- सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस भेजा
- नोटिस का जवाब चार सप्ताह में देना है
नयी दिल्ली। गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है, जबकि केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इससे पिछले कई दिनों से सियासी जगत में चल रही ऊहापोह की स्थिति खत्म हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट में गरीबों सवर्णों को आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इन याचिकाओं में कोर्ट से आरक्षण देने पर रोक लगाने की मांग की गई थी, लेकिन कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया। सियासी हलकों में कहा जा रहा था कि यह नरेंद्र मोदी सरकार का चुनावी शिगूफा है और कोर्ट इसे निरस्त कर देगा। पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद इसे प्रदेश में लागू करने की बात कही थी। इस तरह के विचार कई अन्य राज्य सरकारों ने व्यक्त किये थे।
मामले पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की नेतृत्व वाली बेंच ने कहा- हम इस मामले का निरीक्षण करेंगे। हालांकि कोर्ट ने इस पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने सरकार को नोटिस का जवाब 4 सप्ताह के अंदर देने को कहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले पर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई 4 सप्ताह के अंदर होगी।
हाल ही में केंद्र सरकार ने संविधान संशोधन विधेयक के जरिए आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का बिल संसद से पास कराया था। राज्यसभा और लोकसभा से बिल के पारित होने के बाद राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के साथ ही यह विधेयक कानून बन चुका है।
कई एनजीओ समेत अन्य संगठनों ने याचिका दायर कर इसे खारिज करने की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि आरक्षण देने का एकमात्र आधार आर्थिक नहीं हो सकता है। इसे संविधान की मूल भावना का उल्लंघन बताया गया था। दूसरा कारण, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व में दिये गए 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन बताया गया है।
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