बिहार में 8000 सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति जून 2020 के पूर्व

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राज्यपाल की अध्यक्षता में हुई कुलपतियों की बैठक में उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी भी शामिल हुए
राज्यपाल की अध्यक्षता में हुई कुलपतियों की बैठक में उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी भी शामिल हुए

पटना। बिहार में लगभग 8000 सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति विश्वविद्यालय राज्य सेवा आयोग के जरिये जून 2020 के पूर्व कर ली जायेगी। 3500 शिक्षकों की बी॰पी॰एस॰सी॰ से बहाली हो चुकी है और लगभग 8000 सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति विश्वविद्यालय राज्य सेवा आयोग के जरिये जून 2020 के पूर्व कर ली जायेगी। राज्यपाल-सह-कुलाधिपति श्री लाल जी टंडन की अध्यक्षता में राजभवन में कुलपतियों की बैठक में राज्य के उप मुख्यमंत्री

श्री सुशील कुमार मोदी ने यह जानकारी दी। बैठक में शिक्षा मंत्री श्री कृष्णनन्दन प्रसाद वर्मा भी उपस्थित थे।

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अपने अध्यक्षीय संबोधन के दौरान राज्यपाल-सह-कुलाधिपति श्री टंडन ने कहा कि राज्य में उच्च शिक्षा के विकास हेतु संसाधनों की कोई कमी नहीं है। स्पष्ट नीति तैयार हो चुकी है तथा सतत अनुश्रवण हो रहा है। ऐसे में आवश्यकता है कि विकास की प्रक्रिया को और अधिक तेज किया जाये। राज्यपाल ने कहा कि नये भारत का निर्माण हो रहा है। बिहार की उच्च शिक्षा में हो रहे सुधार को पूरे देश में गंभीरता से देखा-परखा और स्वीकारा जा रहा है। आवश्यक है कि कुलपतिगण नवनिर्माण की इस प्रक्रिया में स्वयं भी यशस्वी बनकर उभरें और बिहार के समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त करें।

राज्यपाल ने कहा कि उच्च शिक्षा के विकास में हमारा सर्वोच्च लक्ष्य हमारे छात्र हैं। कुलपति, शिक्षक, सरकार, राजभवन- सभी छात्रों के भविष्य सुधार के लिए ही प्रयासरत हैं। राज्यपाल ने कहा कि उच्च शिक्षा के विकास-एजेन्डे में सर्वोपरि छात्रहित है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की अधिकाधिक उपस्थिति, उनका समय पर नामांकन, नियमित वर्ग-संचालन, उनके लिए उपयोगी, ज्ञानवर्द्धक और आधुनिक जरूरतों के अनुरूप रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम का निर्धारण, समय पर परीक्षा-आयोजन, ससमय परीक्षाफल प्रकाशन, दीक्षान्त समारोहों के जरिये डिग्री-वितरण, आनलाइन प्रमाण-पत्र वितरण आदि सुनिश्चित करना विश्वविद्यालयों का प्राथमिक दायित्व होना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि ‘परीक्षा-कैलेण्डर’ का अनुपालन हर हालत में सुनिश्चित कराया जाना चाहिए।

राजभवन में आयोजित कुलपतियों की बैठक को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार लोकसेवा आयोग द्वारा विभिन्न विषयों के 3,460 सहायक प्राध्यापकों के साक्षात्कार की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है। आगामी शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने से पूर्व क्रमबद्ध तरीके से उनकी नियुक्ति कर ली जाएगी। उन्होंने कहा कि 30 जून तक सभी विश्वविद्यालय सहायक प्राध्यापकों की रिक्तियां, जो करीब 7 हजार अनुमानित हैं, को एकत्र कर राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग को भेजें तो एक साल के अंदर प्रक्रिया पूरी कर नियुक्ति की जायेगी।

श्री मोदी ने विश्वविद्यालयों में छात्रों की कम उपस्थिति पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि डिजिटल, वीडियो और स्मार्ट क्लास के माध्यम से कक्षा को प्रभावी बनाने की जरूरत है। उन्होंने सभी कुलपतियों को सुझाव दिया कि आगामी शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के साथ ही सभी विश्वविद्यालयों में छात्र संध का चुनाव सम्पन्न करा लिया जाए। उन्होंने आश्वस्त किया कि सीएफएमएस की प्रारंभिक दिक्कतों को शीघ्र दूर कर विश्वविद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों को समय पर वेतन का भुगतान सुनिश्चित किया जायेगा।

राज्यपाल ने कहा कि कई सम्बद्धताविहीन महाविद्यालयों में दिग्भ्रमित होकर नामांकन ले चुके छात्रों के भविष्य को बचाने हेतु हमने क्रांतिकारी निर्णय लिया है। इसके फलस्वरूप लाखों छात्रों का भविष्य सुरक्षित हो चुका है। उन्होंने कहा कि सम्बद्धताविहीन महाविद्यालयों में नामांकन ले चुके विद्यार्थियों का व्यापक हित ध्यान में रखते हुए उन्हें निकटवर्ती अंगीभूत या सम्बद्ध कालेज में पुनर्नामांकित कराने की व्यवस्था की जा रही है। ऐसे छात्रों के अध्ययन के लिए संबंधित महाविद्यालयों में अतिरिक्त पालियों में अध्यापन-कार्य किए जाने के निदेश दिए गये हैं। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से लाखों छात्रों का भविष्य संवर जायेगा।

राज्यपाल ने कहा कि ‘मुझे यह स्थिति स्वीकार नहीं कि महाविद्यालयों में सीटें खाली रहें और छात्र सड़कों पर भटकते नजर आयें। उन्होंने अत्यन्त दृढ़ निश्चय के साथ कहा कि सुधार की इस प्रक्रिया को अंजाम तक पहुँचाने के लिए वे हरसंभव प्रयास करेंगे। उन्होंने अपने इरादे स्पष्ट करते हुए कहा कि जो विकास की इस प्रक्रिया और गति के साथ अपने को नहीं जोड़ पायेंगे, उन्हें अपने पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है। जिन्होंने आशाओं के अनुरूप रिजल्ट नहीं दिया, उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा। राज्यपाल ने उम्मीद जाहिर की कि वर्तमान सभी कुलपति अपनी जिम्मेवारी समझेंगे और विकास-प्रयासों को और अधिक तेज करने में अग्रणी भूमिका निभाएँगे।

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