हरिवंश की जीत को राजग की 2019 में कामयाबी का ट्रेलर समझें

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हरिवंश, राज्यसभा के उपसभापति
हरिवंश, राज्यसभा के उपसभापति
  • दीपक कुमार

विपक्षी दलों के नेता जब एक जगह जमा होकर अपनी एकजुटता की बात करते हैं तो उन्हें भले आनंद आता हो, पर जनता इसे प्रहसन के रूप में देखती है। ऐसे कई उदाहरण आपको मिल जायेंगे। हाल की दो घटनाओं ने विपक्ष और उसके एका के प्रयासों को जनता इसी रूप में देख रही  और परिभाषित कर रही है। लोगों की धारणा तो अब इस कदर बनती जा रही है कि भाजपा लाख गलतियां कर अपने पैर में कुल्हाड़ी मारने का प्रयास करे, विपक्षी दल उसे बचाने में भरपूर मदद करने को तैयार बैठे हैं। इस क्रम में उसकी भरपूर फजीहत हो जाये, तब भी उनके लिए शर्म-हया की कोई बात नहीं।

ताजा उदाहरण चुनाव राज्यसभा के उप सभापति का चुनाव है। विपक्ष अगर एक होता तो उसका संख्या बल सत्ता दल के उम्मीदवार को जीतने नहीं देता। विपक्ष की एकता का आलम यह रहा कि उनके खेमे के कुछ दलों के लोग तो मतदान के लिए आये ही नहीं और कुछ ने बोल-बता कर सत्ता दल के उम्मीदवार को वोट दे दिया। नतीजतन एनडीए के उम्मीदवार हरिवंश जीत गये। इसके पहले मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर भी विपक्ष ने अपनी किरकिरी करा ली। जनकी ओर से अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, उन्हें तो पता था ही कि इसका हस्र क्या होगा, जनता की नजर में तो विपक्ष के प्रहसन के सिवा इसकी कोई अहमियत नहीं थी।

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राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव में विपक्ष की हार का सीधा मतलब अब यही निकाला जाना चाहिए कि 2019 ही नहीं, अगले कई पंचवर्षीय चुनावों में भाजपा को मात देना किसी दैवीय करिश्मा के बिना संभव ही नहीं लगता। ऐसा कहने के पीछे जो कारण हैं, वे सर्वविदित हैं। राजग के उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव के पहले महज 96 वोटों के आंकड़े थे। विपक्ष के पास यूपीए के 69 और अन्य 80 सदस्यों का समर्थन था। यानी प्रथमदृष्टया राजग उम्मीदवार की जीत संदिग्ध दिख रही थी। विपक्षी एकता की ताल ठोंक रहीं पार्टियां मुंह फुलाने, न पूछे जाने जैसी बातों में उलझी रहीं और राजग ने मिन्नत कर अन्य 80 सदस्यों पर डोरे डाले। नतीजा सबके सामने है। राजग के हरिवंश को 125 और कांग्रेस समर्थित बीके हरि प्रसाद को 105 वोट ही मिल पाये। यह साफ जाहिर करता है कि विपक्षी एकता की कवायद भाजपानीत राजग के रहते संभव नहीं। विपक्ष का हाल तो यह रहा कि राजद के कोटे से राज्यसभा पहुंचे राम जेठमलानी ने भी राजग के हरिवंश का ही साथ दिया।

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