पटना। कांग्रेस पार्टी पर फायदे के लिए भारतीय सेना का अपमान करने का आरोप लगाते हुए प्रदेश भाजपा प्रवक्ता सह पूर्व विधायक श्री राजीव रंजन ने कहा कि दो वर्ष पूर्व भारतीय सेना ने पीओके में घुसकर 38 से अधिक पाकिस्तानी आतंकवादियों को ढेर कर दिया था। वर्ष 2016 में 28-29 सितंबर की दरम्यानी रात को 250 किलोमीटर के दायरे में हुए इस ऑपरेशन में 8 आतंकी कैंप और कई लान्चिंग पैड भी ध्वस्त कर दिए गए थे। भारतीय सेना द्वारा पहली बार की गयी इस तरह की कारवाई पर एक तरफ जहां देश गर्व से झूम रहा था, वहीँ महज निजी स्वार्थ के लिए कांग्रेस के नेतागण इस पर सवाल खड़े करते हुए सबूत मांग रहे थे। गौरतलब है कि 1999 के बाद से 2003 तक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने हर साल संसद में कारगिल विजय दिवस मनाया, लेकिन मई 2004 में जैसे ही कांग्रेस के पास सत्ता आई तो सोनिया गांधी के आदेश से संसद में कारगिल विजय दिवस कार्यक्रम पर ही बैन लगा दिया गया। कुछ कांग्रेस नेताओं ने तो यहाँ तक कहा कि कारगिल युद्ध बीजेपी की लड़ाई थी, इस युद्ध से देश का कुछ लेना देना नहीं था। बाद में एनडीए द्वारा दबाव डालने पर विजय दिवस फिर से शुरू हो सका।
आज इसके 2 वर्ष पूरे होने पर भी स्थितियों में कोई बदलाव नही आया है। आज सर्जिकल स्ट्राइक के दो साल बीतने पर जहां मोदी सरकार इसे ‘पराक्रम पर्व’ के तौर पर मना रही है, वहीं कांग्रेस सेना पर राजनीतिक पत्थरबाजी करने के अपने अभियान में जुटी हुई है।
दरअसल कांग्रेस पार्टी की परम्परा ही ‘सिलेक्टिव राष्ट्रवाद’ की रही है। अगर किसी भी उपलब्धि में ‘नेहरू-गांधी परिवार’ का नाम न जुड़ा हो तो वह उसे देश का स्वाभिमान नहीं मानती है। गौरतलब है कि कांग्रेस की नाकामियों का प्रतीक बन चुकी 1962 की हार का भी वह महिमांडन करती है, लेकिन 527 वीर सपूतों की शहादत के बाद 26 जुलाई, 1999 को कारगिल की चोटियों पर तिरंगा फहराने को वह विजय नहीं मानती है।
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इसी तरह सर्जिकल स्ट्राइक पर भी इनका यही रवैया रहा। इनके नेताओं ने इसे फर्जी करार देने में एडी चोटी का जोर लगा दिया था और आज भी पराक्रम पर्व में राजनीति करने से बाज नही आ रहे। कांग्रेस के नेता यह जान लें कि जनता उनके कारनामों को देख रही है और समय आने पर इसका माकूल जवाब देगी।