पटना साहिब में कड़ी टक्कर, भाजपा में भितरघात के खतरे

0
280
शत्रुघ्न सिन्हा (बायें) और रविशंकर प्रसाद(दायें)

पटना। पटना साहिब क्षेत्र में कड़ी टक्कर की प्रबल संभावना है। भाजपा में भितरघात के खतरे भी कम नहीं। निर्णायक जातियों के वोट बंटने की संभावना है। इस लोकसभा क्षेत्र से NDA ने केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को उतारा है तो कांग्रेस ने शत्रुघ्न सिन्हा अपना उम्मीदवार बनाया है। पहले नाम घोषित होने के कारण रविशंकर प्रसाद का चुनाव प्रचार पहले शुरू हो गया, जबकि शत्रुघ्न सिन्हा ने कल से अपना प्रचार शुरू किया है। दोनों एक ही बिरादरी से आते हैं और उनकी बिरादरी के वोटर भी पटना साहिब में अधिक हैं, इसलिए दोनों को ज्यादा भरोसा अपनी बिरादरी के वोटों पर है।

यह भी पढ़ेंः मोरारजी देसाई खुद का बैठकखाना यानी घर नहीं बनवा सके थे

- Advertisement -

रविशंकर प्रसाद के लिए सबसे बड़ी दिक्कत भाजपा के भीतर ही दिखती है। राज्यसभा सदस्य आरके सिन्हा ने पटना साहिब से भाजपा के टिकट के लिए पूरा जोर लगाया, लेकिन अंततः वे नाकाम रहे। इससे उनके समर्थक इतने गुस्से में आ गये कि रविशंकर प्रसाद के पटना पहुंचते ही एयरपोर्ट पर उन्हें काला झंडा दिखाया। उन्हें प्रबल विरोध का सामना करना पड़ा। मारपीट भी हुई। इस मामले से आरके सिन्हा ने पल्ला झाड़ लिया। उनका कहना था कि वे उनके समर्थक नहीं थे। पर, समझने वाले समझ गये कि अगर उनके लोग नहीं थे तो रविशंकर प्रसाद का इस कदर विरोध करने वाले आखिर कौन थे और उन्हें प्रसाद से क्या खुन्नस थी। बहरहाल, यह मामला पुलिस में भी दर्ज हो चुका है। इससे यह साफ है कि कायस्थ बिरादरी से ही आने वाले आरके सिन्हा को चाहने वाले उनके टिकट नहीं मिलने का हिसाब चुकता कर सकते हैं।

यह भी पढ़ेंः महाराजगंज का महाराज बनने के लिए मच गया घमासान

शत्रुघ्न सिन्हा दो बार से इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व संसद में करते रहे हैं। 2014 का चुनाव जीतने के बाद भाजपा में उनकी खटपट शुरू हो गयी थी। तभी से यह तय माना जा रहा था कि इस बार भाजपा उन्हें उम्मीदवार नहीं बनायेगी। अगर दस साल की अपनी सांसदी में उन्होंने लोगों में कोई जगह बनायी होगी तो यकीनन इसका लाभ उन्हें मिलेगा, लेकिन भाजपा के कैडर वोट से उन्हें मुश्किल होगी।

यह भी पढ़ेंः जगजीवन राम, जिन्हें कभी अगड़ों ने दुत्कारा, फिर बाबूजी कह पुकारा

पटना साहिब में मुकाबला इन दोनों ही उम्मीदवारों में मुकाबला माना जा रहा है। शत्रुघ्न को उम्मीद है कि राजद और कांग्रेस के समर्थक उनका साथ तो देंगे ही, आरके सिन्हा के समर्थकों का भी उन्हें लाभ मिलेगा। इस क्षेत्र में कायस्थों की तादाद ज्यादा है। कायस्थों के बाद यादव और राजपूत भी बहुतायत हैं। पिछले दो चुनावों में यहां कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही है। शत्रुघ्न सिन्हा की एक ताकत यह भी है। इसलिए अनुमान लगाया जाता है कि इस सीट पर कांटे की टक्कर है।

यह भी पढ़ेंः मलिकाइन के पाती- पोखरा खोनाइल ना, घरियार डलले डेरा

- Advertisement -