मलिकाइन के पाती ः पलिहर के बानर बनले बराती

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मलिकाइन रोजे पाती पठावे के कहले रहली। कई दिन बात आज उनकर पाती पहुंचल बा। लीं, पढ़ीं अपना सभे-
पांव लागीं मलिकार! रउरा त रिसियात-खिसियात होखब कि कह के काहें चुपा गइल बाड़ी। हम एने लगन-पताई आ नेवता-हकारी में अझुरा गइल रहनी हां। लगन थाकल हा, त पाती लिखवावत बानी। ए मलिकार, रउरा त गइल होखब लालू के बड़का बेटवा के बियाह में? पड़ोसी पांड़े बाबा का दुअरा त काल्ह लोग एतना ठहाका मार के हंसत रहे कि हमरा भागल दोगहा में आवे के परल। ई जाने खातिर कि काहें लोगवा हंसत बा। हंसी के बीच में बतकही से बात बुझाइल। खबर कागज में निकलल रहे कि बेटा के बियाह में लालू के नेवतरही एतना जुट गइल रहले कि खाये खातिर थरिया जुध हो गइल। कई जने के त खाना के जगहा लात-घूंसा खा के काम चलावे के परल। केतने लोग त बेखइले चल गयिल। ए मलिकार, हमरा ए बियाह से जेतना मन अगराइल बा, ओ से कम ई बूझे में मगजमारी करे के पड़त बा कि लालू-रबड़ी त अपना के गरीबवन के नेता कहे ला लोग। त बियवहा में एतना लुटवला के का दरकार रहल हा? सुननी कि पचीस हजार नेवतरही जूटल रहले। एह लोग के टाइम आ आवे-जाये के खरच जोड़ दीं त बियाह से तनिको कम खरच ना होई। रउरा त इयादे होई मलिकार, अपना इहां दूधवा जे दे जाला, कवन चौधरी उनकर नांव ह, इयाद नयिखे परत। बेचारा, बेटी के बियाह खातिर दुआरी-दुआरी फिफियात रहे। रउरो त कुछ देहलहीं रही। हमरा त चौधरी के बेटी के ऊ बियाह कबो ना भुलाला। एगो लालूजी इहां बियाह भयिल हा। कइसन जुग आ गयिल मलिकार! जाये दीं, हमरा त एही बात पर हंसी आवता कि पलिहर के बानर नियर जे बाराती माकत गयिल लोग आ माकत आइल लोग, ओकरा का भेंटाइल!
लमहर पाती पढ़े के रउरो लगे टाइम नयिखे आ हमरो कउवा हुलकावे के बा। आंगना गहूं धो के पसरले बानी।
राउरे
मलिकाइन

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