सासाराम। रोहतास की एक अदालत ने हत्या के एक मामले में मंगलवार को दो व्यक्तियों को उम्रकैद की सजा सुनायी। त्वरित न्यायालय के पीठासीन पदाधिकारी रविंद्र मणि त्रिपाठी की अदालत ने रमेश सिंह और हरेंद्र सिंह को उम्रकैद की सजा दी। सासाराम मॉडल थाना के बढ़ईया बाग में 24 मई 2014 को मुंद्रिका सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी। यह हत्या जमीन हड़पने के लिए की गयी थी। इसी मामले में सजा सुनाई गयी।
भूख से मौत मामले की जांचः करगहर प्रखंड के बैसपुरा गाँव में मंगलवार को भोजन अधिकार अभियान की छह सदस्यीय टीम सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व आयुक्त के सलाहकार रूपेश कुमार के नेतृत्व में बैसपुरा गाँव पहुँची तथा घटना के कारणों की जाँच की। टीम के सदस्यों ने सबसे पहले प्राथमिक विद्यालय बैसपुरा में जाकर एमडीएम के अनाज की भंडारण स्टाक पंजी सहित कई संसाधनों की बारीकी से जाँच की तथा एमडीएम को सही ढंग से संचालित करने के लिए संसाधनों के घोर अभाव पर असंतोष जताया।
स्कूल में कार्यरत मृतका रसोईया कंचन कुँवर की मानसिक स्थिति व उसके ब्यवहार के बारे में विद्यालय के प्रधानाध्यापक, शिक्षकों एवं रसोइयों से जानकारी ली तथा एमडीएम योजना के माध्यम से उसको मिलने वाले मानदेय के बारे में भी जानकारी ली। इसके बाद टीम पीडिता के घर जाकर उसके परिवार में बची एकमात्र नाबालिग लड़की संजना से घटना के बारे में विस्तृत जानकारी ली।
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इसके बाद टीम द्वारा पीडीएस दुकान की भी जाँच की गयी, जिसके तहत आवंटन पंजी लाभुक पंजी तथा स्टाक की जाँच की गयी। टीम द्वारा पीडित परिवार का नाम एपीएल एवं बीपीएल किसी भी सूची में शामिल नही किये जाने के चलते उनको पीडीएस योजना से वंचित रखे जाने पर नाराजगी जताते हुए सिस्टम की घोर लापरवाही करार देते हुए कहा कि पीडीएस योजना के तहत मध्यमवर्गीय परिवार व ऊँचे वर्ग के कमजोर लोग व्यापक स्तर पर वंचित हैं, जबकि बिहार मे 86 प्रतिशत लोगों को इस योजना लाभ देना है। यहाँ इस योजना के लाभुक मानक से काफी कम है। जांचोपरान्त टीम के नेतृत्वकर्ता रूपेश कुमार ने कहा कि सभी पहुलुओं पर जाँच करने तथा पीडिता के परिवार में जिंदा बची एकमात्र बच्ची के बयान से यही प्रतीत हो रहा है कि माँ व बेटे ने भूख से जुझने के चलते आत्महत्या की है।
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