- डी. कृष्ण राव
कोलकाता। बंगाल में ममता बनर्जी को 70 वर्षीय ‘महागुरु’ यानी मिथुन चक्रवर्ती को रोकने के लिए 72 वर्षीय ‘गुड्डी’ यानी जया बच्चन को चुनावी अखाड़े में उतारना ही पड़ा। आजकल के पाठक इतना कमजोर नहीं हैं कि ‘महागुरु’ और ‘गुड्डी’ जैसे शब्दों के अंदर छुपे नामों को ढूंढ न पाएं। फिर भी जानकारी के लिए बता दें कि ‘महागुरु’ अर्थात मिथुन चक्रवर्ती और ‘गुड्डी’ यानी कोलकाता की की बेटी जया भादुरी।
भाजपा ने पहले चरण के चुनाव से पहले तुरुप का पत्ता मिथुन चक्रवर्ती को पॉकेट से निकाला और बांकुड़ा, पुरुलिया, मेदिनीपुर, हावड़ा, कोलकाता समेत पूरे बंगाल में रोड शो के जरिए हल्ला मचा रखा है। केशियारी से लेकर खड़गपुर, हावड़ा और कूचबिहार तक जहां भी महागुरु के पीछे लोग ही लोग दिखे। भाजपा में जितने भी स्टार प्रचारक हैं, इनदिनों प्रधानमंत्री के बाद अगर किसी के रोड शो में सबसे ज्यादा लोग जुटते हैं, तो वह हैं मिथुन चक्रवर्ती।
भाजपा ने सुनियोजित रणनीति के तहत मिथुन चक्रवर्ती को सड़क पर उतारा है। बंगाल में यह सवाल उठ रहा था कि अगर भाजपा जीतती है तो बंगाल में मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा- बंगाली या गैर बंगाली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद कि बंगाल में बंगाल के भूमि पुत्र ही मुख्यमंत्री बनेगा और उसके बाद मिथुन चक्रवर्ती का भाजपा की ओर से प्रचार में उतरना लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि मिथुन चक्रवर्ती मुख्यमंत्री बन सकते हैं। दूसरा प्लस पॉइंट है कि मिथुन चक्रवर्ती बंगाल के भूमि पुत्र हैं। तीसरा कि मिथुन चक्रवर्ती ने तृणमूल कांग्रेस में रहते रोज वैली कांड में नाम आने पर रोज वाली से लिए तनख्वाह के रुपये एनफोर्समेंट डायरेक्टर को वापस कर बंगाल के लोगों में एक साफ सुथरी छवि बना ली।
भाजपा ने मिथुन चक्रवर्ती के इसी चेहरे का फायदा लेते हुए उन सीटों पर चुनाव प्रचार में उतारा है, जो भाजपा के लिए काफी मार्जिनल सीट हैं। भाजपा की रणनीति के तहत सिलबरस्टीन के नायक ने इन मार्जिनल सीटों पर रोड शो में ऐसा तहलका मचा रखा है कि वैसे वोटर जो अंतिम वक्त तक सोचते रहते हैं कि किसे वोट करें, उन्हें भाजपा के पाले में मिथुन चक्रवर्ती कामयाब हो जाएं तो आश्चर्य नहीं। इसलिए कि उनके रोड शो में जुट रही भीड़ का वोट में तब्दील होना लोग पक्का मान रहे हैं।
मिथुन चक्रवर्ती के रोड शो में उमड़ती भीड़ को देखते हुए माना जा रहा है कि 8-10% लोग भाजपा को वोट देने का मन बना सकते हैं। यह फ्लोटिंग वोट है, जो निर्णायक भूमिका अदा करता है। तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कई ऐसे सीटें हैं, जिन पर तृणमूल कांग्रेस का जीतना निश्चित था, लेकिन सिल्वर स्क्रीन के महागुरु वहां बाजी मारते दिख रहे हैं। इस परिवर्तन को देखते हुए तृणमूल कांग्रेस के आईटी सेल और चुनावी रणनीतिकार मिथुन चक्रवर्ती को काउंटर करने के लिए किसी को उतारने की सोच में थे। आखिर उस सोच का परिणाम जया भादुड़ी के रूप में है। बेदाग कैरियर और कोलकाता से खून का संबंध रखने वाली बंगाली अस्मिता को ठीक से जानने वाली सिल्वर स्क्रीन की इस नायिका को तृणमूल के नाव को पार लगाने के लिए मैदान में उतार दिया गया।
आज कोलकाता प्रेस क्लब में पत्रकारों के सवालों के जवाब में जया ने साफ कहा कि ममता बनर्जी बंगाल में लोकतंत्र को बचाने के लिए लड़ रही हैं और मैं कोलकाता की बेटी होने के नाते उनका साथ दूंगी। यहां तक उन्होंने कहा कि जो ममता बनर्जी की इस लड़ाई में साथ नहीं हैं, वे कोलकाता के साथ नहीं हैं। इसके बाद टालीगंज के तृणमूल प्रत्याशी अरुण विश्वास के लिए एक रोड शो में उन्होंने भाग लिया। आज उनके रोड शो में मिथुन चक्रवर्ती जैसी भीड़ तो नहीं उमड़ी, लेकिन लोग जुड़ते गए। कुछ लोगों का कहना है रोड शो के पहले बारिश ने मजा खराब कर दिया। आने वाले दिनों में उनके और भी चार रोड शो होने वाले हैं। वह ममता बनर्जी के साथ मंच भी शेयर कर सकती हैं। अब देखना है आगे-आगे होता है क्या।
कांग्रेस भी यही रणनीति अपना रही है, जो भाजपा की है। आज जिस टालीगंज सीट पर जया भादुड़ी का रोड शो हुआ, उस सीट से अरूप विश्वास के खिलाफ केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो चुनाव लड़ रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बार टालीगंज सीट काफी मर्जीनल सीट हो सकती है। यह माना जा रहा कि आगे चलकर तृणमूल कांग्रेस जया बच्चन को उन सीटों पर प्रचार में उतारेगी, जहां कांटे की टक्कर में है। बंगाल में इस बार जोर शोर से तृणमूल का नारा है- बंगाल अपनी बेटी को ही चाहता है (बांग्ला चाय नजेर मेय)। एक बेटी को बचाने के लिए बंगाल की एक और बेटी ने मोर्चा संभाला है। अब देखना है कि यह राजनीतिक जंग कौन जीतता है।