अमिताभ बच्चन की एक और अदाकारी, बांधे रखता है बदला का सस्पेंस 

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  • नवीन शर्मा

अमिताभ बच्चन जैसे जैसे बूढ़े होते जा रहे हैं, अनकी अभिनय क्षमता में जबरदस्त निखार आता जा रहा है। वे अपने दमदार व एनर्जेटिक पर्फामेंस से हर बार चौंकाते हैं। फिल्म निर्देशक सुजोय घोष की बदला फिल्म में भी अमिताभ के इस जादू से आप खुद को बंधा हुआ पाएंगे। इस फिल्म में बादल गुप्ता बने अमिताभ अपनी क्लाइंट से जानकारी लेने के लिए उसके घर आते हैं। पूरी फिल्म अमिताभ बच्चन और तापसी पन्नू के एक ही रूम में बातचीत पर है। ऐसी सिचुएशन में फिल्म के बोझिल होने का बहुत चांस था लेकिन अमिताभ और तापसी पन्नू की बेहतरीन अदाकारी और रोचक  संवाद दर्शकों को बांधे रखते हैं।

बदला  स्पेनिश भाषा की ‘द इनविजिबल गेस्ट’ फिल्म का रिमेक है। इस सस्पेन्स थ्रिलर में नैना सेठ बनी तापसी पन्नू का विवाहेतर संबंध रहता है। नैना सेठी बेहद कामयाब महिला उद्यमी हैं। वह अपने प्रेमी के साथ पेरिस से बाहर जाकर एक होटल में रुकती हैं। वहां से लौटने के क्रम में एक्सिडेंट होता है तो खुद को प्रेमी के साथ पुलिस के सामने आने से बचने के लिए नैना एक्सिडेंट के साक्ष्य मिटाने लग जाती हैं। सारी कहानी इसी घटना के इर्दगिर्द घूमती है।

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एक्सिडेंट में एक युवक घायल होता है। इसके बाद वह युवक गायब हो जाता है। इस युवक की मां बनी रानी सिंह की भूमिका में अमृता सिंह बढ़िया रोल किया है। रानी सिंह के अपने बेटे की तलाश की जद्दोजहद में कहानी आगे बढ़ती है। इसी क्रम में नैना के प्रेमी की भी एक होटल के रूम में हत्या हो जाती है। होटल के रूम से नैना को पुलिस पकड़ लेती है।  पैसेवाली नैना बादल गुप्ता बने अमिताभ बच्चन को अपने एडवोकेट के रूप में रखती है। वो चाहती है की अपने करियर में एक भी मुकदमा नहीं हारने वाले बादल गुप्ता उसे बचा लें।

इस केस को लड़ने के लिए बादल गुप्ता बने अमिताभ अपनी क्लाइंट से जानकारी लेने के लिए उसके घर आते हैं। पूरी फिल्म अमिताभ बच्चन और तापसी पन्नू के एक ही रूम में बातचीत पर है। ऐसी सिचुएशन में फिल्म के बोझिल होने का बहुत चांस था लेकिन अमिताभ और तापसी पन्नू की बेहतरीन अदाकारी और रोचक  संवाद दर्शकों को बांधे रखते हैं। नैना बादल गुप्ता को एक्सिडेंट और अपने प्रेमी की हत्या की कहानी अलग अलग तरीकों से बयान करती है। बादल गुप्ता उसके झूठ को पकड़ते हैं और बातों में उलझा कर उसे सच बोलने को मजबूर कर देते हैं। वे सारी बातचीत बकायदा अपना फोन नैना के सामने रख कर रेकार्ड करते हैं।

खासकर बादल गुप्ता बने अमिताभ जब कहते हैं कि वो मूर्ख होता है जो सिर्फ सच को ही जानता है, पर सच और झूठ के फर्क को नहीं जानता।’ ‘बदला लेना हर बार सही नहीं होता, लेकिन माफ कर देना भी हर बार सही नहीं होता।’ ‘सच वही होता है जिसे साबित किया जा सके।’ ‘क्या मैं वही 6 देख रहा हूं जो तुमने मुझे दिखाया या वो 9 जो मुझे देखना चाहिए था? फिल्म में बादल गुप्ता बार-बार महाभारत के संर्दभों का इस्तेमाल करते हैं। वे खुद को घृतराष्ट्र बताते हुए नैना को संजय की तरह पूरा घटनाक्रम सच सच बताने को कहता है। नैना काफी टाल मटोल और घुमा फिरा कर सच बयान कर देती है।

फिल्म कुल मिलाकर अच्छी सस्पेंस थ्रिलर है लेकिन हम सुजोय की ही फिल्म कहानी से तुलना करें तो हर लिहाज  से बदला उससे कमजोर नजर आती है। कहानी में उसके बैकड्राप कोलकाता बहुत ही लाजवाब ढंग से उभर कर  सामने आता है। वहां की पूरी सभ्यता व  संस्कृति भी  साथ  साथ दिखती चलती है। बदला में यह खूबी नहीं है।

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फिल्म में तीन ही कलाकार असर छोड़ते हैं। तापसी के प्रेमी के किरदार में कोई मंजा हुआ अभिनेता होता तो फिल्म ज़्यादा असरदार होती। मानव कौल जैसे प्रतिभाशाली कलाकार को ढंग का रोल ही नहीं मिल पाया।

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फिल्म का क्लाइमैक्स सुजोय अपनी फिल्म कहानी की तरह ही चौंकानेवाला करते हैं। जैसे कहानी में विद्या बालन का राज खुलता है वैसे ही इसमें अमिताभ बच्चन का राज भी खुलता है। लेकिन कुल मिलाकर अमिताभ बच्चन और तापसी Bपन्नू दो मिलकर भी कहानी  में विद्या बालन जैसे कमाल नहीं दिखा पाते हैं। हां जो दर्शक तुलना नहीं करेंगे उनको ये फिल्म पसंद आएगी।

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