झारखंड में ग्रामीण सड़कों पर 4 हजार करोड़ खर्च होंगे

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मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झारखंड मंत्रालय में ग्रामीण विकास विभाग (ग्रामीण कार्य और पंचायती राज सहित) मामले की समीक्षा बैठक की
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झारखंड मंत्रालय में ग्रामीण विकास विभाग (ग्रामीण कार्य और पंचायती राज सहित) मामले की समीक्षा बैठक की

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा- वित्त आयोग की राशि पर गांव वालों का अधिकार

रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में ग्रामीण सड़कों पर 4 हजार करोड़ खर्च होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा- वित्त आयोग की राशि पर गांव वालों का अधिकार है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि 14वें वित्त आयोग की राशि पर हर गांव वाले का अधिकार है। इस राशि के माध्यम से राज्य के सभी गांवों में 30 सितंबर तक स्ट्रीट लाइट, टंकी और पाइप लाइन के माध्यम से पानी और पेभर ब्लॉक लगाने का काम पूर्ण कर लेना है। जहां ग्राम सभा से इनका अनुमोदन कराया जा चुका है, वहां पंचायती राज अधिकारी को काम पूर्ण कराने का निर्देश दें। पंचायती राज अधिकारी और निर्वाचित जन प्रतिनिधि को इसे हर हाल मे पूरा करा लेना होगा। इस मामले में किसी प्रकार की कोताही या लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। उक्त निर्देश मुख्यमंत्री ने झारखंड मंत्रालय में ग्रामीण विकास विभाग के कार्यों की समीक्षा के दौरान दिये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव में स्ट्रीट लाइट लग जाने से देर तक लोग आवागमन और व्यापार कर सकेंगे। महिलाएं भी सुरक्षित महसूस करेंगी। टंकी के माध्यम से पानी मिल जाने से रोजमर्रा के कार्यों के लिए पानी लाने दूर नहीं जाना होगा। साथ ही पेभर ब्लॉक लगने से गांव की गलियां भी साफ-सुथरी दिखेंगी और बरसात का पानी भी रिचार्ज हो सकेगा।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी ग्राम विकास समिति और ग्राम विकास समिति की बैठक नियमित करायें। पंचायती राज अधिकारी प्रखंडवार बैठक कर समिति के अध्यक्ष को जल प्रबंधन के लिए जागरूक करें। सरकार द्वारा दिये जा रहे पांच लाख रुपये की राशि को ट्रेंच, चेक डैम आदि बनाकर जल संचयन की जानकारी दें। जल्द से जल्द आंकलन कराकर कार्य शुरू करें, ताकि बरसात का पानी बहने से रोका जा सके।

बैठक में बताया गया कि इस वर्ष ग्रामीण पथ-पुलिया बनाने और उनके सुदृढ़ीकरण में लगभग चार हजार करोड़ रुपये की राशि खर्च की जा रही है। मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना के तहत 600 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। इस राशि का बड़ा हिस्सा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में घूमेगा, जिससे गांव सुदृढ़ होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बरसात समाप्त होते ही सितंबर से कार्य शुरू हो जाये। इसके लिए जरूरी प्रक्रिया पहले ही पूर्ण कर लें। सारे कार्यों के पूर्ण होने का समय निर्धारित करें और लगातार उसकी मॉनिटरिंग करते हुए काम पूरा करायें। गांवों को जोड़नेवाले छोटे-छोटे पुलों को प्राथमिकता दें।

ग्रामीण कार्य मामले की सचिव अराधना पटनायक ने बताया कि वर्तमान सरकार में राज्य संपोषित योजना से 9591 किमी नयी सड़कें बनायी गयीं, जबकि राज्य गठन से 2014 तक 13562 किमी सड़कें ही बनायी जा सकीं थीं। इसी प्रकार प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में इस सरकार में 13274 किमी नयी सड़क बनायी गयी, जबकि इसके पहले मात्र 8686 किमी सड़क ही बनी थी। साथ ही 5100 बसावटों को भी जोड़ा गया। मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना के तहत वर्तमान सरकार में साढ़े चार साल के दौरान 558 पुलों का निर्माण किया गया, जबकि इससे पहले 14 वर्षों में 1132 पुलों का निर्माण हुआ था।

बैठक में मुख्यमंत्री ने यह निर्देश दिया कि 10 अक्टूबर 2019 तक प्रधानमंत्री आवास एवं डॉ भीमराव अंबेडकर आवास योजना के तहत बनने वाले सभी आवास निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया जाए। बैठक में ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अविनाश कुमार ने यह जानकारी दी कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लक्ष्य के विरुद्ध 86% आवास निर्माण का कार्य पूरा कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में कुल 5 लाख 28 हजार 791 आवासों का निर्माण का लक्ष्य था, जिसमें से 4 लाख 53 हजार 770 आवास निर्माण का कार्य पूरा हो चुका है।

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मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देशित किया कि आगामी 10 अक्टूबर तक बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर आवास योजना के तहत आवास निर्माण के लक्ष्य को पूरा कर लेना है। गरीबों को इस योजना का पूरा लाभ मिले, यह सुनिश्चित करें। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर आवास योजना के तहत आवासों का आवंटन महिलाओं के नाम पर ही हो, यह सुनिश्चित करें। सरकार ने नारी सशक्तीकरण को बढ़ावा देने का कार्य किया है। जरूरतमंद गरीब महिलाओं को आवास योजना के लाभ से जोड़ने का कार्य राज्य सरकार कर रही है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलों के उपायुक्तों को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर आवास योजना के तहत 250-250 आवास वैसे गरीबों को स्वीकृत करने का अधिकार दिया गया है, जिन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला हो अथवा वे लोग सूची में शामिल नहीं हों। इस कार्य को सभी जिलों के उपायुक्त प्राथमिकता के तौर पर करें।

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