चीन ने फिर एक चाल चली। उसने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी होने से बचा लिया। चीन के राष्ट्रपति का भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल के आरंभिक दिनों में भारतीय भूमि पर जिस गर्मजोशी से स्वागत किया, उसके बाद लगा था कि चीन के साथ भारत के रिश्ते सुधर जाएंगे। लेकिन बार-बार सीमा पर तनाव उत्पन्न कर चीन ने यह साबित कर दिया कि उसके इरादे में कोई फर्क नहीं आया है। वह अब भी भारत को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता है। भारत पर दबाव बनाने के लिए चीन ने पाकिस्तान पोषित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को हथियार बना लिया है। उसने 10 साल में चौथी बार मसूद को बचा लिया। दर असल चीन की योजना पाकिस्तान में 100 बिलियन डालर से ज्यादा निवेश करने की है। पाकिस्तान में पंजीकृत विदेशी कंपनियों में सबसे अधिक 77 चीन की है।
चीन जानता है कि मसूद अजहर भारत में अपनी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता रहा है। भारत घरेलू मोर्चे पर पाकिस्तानी आतंकवाद से जूझने में उलझा हुआ है। भारत चाहता है कि मसूद जैसे आतंकवादी वैश्विक आतंकवादियों की सूची में शामिल हो जायें तो आतंकवाद के खिलाफ उसकी वैश्विक मुहिम को कामयाबी मिल सकती है। चीन ने भारत की इस कमजोर कड़ी को समझ लिया है। बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के प्रस्ताव पर चीन ने वीटो कर मसूद अजर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने में अड़ंगा लगा दिया। दस साल में चौथी बार ऐसा हुआ कि चीन ने मसूद को बचा लिया।
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दरअसल चीन भी मुसलिम आतंकवाद से तबाह है। इसमें उसे पाकिस्तान का समर्थन चाहिए। चीन में उईगर मुसलमानों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाये गये हैं। पाबंदी ऐसी कि उईगर मुसलमान चीन में खुले में नमाज भी नहीं पाते। इस्लामिक देशों में सिर्फ पाकिस्तान ही चीन द्वारा लगाये गये प्रतिबंधों को सही मानता है। यानी पाकिस्तान की जरूरत चीन को भी इस मामले में हैं।
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पाकिस्तान के साथ चीन के खड़े होने की एक और बड़ी वजह भी है। पाक में चीन सी पैक में 55 बिलियन डालर का निवेश करने वाला है। दूसरी कई परियोजनाओं में भी चीन ने पाकिस्तान में 46 बिलियन डालर का निवेश किया है। पाकिस्तान में रजिस्टर्ड विदेशी कंपनियों में सबसे ज्यादा 77 चीन की है। यानी पाकिस्तान को एक बड़े बाजार के रूप में चीन देखता है। साथ ही भौगोलिक रूप से भारत के इर्द-गिर्द चीन अपनी उपस्थिति बना लेगा, जो भारत पर दबाव बनाये रखने के लिए जरूरी है।
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भारत के प्रति चीन के इस रुख का एक और कारण है। भारत के संबंध अमेरिका के साथ अच्छे हैं। यह चीन के प्रतिकूल बैठता है। इसीलिए चीन ने मसूद अजहर को मोहरा बनाया है। भारत में शरण लिये दलाई लामा भी चीन की नाराजगी की एक वजह हैं। भारत जैसे मसूद को आतंकी समझता है, चीन भी दलाई लामा को उसी श्रेणी में खड़ा करता है।
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