लालू प्रसाद की भविष्यवाणी के बावजूद नरेंद्र मोदी पांच साल बने रहे

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सुशील मोदी ने लोगों को आगाह किया है कि बिहार में मसूर दाल की किल्लत हो सकती है।आयात होकर बंगाल के बंदरगाह से मसूर दाल आती है।
सुशील मोदी ने लोगों को आगाह किया है कि बिहार में मसूर दाल की किल्लत हो सकती है।आयात होकर बंगाल के बंदरगाह से मसूर दाल आती है।

2014 में नमो की शपथ की घड़ी को लालू ने अशुभ बताया थाः सुशील मोदी

पटना। लालू प्रसाद की भविष्यवाणी के बावजूद नरेंद्र भाई मोदी ने पांच साल तक सम्यक ढंग से सत्ता संभाली। लालू ने 2014 में मोदी के शपथ को अशुभ घड़ी बताया था। 26 मई 2014 को जब गोधूलि बेला में पहली बार नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, तब लालू प्रसाद ने अशुभ घड़ी बताते हुए देश में मध्यावधि चुनाव की आशंका जतायी थी और कहा था कि मोदी सरकार पांच साल नहीं चलेगी। बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यह रहस्योदघाटन अपने ट्वीट में किया है।

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उन्होंने कहा है कि लालू प्रसाद की भविष्यवाणी के विपरीत प्रधानमंत्री ने गरीबों, पिछड़ों-अतिपिछडों, युवाओं और महिलाओं के लिए काम करते हुए न केवल उपलब्धियों से भरा कार्यकाल पूरा किया, बल्कि शानदार वापसी भी की। श्री मोदी ने कहा कि जिनको अपनी नीति-नीयत और जनता पर भरोसा होता है, उनके लिए हर घड़ी शुभ होती है।

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लालू को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि हर काम के बदले लोगों की जमीन लिखवाने वाले लालू प्रसाद की न कभी नीयत ठीक रही, न जनता पर उनका भरोसा ही रहा। इसलिए वे जात-पात, अपराधीकरण और तंत्र-मंत्र के जरिये सत्ता में बने रहने की कोशिश करते रहे। उन्होंने एक तांत्रिक को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष  बनाया, लेकिन कोई तंत्र उनके महागठबंधन की सरकार को गिरने से नहीं बचा सका। गरीबों का हक मार कर बेनामी सम्पत्ति बनाने वालों को कोई नहीं बचा सकता।

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श्री मोदी ने कहा कि पिछड़े-गरीब परिवार के नरेंद्र भाई के प्रधानमंत्री बनने पर बधाई देने के बजाय लालू प्रसाद उनकी सरकार गिरने की भविष्यवाणी कर रहे थे और बाद में नोटबंदी को मुद्दा बनाकर सत्ताविरोधी माहौल बनाने के लिए कभी ममता बनर्जी से पटना में धरना दिलवा रहे थे, तो कभी मायावती को राज्यसभा की सीट आफर कर रहे थे। जनता ने नोटबंदी-विरोध के सभी खलनायकों को धूल चटा दी। लालू प्रसाद अपनी पुत्री को भी नहीं जिता पाये। उन्हें लालटेन युग के अंधविश्वास से बाहर आकर गरीब सवर्णों के रिजर्वेशन का विरोध करने जैसे गुनाहों के लिए बिहार की 12 करोड़ जनता से माफी मांगनी चाहिए।

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