बेगूसराय (नंदकिशोर सिंह)। नगर निगम क्षेत्र के सर्वोदय नगर स्थित शहीद सुखदेव सिह सभागार में मंगलवार को शहीद सुखदेव सिंह समन्वय समिति के अध्यक्ष सह शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में नववर्ष को लेकर एक मिलन समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जिले की तीन महान विभूतियों की जयंती एक साथ मनायी गयी। इन विभूतियों में शामिल हैं- जिले के क्रांतिकारी योद्धा शहीद कॉमरेड सुखदेव सिंह, इतिहासकार सह जीडी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ अखिलेश्वर कुमार और जनपद के साहित्यकार व पुरोधा डॉ0 वचनदेव कुमार।
इस मौके पर उन तीनों महान विभूतियों के तैल चित्रों पर माल्यार्पण करने वालों में नगर निगम के पूर्व महापौर आलोक कुमार अग्रवाल, जदयू के वरिष्ठ नेता चितरंजन प्रसाद सिंह, शिक्षकों के प्रांतीय नेता डॉ. सुरेश प्रसाद राय, जेपी सेनानी संघ के प्रदेश महासचिव डॉ. शैलेंद्र कुमार सिंह, अधिवक्ता राजेंद्र महतो, प्रत्यक्ष गवाह पत्रिका के संपादक पुष्कर प्रसाद सिंह, शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह, साहित्यकार डॉ चंद्रशेखर चौरसिया, कवि अलख निरंजन चौधरी, शिक्षक चंद्रशेखर सिंह समेत कई अन्य लोगों ने माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये। इस अवसर पर कई वक्ताओं ने उन महान तीनों विभूतियों के व्यक्तित्व व कृतित्व पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। वहीं मंच का संचालन साहित्यकार चंदशेखर चौरसिया ने किया।
इधर हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बावजूद बेगूसराय जिले में लोग नए साल के जश्न में डूबे दिखे। ठंड के बावजूद लोगों में भारी उत्साह का माहौल दिखा। जिले के सभी पर्यटक स्थल नए वर्ष के पहले दिन लोगों से गुलजार रहे, तो कई लोग पहले दिन भगवान के शरण में पहुंचे।
मंझौल अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत माता जयमंगला गढ़ स्थित जयमंगला मंदिर, शहर मुख्यालय क्षेत्र के नौलक्खा मंदिर में नववर्ष को लेकर पिकनिक मनाने वालों की भारी भीड़ सुबह से ही देखी गयी। बेगूसराय शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्र के मंदिरों में भी नए वर्ष को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ पूजा-अर्चना करने के लिए उमड़ी। जयमंगला मंदिर, शहर के कर्पूरी स्थान शिव मंदिर, विशनपुर रोड स्थित काली मंदिर, शिव मंदिर, सिमरिया गंगा तट पर चिदात्मन जी महाराज बाबा की कुटिया स्थित चौसठ योगिनी काली मंदिर, सर्वमंगला दुर्गा मंदिर, बीहटबड़ी दुर्गा मंदिर, चित्र वाणी के पास बड़ी दुर्गा मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पूजा-अर्चना के लिए जुटी। मंगलवार का दिन होने के कारण लोगों ने नववर्ष के पहले दिन देव दर्शन को ज्यादा तरजीह दी।
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