सड़क निर्माण पर 7 हजार करोड़ व मेंटेनेंस पर 4 हजार करोड़ का बजट
- ग्रामीण सड़कों की मरम्मत तीन फेज में
- पहले फेज में 7 साल पुरानी सड़कें बनेंगी
- दूसरे फेज में जो 5 से 7 साल पुराने रोड
- तीसरे फेज में 5 साल से कम पुरानी
- एक किलोमीटर पर 35-40 लाख खर्च
- ठेकेदारो 5 वर्षों तक की जिम्मेदारी लेंगे
पटना। सड़कें राज्य के विकास की वस्तुस्थिति का आईना होती हैं। शहरों में सड़कों का जाल भले ही बिछा हो, मगर गाँव-गाँव तक पहुँच और संपर्क की सड़कें अगर नहीं हैं या दुरुस्त नहीं हैं तो समुचित विकास की बात बेमानी हो जाती है। मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क सड़क योजना के तहत सरकार द्वारा हर गाँव और टोलों को जोड़ने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। सड़कों का निर्माण जितना आवश्यक है, उतना ही आवश्यक है समय-समय पर सड़कों की मरम्मत। अक्सर मरम्मत के आभाव में सड़कें दिन पर दिन ख़राब होती जाती हैं और समय से पहले ही नष्ट होकर काम लायक नहीं रह जाती हैं। इसे देखते हुए ग्रामीण सड़कों की मरम्मत के लिए सरकार ने नई मेंटेनेंस पालिसी बनायी है। सरकार ने सभी वर्गों की सड़कों की मरम्मत का निर्णय लिया है। इसके लिए सभी डिवीजन से मरम्मत होने वाली सड़कों की सूची मंगाई गयी है। सूची उपलब्ध होने के बाद प्राथमिकता के आधार पर निर्माण कार्य का टेंडर निकलेगा, जो एक पैकेज के रूप में रहेगा और अगले वर्ष से मरम्मत का कार्य शुरू हो जायेगा।
नई मेंटेनेंस नीति के तहत ग्रामीण सड़कों की मरम्मत तीन फेज में होगी। पहले फेज में वैसी सड़कों को प्राथमिकता दी जाएगी, जो 7 साल से ज्यादा पुरानी हो गयी हैं। इसके बाद वैसी सड़कों की बारी आएगी, जो 5 से 7 साल पुरानी हैं तथा सबसे अंत में वैसी सड़कों की मरम्मत होगी, जो पांच साल से कम पुरानी हैं। एक किलोमीटर सड़क के मेंटेनेंस पर 35-40 लाख रुपये खर्च होंगे। एक किलोमीटर सड़क के निर्माण पर 70 से 75 लाख रुपये खर्च होंगे। राज्य में 36 हजार पुरानी सडकों की मरम्मत की योजना है। प्रारंभ में सड़कों की मरम्मत पर प्रति वर्ष 4 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे, लेकिन बाद में यह राशि घट कर 3 हजार करोड़ रुपये हो जाएगी।
नई पालिसी के अनुसार सड़क निर्माण से लेकर ठेकेदार पांच वर्षों तक सड़कों की मरम्मत की जिम्मेवारी लेंगे। इसके बाद पांच साल के लिए नई मेंटेनेंस नीति के तहत सड़कों की मरम्मत होगी। नई मेंटेनेंस पालिसी में मरम्मत कार्य के लिए सड़कों का कोई वर्गीकरण नहीं किया गया है और सभी सड़कों को एक वर्ग में रखा गया है।
पहले सड़कों के निर्माण पर 10 हजार करोड़ खर्च होता था और मेंटेनेंस पर मात्र 700 करोड़ रूपये का ही बजट रहता था। इस वजह से सभी सड़कों की मरम्मत नहीं हो पाती थी। इसी समस्या के समाधान के लिए सरकार ने मेंटेनेंस पालिसी में बदलाव करते हुए ये प्रावधान किया है कि अब सड़कों के निर्माण पर 7 हजार करोड़ रुपये और मेंटेनेंस पर 4 हजार करोड़ रुपये का बजट होगा, ताकि सड़कों के सुचारू निर्माण के साथ इसकी मरम्मत का काम भी ठीक से हो सके। राज्य में कुल 1.10 लाख किलोमीटर सड़कें हैं, जिनमें 74 हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण हो चुका है और बाकी बची सड़कें मार्च तक बन कर तैयार हो जाएंगी।
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शहरी क्षेत्रों में राज्य सरकार ने सड़कों के रखरखाव लम्बे समय तक सुचारू और सुदृढ़ रखने के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। रोड एसेट्स मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट पालिसी के अंतर्गत कुल 13062 किलोमीटर लम्बाई की 1435 सड़कों को इस कॉन्ट्रैक्ट के अंदर शामिल किया गया है। इन सड़कों के रखरखाव की जिम्मेदारी चयनित ठेकेदारों को दी जाएगी, जिन्हें 7 साल तक इन सड़कों का रखरखाव अन्तराष्ट्रीय मानक के अनुरूप करना है।
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इस रखरखाव के लिए प्रति किलोमीटर अनुमानित राशि 7 लाख तय की गई है। इसके लिए सरकार ने 6654 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है। इस योजना में सड़क सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है। सड़क के रखरखाव और मेंटेनेंस कार्य की प्रगति और गुणवत्ता पर आधुनिक तकनीक से आईटी आधारित प्रणाली द्वारा प्रतिदिन निरंतर नजर रखी जाएगी, जिससे काम में कोई कोताही न हो सके। सड़कों की मरम्मत और रखरखाव के लिए सरकार द्वारा जो नई मेंटेनेन्स नीति लायी गई है, जमीन पर इसके सुचारू, पारदर्शी और प्रभावशाली क्रियान्वयन से निश्चित रूप से ग्रामीण सड़कों की व्यवस्था दुरुस्त और सुदृढ़ होगी।
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