साफ-सुथरी भोजपुरी फिल्मों के वितरण की समस्या खत्म

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वैष्ण्‍णवी  फिल्म्‍स क्रिएशन मॉल ने नाम की कंपनी ने वितरण के लिए रजिस्ट्रेशन 

पटना। साफ-सुथरी भोजपुरी फिल्मों  के मेकर्स के लिए एक अच्छी खबर है। वह खबर वितरण जगत से जुड़ी हुई है। दरअसल अश्लीलता के इस दौर में साफ-सुथरी फिल्में  बनाने से लोग इसलिए भी कतरा रहे थे कि उन्हें वितरक ही नहीं मिलते थे। बिहार-झारखंड के सारे वितरकों की दिलचस्पी  बस दिनेश लाल निरहुआ, पवन सिंह, खेसारी लाल यादव, रवि किशन आदि की फिल्मों में ही हुआ करती थी। लेकिन कहते हैं न कि गलत काम का अंजाम एक दिन गलत ही होता है और आज नतीजा सभी के सामने है। ऐसी फिल्मों के वितरण के लिए ‘वैष्णवी  फिल्‍म्‍स क्रिएशन मॉल’ नामक एक नयी वितरण कंपनी बनी है।

इन सारी बातों के बीच आज जब पुराने वितरकों ने भोजपुरी फिल्मों  के वितरण से या तो खुद को अलग कर लिया है या फिर वे शांत बैठ गये हैं, तो ‘वैष्णवी  फिल्‍म्‍स क्रिएशन मॉल’ नामक एक नयी वितरण कंपनी ने वितरण की दुनिया में कदम रखा है। इसके लिए हर किसी को तारीफ करनी चाहिए। तारीफ इसलिए कि पटना स्थित इस वितरण कंपनी ने संकल्प  लिया है कि वह भोजपुरी की दागदार इमेज को साफ करने के लिए अपनी जान लड़ा देगी और अश्लील फिल्मों से खुद को हमेशा दूर ही रखेगी।

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कहने का तात्पर्य यह कि जिस किसी निर्माता के पास साफ-सुथरी फिल्में हैं, वे इस कंपनी से संपर्क साध सकता है। इसकी कर्ताधर्ता नीता कुमारी हैं। संपर्क नं. है- 9708755611 है। फिलहाल कंपनी जिन तीन फिल्मों का वितरण करने जा रही है, वे हैं- ‘लाल’, ‘दहेज दानव’ और ‘हमरा तोहसे प्‍यार भइल बा’।

वैसे मौजूदा स्थि’ति तो यही है कि आज जो भी फिल्में आ रही हैं, वे लगभग सभी कमीशन या एडवांस कमीशन पर ही रिलीज हो रही हैं। बात अगर एमजी की करें तो किसी भी वितरक में अब इतनी ताकत नहीं रह गयी है कि वह एमजी के तौर पर किसी निर्माता को मोटी रकम देकर अपनी फिल्म रिलीज करे।

सूत्रों की मानें तो दिनेश लाल निरहुआ, पवन सिंह और खेसारी लाल यादव की फिल्मों  को एमजी पर लेकर रिलीज करनेवाले कई निर्माता आज अपनी किस्मत पर रो रहे हैं। उनका कहना है कि इन तीनों तथाकथित स्टाररों की फिल्मों  की रिलीज के चक्ककर में वे बर्बादी की कगार पर पहुंच गये हैं। उनका मानना है कि अब इनकी फिल्मों को 25-30 लाख से ज्यादा एमजी देना खतरे से खाली नहीं रह गया है। निरहुआ की ज्यांदातर फिल्मों  को रिलीज करने वाले निशांत ने तो पटना छोड़ कर आजकल मुंबई में डेरा डाल लिया है। एक महीने से मुंबई में रह रहे निशांत का कहना है कि भोजपुरी फिल्मों को एमजी के तौर पर मोटी रकम देना अब संभव नहीं रह गया है। फिलहाल वे मुंबई में बैठ कर खुद फिल्म प्रोड्यूस करने की तैयारी में लगे हुए हैं। याद रहे, निरहुआ ने अपनी खुद की वितरण कंपनी खोल ली है।

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एक अन्य नामी वितरक प्रवीण का भी यही कहना है कि भोजपुरी फिल्मों का वितरण कर के वे बहुत घाटा खा चुके हैं। अब और रिस्क लेने की हिम्मत नहीं रह गयी है। वे भी पटना छोड़ कर मुंबई जा चुके हैं कोई और बिजनेस करने के इरादे से। संक्षेप में कहें तो इतनी विपरीत परिस्‍थितियों में भोजपुरी फिल्मों के वितरण के लिए कमर कसना कोई आसान बात नहीं है। बावजूद इसके वैष्णोवी फिल्म्स ने जो हिम्मकत दिखायी है, उसके लिए उसकी तारीफ करनी ही होगी।

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