- डाॅ. उत्तम पीयूष
कभी यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति मार्शल टीटो के साथ बैठकर काॅफी पीने वाले बांग्ला सिनेमा के प्रख्यात गायक और बांग्ला आधुनिक गान में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले तथा ‘ टैगोर सांग्स ‘ के जिनके दो हजार से अधिक रेकॉर्ड बाजार में आए हों- मधुपुर वासी द्विजेन मुखोपाध्याय के निधन का समाचार जानकर मन बेचैन है। वे एक बड़े गायक थे- एक बहुत बड़े गायक।
बेशक उनका जन्म कोलकाता में 12 नवंबर 1927 को हुआ था पर उन्होंने अपना बचपन, अपनी किशोरावस्था और तरूणाई के पल मधुपुर में ही गुजारे और मधुपुर के ‘तरूण समिति ‘ क्लब की ओर से फुटबॉल भी खेला। लंबे और आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक द्विजेन तब चर्चा में आए जब उन्होंने ‘महालया ‘ में अपना महास्वर मिलाया।उनकी आवाज आकाशवाणी कोलकाता से गूँज उठी -“जागो दुर्गा ! तुमि जागो !!
जागो दशो प्रोहरण हारिणी
तुमि जागो !! “
मुझे एक आत्मिक सुख इस बात का है कि मैंने एक स्तंभकार बतौर ‘प्रभात ख़बर’ (देवघर संस्करण) के लिए उनका एक इंटरव्यू लिया था और वह भी मधुपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर तीन के चबूतरे पर बैठकर ।वह एक अंतरंग क्षण भी था और अविस्मरणीय पल भी।
‘शांति निवास ‘ बावनबीघा,मधुपुर में 1939/199 4 तक का सफर तय करने वाले द्विजेन ने मुंबई फिल्म नगरी में ‘ माया ‘,’मधुमति’,’हनीमून’,’सपने सुहाने’, ‘हीरामति’,’जवाहर,’पहली झलक’,’ श्री रामचंद्र’ जैसी हिंदी फिल्मों के लिए गाकर प्रसिद्धि पाई।
द्विजेन के मधुपुर प्रवास का एक बेहद रोचक प्रसंग यह भी है कि एक समय जब भारत के महान गायक कुंद लाल सहगल मधुपुर पधारे और युवा द्विजेन उनसे मिलने पंहुचे तब सहगल साहेब ने द्विजेन से पूछा -‘ बतलाओ मैं कौन हूँ ।’
तब द्विजेन ने छूटते ही कहा -‘ मैं क्या जानूं/क्या जानूं/क्या जा नूं रे..’
यह सुनकर के एल सहगल ने द्विजेन को गले से लगा लिया और भाव विभोर हो गये।बाद में द्विजेन के आग्रह पर ही सहगल साहब तांगा गाड़ी से बावन बीघा,मधुपुर में एक सांस्कृतिक समारोह में शामिल हुए जहाँ वे बांग्ला न जानते हुए भी थोड़े अभ्यास से जो ‘रवीन्द्र संगीत’ पेश किया तो भोद्रोजोन श्रोतागण भाव मुग्ध से हो गये और द्विजेन तथा सहगल साहब – दोनों की आंखों में आंसू झिलमिला पड़े।
द्विजेन मुखोपाध्याय ‘ मधुपुर के कल्चरल लीजेंड ‘ थे। उनकी विरासत अब कौन थामता है- यह काबिल ए गौर है। अब तो उनकी वह जानदार और दिलों में उतरती आवाज पुकारती है –
” ए दिल कहां तेरी मंजिल
न कोई दीपक है न कोई तारा
गुम है जमीं दूर आसमां
ए दिल कहां तेरी मंजिल ।” (फेसबुक वाल से साभार)
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