- शेष नारायण सिंह
बीजेपी के लिए चुनाव बहुत ही नाजुक दौर में पहुंच चुका है। अगले चार दौर के चुनाव क्षेत्रों से पिछली बार बीजेपी ने लगभग 190 सीटें जीती थीं। अगर इस संख्या में कोई बड़ी कमी हुई तो सरकार बनाना मुश्किल हो जाएगा। अभी तक के संकेत उनके लिए ठीक नहीं हैं।
पुलवामा, बालाकोट, राष्ट्रवाद,पाकिस्तान जैसे मुद्दे वह असर नहीं दिखा सके, जिसकी बीजेपी के नेताओं को उम्मीद थी। इन मुद्दों के कारण वे ही मतदाता वापस आये, जो पारंपरिक रूप से बीजेपी को वोट देते हैं और नाराज होकर चले गये थे। 2014 वाला माहौल नहीं बन पा रहा था, जब सभी लोग जाति का बंधन तोड़कर बीजेपी के साथ जुट गए थे और दो करोड़ नौकरियाँ प्रतिवर्ष, किसान की आमदनी दुगुनी और गुजरात माडल के विकास की उम्मीद में नरेंद्र मोदी को अपने वोट दे दिये थे। उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में यह भी उम्मीद थी कि मुसलमानों को भी मोदी जी दुरुस्त कर देंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
इस बार जब विकास की बात चलाने की कोशिश की गयी तो वह तुरंत ही रिजेक्ट भी कर दी गयी, क्योंकि बीजेपी के रणनीतिकारों को साफ लग गया कि यह चलेगा नहीं। उत्तर भारत के मतदाताओं के एक बड़े वर्ग में नाराजगी बढ़ रही थी। उसी बीच पुलवामा हो गया और बालाकोट की घटना कर दी गयी। बीजेपी ने राष्ट्रवाद को मुद्दा बनाया और उनके अपने नाराज़ लोग वापस आ गए, लेकिन 2014 वाली बात नहीं बन रही थी।
पहले और दूसरे दौर में बड़ा नुक्सान हो गया था। ऐसा लगता है कि बीजेपी ने उसके बाद तय किया कि अब सब कुछ छोड़कर केवल और केवल नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व के इर्द-गिर्द सारी चुनावी रणनीतियों को चलाना है। उसी सिलसिले में अक्षय कुमार का इंटरव्यू हुआ, जिसमें नरेंद्र मोदी के इंसानी पक्ष को रेखांकित किया गया। उसको काम्प्लीमेंट करने और मोदी जी के राजनीतिक पक्ष की पैकेजिंग के लिए इंडिया टुडे का अस्सी गंग के तीर वाला इंटरव्यू किया गया, जिसमें नरेंद्र मोदी ने उन सवालों का जवाब विस्तार से दिया, जिनको लेकर आमतौर पर सवाल उठाये जाते हैं। लोग अपने कालमों में या टीवी की बहसों में उठाते हैं। इंडिया टुडे के इन्टरव्यू के बाद सारे सवालों के जवाब आ गए हैं।
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ऐसा लगता है कि अब कोशिश यह होगी कि बाकी चीज़ें भूल जाओ, नौकरी, किसान की आमदनी दुगुनी आदि मुद्दे बाद में ठीक कर लेंगे। पहले पकिस्तान को ठीक कर लीजिए, नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बना दीजिए, वे सब ठीक कर लेंगे। दोनों टीवी इंटरव्यू से यही सन्देश देने की कोशिश की गयी है कि सारी समस्याओं का हल नरेंद्र मोदी ही कर सकते हैं और कोई नहीं।
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बीजेपी के मीडिया प्लानिंग वालों की पैकेजिंग के तारीफ़ करनी पड़ेगी, क्योंकि अब जो चरण बाकी हैं, उसमें पार्टी ने अगर बहुत अच्छे नतीजों के लिए काम नहीं किया तो सरकार बनाना मुश्किल हो जाएगा। उत्तर प्रदेश का ही उदाहरण लें। अगले चार दौर के चुनावों में यहाँ 54 सीटों पर चुनाव होना है, जिसमें से 2014 में 50 सीटें बीजेपी/एनडीए के पास थीं। पिछले तीन दौर की चार को छोड़ कर सभी सीटें बीजेपी के पास थीं, जिनमें से उनको काफी नुक्सान होने के आसार हैं। अगले चार दौर में अगर वे न संभले तो बहुत मुश्किल होना तय है। इसलिए अब अपने सबसे महत्वपूर्ण कार्ड को उन्होंने चल दिया है।
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नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व को एक बेहतरीन राजनेता और एक भले आदमी के रूप में अक्षय कुमार और इंडिया टुडे इंटरव्यू ने प्रस्तुत कर दिया है। अब पार्टी नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए ओबीसी और दलितों पर फोकस करने वाली है, क्योंकि अगर वे हिन्दू न बने और देश की रक्षा के लिए आगे न आये तो नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे। ऐसी स्थिति में मायावती और अखिलेश यादव अगर अपने वोट अगले 25 दिन नहीं संभाल पाए तो उनकी हालत खराब होने वाली है। क्योंकि पिछले एक हफ्ते के घटनाक्रम को देखने वाला कोई भी जानकार बता देगा कि अब उसी सेक्टर पर बीजेपी ध्यान देने वाली है।
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