लाक डाउन की मियाद 3 मई से आगे बढ़ेगी, ट्रेन-बसें नहीं चलेंगी ?

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रेलवे ने अब तक (14 मई) 800 स्पेशल ट्रेनों का परिचालन कर 10 लाख प्रवासी मजदूरों, पर्यटकों, और छात्रों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया है। रेलवे का दावा है कि यात्रा के दौरान यात्रियों को मुफ्त भोजन और पानी दिया जा रहा है।
रेलवे ने अब तक (14 मई) 800 स्पेशल ट्रेनों का परिचालन कर 10 लाख प्रवासी मजदूरों, पर्यटकों, और छात्रों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया है। रेलवे का दावा है कि यात्रा के दौरान यात्रियों को मुफ्त भोजन और पानी दिया जा रहा है।

दिल्ली। लाक डाउन की मियाद 3 मई से आगे बढ़ेगी, ट्रेन-बसें नहीं चलेंगी। दूसरे राज्यों से अपने लोगों को राज्य बुलाना चाहें तो वे खुद बसों का इंतजाम करेंगे। अलबत्ता कुछ शर्तों के साथ कहीं-कहीं दुकानें खुलेंगी। भीड़भाड़ वाली जगहों- शापिंग माल, स्वीमिंग पुल और सिनेमा घर के अभी खुलने की उम्मीद नहीं है। यह संकेत इस बात से समझा जा सकता है कि केंद्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों, छात्रों और पर्यटकों को वापस अपने राज्यों में लौटने के लिए उनकी राज्य सरकारों के इंतजाम पर निर्भर रहने का आदेश दिया है।

बिहार और झारखंड की सरकारें लगातार यह मांग कर रही थीं कि दूसरे राज्यों में उनके फंसे लोगों को वापस लाने की इजाजत दी जाये। केंद्र सरकार ने उनकी मांग मान कर अब गेंद राज्य सरकारों के पाले में डाल दिया है। बंगाल सरकार ने अपने छात्रों के लिए कुछ बसें तो भेजी हैं, लेकिन बिहार सरकार ने साफ कह दिया है कि लोगों को लाना उसके बूते की बात नहीं। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने तो साफ कह दिया कि बिहार सरकार अपने खर्च से किसी को लाने की स्थिति में नहीं है। झारखंड सरकार की तैयारी के बारे में अभी तक कोई खुलासा नहीं हुआ है।

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लाक डाउन जारी रखने का केंद्र सरकार ने इस बार नायाब तरीका अपनाया है। वह राज्यों को अपने लोगों को लाने की छूट देने के साथ लाक डाउन-3 की घोषणा कर सकती है। कुछ इलाकों में काम-धाम शुरू करने के लिए तीन तरह के जोन बनाये गये हैं। रेड जोन में अधिक सख्ती रहेगी और सब कुछ बंद रहेगा, जबकि आरेंज जोन में सामान्य सख्ती होगी। अलबत्ता ग्रीन जोन के लोग सामान्य दिनचर्या में रहेंगे। इसके बावजूद बसों के न चलने या ट्रेनें बंद रहने से आवाजाही नहीं होगी।

बिहार-झारखंड की सरकारों के सामने बाहर फंसे लोगों को लाने में कई व्यावहारिक कठिनाइयां हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार-झारखंड के तकरीबन 25 लाख लोग राज्य से बाहर हैं। उनको लाने के लिए बसों का इंतजाम करना ही टेढ़ी खीर होगी। बसें मिल भी जायें तो इतने लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग, लाक डाउन के मानकों के अनुरूप सैनिटाइजेशन, दो छोरों (जहां से चलेंगे और जहां पहुंचेंगे) जांच, फिर होम या केंद्रों पर 14 दिनों का क्वारंटाइन जैसे तमाम लफड़े हैं, जिनसे निपटना आसान नहीं है।

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