रांची। रिम्स का प्राइवेट वार्ड बिहार के सियासी खेल का गवाह बन गया है। यहां चारा घोटाले का सजायाफ्ता बन कर राजनीति के मास्टर और राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव यहां विराजमान हैं। उनसे मिलनेवालों की तादाद बढ़ती जा रही है। शनिवार के मुलाकातियों में सांसद पप्पू यादव का भी नाम था, लेकिन लालू ने हटवा दिया।
जेल प्रशासन मुलाकातियों की बढ़ती भीड़ से निपटने की विशेष तैयारी की है। वहीं झारखंड सरकार ने भी जेल मैन्युअल का पालन करने व लालू यादव की सुरक्षा को चाक-चौबंद करने का आदेश दिया है। खबर है कि मुलाकातियों की लिस्ट से सांसद पप्पू यादव का नाम हटा दिया गया है। लालू से मुलाकात के बाद मांझी की हालत भी कुशवाहा जैसी दिखी बताया जा रहा है कि मुलाकातियों की लंबी फेहरिस्त छोटी करने के क्रम में लालू की सलाह पर ही पप्पू यादव का नाम हटाया गया है।
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सूत्रों की मानें तो लालू यादव की सलाह से ही उनके दोनों बेटे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव उत्तर प्रदेश के दौरे पर हैं। यह जानने-समझने के लिए ऐसा किया गया है कि कौन-सा तरीका अपनायें, जिससे कांग्रेस काबू में रहे।
कहा तो यहां तक जा रहा है कि कांग्रेस को महज डराने के लिए लालू ने अपने लालों को मायावती और अखिलेश से मिलने को भेजा है। इससे दो फायदा होगा। पहला यह कि कांग्रेस काबू में आयेगी या बगावत कर यूपी की राह चली चलेगी। अगर खुद अलग हो जाती है तो राजद इसके इल्जाम से बच जायेगा, जैसा उत्तर प्रदेश में मायावती-अखिलेश पर लग रहा है। दूसरा, सीटों की मांग पर कांग्रेस की बोलती बंद हो जायेगी और वह राजद की दया पात्र बन जायेगी।
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