पटना। सुशील मोदी की सलाह है कि लाकडाउन का सदुपयोग करते हुए इस दौरान अपने आसपास की दलित बस्तियों को गोद लें। उन बस्तियों के गरीबों की मदद करें। अपने सरकारी आवास पर डा. अम्बेदकर के चित्र पर पुष्प अर्पित करने के बाद भाजपा अनुसूचित जाति मोरचा की ओर से आयोजित कार्यक्रम को प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल के साथ आडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि लाकडाउन की विस्तारित अवधि में भाजपा कार्यकर्ता अपने आसपास की दलित बस्तियों को गोद लेकर वहां भोजन-राशन की चिन्ता करें, ताकि कोई गरीब भूखा नहीं रहे। साथ ही, प्रधानमंत्री द्वारा सुझाए गए 7 कदमों का कठोरता से पालन कर वैश्विक महामारी कोरोना को परास्त करने में सहयोग करें।
श्री मोदी ने कहा कि संसद और विधानसभाओं में दलितों को मिला आरक्षण बाबा साहब अम्बेडकर और महात्मा गांधी की देन है। यह आरक्षण तब तक जारी रहेगा, जब तक कि दलित अपने बलबूते चुनाव जीतने के काबिल नहीं हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा दलितों के प्रोमोशन में आरक्षण का समर्थन करती है परंतु दलित आरक्षण में क्रीमी लेयर का कभी पक्षधर नहीं रही है। भाजपा नेतृत्व की केन्द्र सरकार ने दलित अत्याचार निवारण अधिनियम में 23 नई घाराएं जोड़ कर उसे और कठोर बनाया तथा जब सुप्रीम कोर्ट ने कुछ घाराओं को शिथिल किया तो कानून में संशोधन कर उसे पुनस्र्थापित किया।
कांग्रेस ने दो-दो बार चुनाव में डा. अम्बेदकर की हार को सुनिश्चित की अन्ततःबाद में वे बंगाल से लोकसभा में गए। गांधी व पटेल के दबाव में नेहरू को उन्हें संविधान की प्रारूप कमिटी का चैयरमैन और बाद में कानून मंत्री बनाना पड़ा था। भाजपा की समर्थन वाली वी पी सिंह की सरकार में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया जबकि कांग्रेस संसद के सेंट्रल हाॅल में उनकी एक तस्वीर नहीं लगने दी थी।
यह भी पढ़ेंः GST करदाता बिना दंड के 30 जून तक जमा कर सकेंगे टैक्स
बिहार में राजद-कांग्रेस ने दलितों को आरक्षण दिए बिना स्थानीय निकाय का चुनाव करा दिया, परंतु जब एनडीए की सरकार बनी तो उन्हें 17 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। राजद के 15 वर्षों के शासन काल में दर्जनों नरसहांर में दलित मारे गए मगर एनडीए के डेढ़ दशक के शासनकाल में एक भी दलित नरसंहार नहीं होने दिया गया है।
सुशील मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती पर उनका नमन करते हुए जब लाकडाउन को 3 मई तक बढ़ाने की घोषणा की, तो गरीबों-मजदूरों और वंचित वर्गों की कठिनाई दूर करने का ध्यान रखते हुए 20 अप्रैल से रियायतें देने का संकेत भी दिया। प्रधानमंत्री की पहल पर देश के 32 करोड़ से ज्यादा श्रमिकों को 30 हजार करोड़ की सीधी आर्थिक मदद पहुंचायी जा चुकी है। लाकडाउन की विस्तारित अवधि में किसानों और दिहाड़ी मजदूरों को काम करने की छूट देने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री का आभार जताया।
यह भी पढ़ेंः भाजपा व नमो के रहते कोई ‘माई का लाल’ आरक्षण खत्म नहीं कर सकता- सुशील मोदी
प्रधानमंत्री के चौथे संबोधन में भी कोरोना को हराने के लिए “हम भारत के लोगों” की संकल्प शक्ति के प्रति वही विश्वास दिखा, जो संविधान निर्माताओं ने प्रकट किया था। उन्होंने राजद पर कटाक्ष किया और कहा कि दुनिया कोरोना जैसी महामारी से जूझ रही है, लेकिन आज राजद की सबसे बड़ी चिंता गरीबों की मदद करना नहीं है। उसका दो ही एजेंडा है- चारा घोटाले के चार मामलों में सजायाफ्ता लालू प्रसाद को पैरोल पर छुड़ाना और जानबूझ कर कोरोना संक्रमण फैलाने पर उतारू जमातियों के गुनाह का राजनीतिक बचाव करना। राजद को लालू प्रसाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश पर भरोसा करना चाहिए और जमातियों से अपील करनी चाहिए कि वे जांच के लिए खुद सामने आकर दूसरों को संक्रमण से बचायें।
यह भी पढ़ेंः बिहार में बाहर से अब तक 1 लाख 80 हजार 652 लोग आए