरी दुनिया में भारत को अग्रणी राष्ट्रों की पंक्ति में शामिल किया।
अटल जी न केवल प्रखर और ओजस्वी वक्ता थे, अपितु एक विशाल ह्रदय के व्यक्ति थे। उनकी संवेदनाएं उनकी राजनीतिक जीवन में भी प्रकट होती रही। संसदीय परंपराओं का जीवन भर पालन कर उन्होंने भारत के संसदीय लोकतंत्र को नये आयामों के साथ समृद्ध किया। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने उनमें भारत का भविष्य देखा था। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भी उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए यह कहा था कि एक दिन वे भारत का नेतृत्व करेंगे। डॉ. राम मनोहर लोहिया उनके हिन्दी प्रेम के प्रशंसक थे। पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर उन्हें संसद में ‘गुरूदेव’ कहकर संबोधित करते थे। अटलजी को सर्वश्रेष्ठ सांसद के पुरूस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
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राष्ट्रभक्ति की भावना, जनसेवा की प्रेरणा उनके नाम के ही अनुकूल अटल रही। भारत उनके मन में रहा, भारतीयता तन में। उन्होंने देश की जनता को अपना आराध्य माना। भारत के कण-कण, कंकड़-कंकड़, भारत की बूंद-बूंद को, पवित्र और पूजनीय माना।
जितना सम्मान, जितनी ऊंचाई अटल जी को मिली, उतना ही अधिक वह जमीन से जुड़ते गये। अपनी सफलता को कभी भी उन्होंने अपने मस्तिष्क पर प्रभावी नहीं होने दिया। प्रभु से यश, कीर्ति की कामना अनेक व्यक्ति करते हैं, लेकिन ये अटल जी ही थे जिन्होंने कहा कि
“हे प्रभु! मुझे इतनी ऊंचाई कभी मत देना। गैरों के गले ना लग सकूं, इतनी रूखाई कभी मत देना।।”
उनके निधन से न केवल भारत, अपितु पूरी दुनिया से एक दूरदर्शी, परिपक्व, संवेदनशील, विशाल ह्रदय और दृढ़ संकल्प वाला नेता हमारे बीच से चला गया। आज उनके दिखाए रास्ते पर चलकर भारत को एक महान राष्ट्र बनाने के उनके संकल्प को पूरा करने में हमें सहभागी बनना होगा।
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