पटना। बिहार में बैंकों ने कर्ज बांटने में 12 साल में 10 गुना वृद्धि की है। उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की बैठक के बाद मीडिया को बताया। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 68 वीं त्रैमासिक बैठक उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता में हुई। बैठक के बाद श्री मोदी ने बताया कि 2007-08 में जहां मात्र 10,762 करोड़ रुपये ऋण बांटे गए थे, वहीं 2018-19 में 10 गुना ज्यादा 1,09582 करोड़ का कर्ज बैंकों ने दिया है, जो तय लक्ष्य 1,30,000 करोड़ का 84.29 प्रतिशत है। पिछले 10 वर्षों में साख-जमा अनुपात में भी 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 1 लाख 45 हजार करोड़ की वार्षिक साख योजना तय की गई है, जिसका 90 फीसदी से अधिक हासिल करने का बैंकों को निर्देश दिया गया है।
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श्री मोदी ने बैंकों को अधिकाधिक किसानों को केसीसी देने, केसीसी सहित सभी प्रकार के ऋण के लिए आवेदन व स्वीकृति की ऑनलाइन सुविधा प्रदान करने, बैंकिंग सुविधा से वंचित 160 ग्रामीण केंद्रों पर आगामी तीन महीने के अंदर बैंक आउटलेट खोलने, शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में एटीएम की संख्या बढ़ाने, साइबर फ्रॉड की रोकथाम का कारगर उपाय करने का निर्देश दिया।
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उन्होंने कहा कि केसीसी के तहत भारत सरकार के बिना मॉरगेज 1 लाख से बढ़ा कर 1 लाख 60 हजार तक ऋण देने के निर्देश तथा इस वित्तीय वर्ष से डेयरी, फिशरी और पॉल्ट्री किसानों को भी केसीसी की सुविधा का लाभ किसानों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के ऑनलाइन ‘59 मिनट में 1 करोड़ ऋण स्वीकृति योजना’ के तहत बिहार में 867 लोगों को 242 करोड़ का ऋण दिया गया है।
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31 मार्च, 2019 तक बिहार में बैंकों का 15 हजार करोड़ एनपीए है, जो कुल कर्ज का करीब 11 प्रतिशत है, जबकि जीविका के स्वयं सहायता समूह से जुड़ी गरीब दीदियों की कर्ज वापसी की दर 98 फीसदी है। बैंक एनपीए को कम करने के लिए कर्ज वूसली का समुचित तंत्र विकिसत करें और किसान भी समय पर ऋण वापस कर राज्य सरकार द्वारा देय 1 और केन्द्र सरकार के 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान का लाभ उठायें।
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