लगभग 43 साल पहले देश में 25 जून 1975 की आधी रात को आपातकाल की घोषणा की गई थी। । जो 21 मार्च 1977 तक लगी रही। उस दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा की थी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादस्पद काल था। आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए थे। 26 जून को पूरे देश ने रेडियो पर इंदिरा गांधी की आवाज में आपातकाल की घोषणा के बारे में सुना। आपातकाल के पीछे कई वजहें बताई जाती है, जिसमें 12 जून 1975 को इलाहबाद हाईकोर्ट की ओर से इंदिरा गांधी के खिलाफ दिया गया फैसला भी माना जाता है। बताते हैं कि आपातकाल की नींव 12 जून 1975 को उसी दिन रख दी गई थी। जिस दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को रायबरेली के चुनाव अभियान में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का दोषी पाया था और उनके चुनाव को खारिज कर दिया था। इतना ही नहीं, इंदिरा पर छह साल तक चुनाव लड़ने पर और किसी भी तरह के पद संभालने पर रोक भी लगा दी गई थी। उल्लेखनीय है राज नारायण ने 1971 में रायबरेली में इंदिरा गांधी से हारने के बाद मामला दाखिल कराया था। जिसमें जस्टिस जगमोहनलाल सिन्हा ने फैसला सुनाया था। हालांकि 24 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश बरकरार रखा, लेकिन इंदिरा को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बने रहने की इजाजत दी। एक दिन बाद जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा के इस्तीफा देने तक देश भर में रोज प्रदर्शन करने का आह्वाहन किया. देश भर में हड़तालें चल रही थीं. जय प्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई सहित अन्य नेताओं के नेतृत्व में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था। पर इंदिरा आसानी से पद छोड़ने के लिए तैयार नहीं थीं। इधर पुत्र संजय गांधी भी नहीं चाहते थे कि उनकी मां के हाथ से सत्ता जाए। दसरी तरफ विपक्ष सरकार पर लगातार दबाव बना रहा था। जिसके परिणास्वरुप इंदिरा ने देश में 25 जून की रात आपातकाल लागू करने का फैसला लिया. आधी रात इंदिरा ने तत्कालीन राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद से आपाताकाल के फैसले पर दस्तखत करवा लिया और इसके बाद स्वतंत्र भारत में पहली बार आपातकाल घोषित कर दिया गया।
- नंदकिशोर पाठक