रांची :झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास की सरकार में रहते हुए भी समय-समय पर उनकी आलोचना करने वाले खाद्य आपूर्ति मामलों के मंत्री सरयू राय ने फिर बगावती राग अलापना शुरू कर दिया है।
कुछ ही दिन पहले उन्होंने झारखंड प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा को सलाह दी थी कि विधानसभा चुनाव में घर-घर रघुवर की जगह घर-घर कमल का स्लोगन पार्टी का होना चाहिए। इसके लिए उन्होंने तर्क भी दिये थे कि घर-घर रघुवर नारे से व्यक्तिगत निष्ठा झलकती है। दलीय निष्ठा का स्लोगन पार्टी का होना चाहिए।
सरयू राय की सलाह पर गिलुवा ने विचार को भरोसा भी दिया था। पार्टी ने अभी तक आधिकारिक तौर पर उनके सुझाव पर अमल नहीं किया है, जबकि सरयू राय ने अपने चुनाव क्षेत्र में घर-घर कमल नारे के साथ चुनाव अभियान की शुरुआत कर दी है। इस स्लोगन के पोस्टर भी उनके क्षेत्र में लगने शुरू हो गये हैं। रगुवर से उनकी चिढ़ का आलम यह है कि जो पोस्टर लगाये गये हैं, उनमें रघुवर की तसवीर नहीं है।
पहले भी की है रघुवर दास की आलोचना
रघुवर दास से उनकी खुन्नस पहले भी कई मौकों पर उजागर हो चुकी है। कैबिनेट की बैठक से खनन लीज के किसी प्रस्ताव पर वह एक बार गुस्से में उठ कर चले गये थे।
संसदीय मामलों के मंत्री का विभाग भी उन्होंने लौटा दिया था। देवघर में कैबनेट की बैठक रघुवर ने बुलायी तो इसे बेकार बता कर वह शामिल नहीं हुए थे। कई मौकों पर तो उन्होंने खुल कर सरकार के कामकाज की आलोचना भी की। नौकरशाही पर उनका रवैया सख्त रहा है। उनका मानना है कि नौकरशाह काम नहीं करते।
पार्टी लाइन से इतर हट कर बात करने में भी उन्हें कोई संकोच नहीं होता है। चारा घोटाले में सजा काट रहे लालू प्रसाद के बारे में एक बार उन्होंने कहा था कि लालू को बेहतर इलाज के लिए किसी बेहतर अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए। हालांकि चारा घोटाला प्रकरण उजागर करने में सरयू राय की बड़ी भूमिका रही है पर निजी संबंधों को जीना भी वे बखूबी जानते हैं।