रांची। झारखंड की राजधानी रांची स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में लावारिस पड़े 38 शवों का रविवार को सामाजिक संगठन द्वारा सामूहिक रूप से अंतिम संस्कार किया गया। सामाजिक संस्था ‘मुक्ति’ के सदस्यों द्वारा रविवार को राजधानी रांची के जुमार नदी के तट पर एक साथ चिता सजायी गयी, जहां लावारिस शवों को एक साथ मुखाग्नि दी गयी। इससे पहले विधि-विधान के साथ दाह संस्कार की रस्म भी की गयी।
संस्था के अध्यक्ष प्रवीण लोहिया सहित अन्य सदस्यों ने दाह संस्कार से पहले ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। इसके बाद उन्हें मुखाग्नि दी गयी। इससे पहले सदस्यों ने रिम्स के शवगृह में पड़े सभी शवों को पैक कर ट्रैक्टर पर रखा। कई शव काफी गल गये थे, उसे प्लास्टिक में सील किया गया। इसके बाद सभी शवों को जुमार नदी के तट पर लाया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। मुक्ति संस्था के सदस्य पिछले पांच वर्षों से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करते आ रहे हैं। इस संस्था में शहर के कई सामाजिक कार्यकर्ता और व्यवसायी शामिल हैं, जो लावारिस शवों को मुक्ति प्रदान कर रहे हैं।
गौरतलब है कि रिम्स में पिछले दो महीने से 39 लावारिस शव पड़े थे। पुलिस ने इन शवों की पहचान के लिए कई बार विज्ञापन भी निकाला, लेकिन शव को लेने कोई आगे नहीं आया। इसके बाद मुक्ति संस्था की ओर से विधि-विधान के साथ रविवार को अंतिम संस्कार किया गया।
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झारखंड में 36.12लाख शौचालय बनाये गयेः दिल्ली में आयोजित महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन में झारखंड की ओर से स्वच्छता एवं पेयजल स्वच्छता विभाग की सचिव आराधना पटनायक ने राज्य में स्वच्छता मिशन की सफलता पर चर्चा की। अराधना पटनायक ने सम्मेलन में आये 68 देशों के 100 से ज्यादा प्रतिनिधियों को बताया कि झारखंड सरकार ने महिलाओं को शौचालय बनाने की ट्रेनिंग देकर उन्हें रानी मिस्त्री का दर्जा दिया और इसके जरिये उन्हें रोजगार भी मिला। अब तक झारखंड में 36 लाख 12 हजार शौचालय बनाये जा चुके हैं।
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