काराकाट सीट पर मार-काट मचायेंगे कांति और कुशवाहा

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  • राणा अमरेश सिंह

पटना। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के महागठबंधन में एंट्री किए अभी एक हफ्ता भी नहीं हुए ह़ैं कि राजद की महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा की विश्वसनीयता पर सवाल उठा दिये हैं। लगे हाथ बता दें कि  इस पर रालोसपा के नेता सकते में हैं। फिर भी कमेंट करने करने से बच रहे हैं। कांति और कुशवाहा के बीच दरार की वजह काराकाट सीट है, जहां से उपेंद्र कुशवाहा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में कांति सिंह को पराजित कर दिया था। अब चूंकि दोनों महागठबंधन का हिस्सा हैं, इसलिए काराकाट सीट को लेकर ही कांति ने कुशवाहा पर तंज कसा।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के केबिनेट से इस्तीफा देकर और राजग से अलग होकर रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा 20 दिसंबर को बिहार में राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल हुए थे। उनके महागठबंधन में शामिल होने बाद पहली बार शनिवार को महिला राजद की राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति सिंह के साथ रोहतास जिले के नोखा बाजार में एक कार्यक्रम शामिल में थे। कार्यक्रम के बाद में पत्रकारों से बातचीत में कांति स़िह ने तंज कसा, उपेंद्र कुशवाहा कब तक महागठबंधन में रहेंगे? उन्होंने इस सवाल का जवाब मीडिया के माध्यम से कुशवाहा से जानने की इच्छा व्यक्त की। हालांकि कुशवाहा से जब यह सवाल पूछा गया तो हंस कर आगे बढ़ गए।

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विदित है कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव चुनाव में काराकाट लोस क्षेत्र  से राजग से उपेंद्र कुशवाहा और राजद से कांति सिंह एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी थे। उपेंद्र कुशवाहा ने कांति सिंह को एक लाख से अधिक मतों से पराजित किया था। राजग में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बढ़ते प्रभाव से उपेंद्र कुशवाहा असहज महसूस करते थे। यहां तक कि उपेंद्र कुशवाहा के काराकाट संसदीय क्षेत्र को जदयू अपने कोटे में लेने की जुगत में था।

दरअसल काराकाट लोकसभा सीट 2014 से पहले जदयू के ही कोटे में था। महागठबंधन में शामिल होने से पहले कुशवाहा ने राहुल गांधी व तेजस्वी यादव से काराकाट सीट अपने लिए सुरक्षित करने का आश्वासन लिया है। इसका खुलासा कुशवाहा ने दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में किया था। चूंकि कांति सिंह भी लालू प्रसाद यादव की विश्वसनीय मानी जाती हैं, इसलिए कुशवाहा को संशय था कि कांति सिंह इस सीट के लिए राजद पर दवाब डाल सकती  हैं।

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काराकाट लोकसभा क्षेत्र में कुशवाहा की जनसंख्या यादव जाति के ही आसपास है। इसलिए महागठबंधन प्रत्याशी की जीत के लिए दोनों के बयान महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।  किसी एक के भी बयान से पार्टी कार्यकर्ताओं में नकारात्मक संदेश जायेगा, जिसका खामियाजा महागठबंधन को भुगतना पड़ सकता है।

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