अगले पंचायत चुनाव तक बिहार में 13% और आरक्षणः सुशील मोदी

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वींद्र भवन,पटना में भाजपा अति पिछड़ा मोर्चा की ओर से आयोजित जननायक कर्पूरी ठाकुर के 95 वीं जयंती समारोह में उपमुख्यमंत्री व अन्य।

पटना। भाजपा अति पिछड़ा वर्ग मोर्चा की ओर से रवीन्द्र भवन में आयोजित ‘जननायक कर्पूरी ठाकुर जयंती समारोह’ को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि पंचायत चुनाव में अभी अति पिछड़ा को 20 और एससी/एसटी को 17 प्रतिशत आरक्षण है। 13 प्रतिशत तक और आरक्षण की सीमा अगले पंचायत चुनाव तक बढ़ाई जा सकती है। इस दौरान उन्होंने राजद व कांग्रेस से कई सवाल पूछे और कहा कि 1931 में पहली जातीय गणना के 83 वर्षों के बाद केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने 2021 में जातीय गणना कराने का निर्णय लिया है। जातीय गणना के आंकड़ों के आधार पर आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए कोर्ट की बाधा दूर करने के साथ जरूरत पड़ी तो सरकार संविधान संशोधन भी करेगी। उन्होंने कांग्रेस से पूछा कि 45 वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद पिछड़े वर्गों के लिए आयोग का गठन क्यों नहीं किया?

श्री मोदी ने राजद से पूछा कि 27 साल तक बिहार में पंचायत चुनाव क्यों नहीं कराया गया? 2003 में हुए पंचायत चुनाव में एससी/एसटी और अतिपिछड़ों को आरक्षण से वंचित क्यों किया गया? कर्पूरी ठाकुर द्वारा आर्थिक आधार पर दिए गए 3 प्रतिशत आरक्षण को 1992 में क्यों समाप्त किया गया? अतिपिछड़ों को पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 25 तो राजद ने मात्र 5 टिकट क्यों दिया? 10 साल तक केन्द्र की सत्ता में रहने के बावजूद कर्पूरी फॉर्मूले के समान पिछड़ा वर्ग की सूची के वर्गीकरण का प्रयास क्यों नहीं किया?

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उन्होंने कांग्रेस से पूछा कि 45 वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद पिछड़े वर्गों के लिए आयोग का गठन क्यों नहीं किया? मंडल व मुंगेरीलाल कमीशन की रिपोर्ट की सिफारिशें लागू क्यों नहीं की? पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा क्यों नहीं दिया? पिछड़ा/अतिपिछड़ों की सूची का वर्गीकरण क्यों नहीं किया? 1931 के बाद जाति गणना क्यों नहीं करायी गयी? गरीब सवर्णों को आरक्षण क्यों नहीं दिया? 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में एक भी अति पिछड़ा को टिकट क्यों नहीं दिया?

श्री मोदी ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने पिछड़े वर्गों के आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के साथ ही केन्द्रीय सेवाओं में आरक्षण के लिए कर्पूरी फार्मूला के तर्ज पर सूची वर्गीकरण के लिए रोहिणी कमीशन का गठन और एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम में संशोधन किया। बिहार में जब एनडीए की सरकारी बनी तो अति पिछड़ों को पंचायत चुनाव में 20 प्रतिशत आरक्षण व आउटसोर्सिंग में आरक्षण का प्रावधान लागू किया गया। 1978 में जब जनसंघ सरकार में था तो अतिपिछड़ों को आरक्षण दिया गया। मंडल कमीशन की रिपोर्ट को 10 वर्षों तक कांग्रेस ने लागू नहीं किया, 1989 में जब भाजपा के सहयोग से वीपी सिंह की सरकार बनी तो पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया।

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