- सिखों के सुप्रीम तख्त अमृतसर ने दी है सजा
- गुरुद्वारा के शिलान्यास कार्यक्रम में दिया था बयान
- विवाद के बाद स्वीकार की थी अपनी गलती
पटना। पटना साहिब के अध्यक्ष अवतार सिंह को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ करना महंगा पड़ गया। उन्होंने नीतीश की तुलना सिख गुरुओं से कर दी थी। यही उनकी परेशानी का सबब बन गया। उन्हें अमृतसर स्थित गोल्डन टेम्पल में 5 दिन और पटना साहिब में 7 दिनों तक श्रद्धालुओं के जूठे बर्तन धोने और जूते साफ करने की सजा मिली है। यह सजा सिखों के सुप्रीम कमान अमृतसर से मिली है। सजा भुगतने के बाद वे पटना साहिब प्रबंधक कमिटी के अध्यक्ष बने रहेंगे।
हालांकि अवतार सिंह ने अपनी गलती सिखों की सुप्रीम बाडी अमृतसर के अकाल तख्त के सामने स्वीकार कर ली थी। इसी के बाद उन्हें 12 दिनों तक गुरुद्वारा में लोगों के जूते और जूठे बर्तन साफ करने की धार्मिक सजा दी गई है। अब उन्हें हरमंदिर जी पटना साहिब में 12 दिनों तक रोज एक घंटा जूता घर में काम करना होगा। गुरुद्वारे में आने वाले लोगों के जूते साफ करने होंगे। पांच दिनों तक लगातार अमृतसर के गोल्डन टेंपल में जूठे बर्तन भी धोने पड़ेंगे। इतना ही नहीं, उन्हें गोल्डन टेंपल में होने वाला कीर्तन भी रोज एक घंटे सुनना होगा।
अमृतसर में सेवा के साथ ही यही प्रक्रिया उन्हें पटना साहिब गुरुद्वारे में भी सात दिनों तक दोहरानी होगी। सेवा पूरी होने के बाद अवतार सिंह हित को श्री अखंड साहिब का पाठ करवाने का भी आदेश दिया गया है। उन्हें अमृतसर और पटना दोनों ही गुरुद्वारों में 5100-5100 रुपये का कड़ाह प्रसाद भी कराना होगा। उन्हें कड़ाह पाठ में 48 घंटे तक हिस्सा लेना होगा। इस दौरान वह अरदास करेंगे और गुरु से क्षमा मांगेंगे।
12 जनवरी को राजगीर में गुरुद्वारा के शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान उन्होंने नीतीश कुमार की तुलना गुरुओं से कर दी थी। इस मामले में उन्हें अकाल तख्त जितेंद्र हरप्रीत सिंह की ओर से नोटिस जारी हुआ था। हालांकि अवतार सिंह ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा था कि सीएम नीतीश कुमार ने सिखों के लिए बहुत काम किया है। उन्होंने पांच सौ करोड़ की जमीन गुरुद्वारा साहिब को निःशुल्क दी है। ऐसे में मैंने भावुकतावश ऐसा बयान दे डाला, जो कि सही नहीं था।