7 मई को अक्षय तृतीया पर ग्रह-गोचरों का बना है दुर्लभ संयोग। सोलह वर्षों के बाद पांच ग्रह एक साथ उच्च राशियों में करेंगे निवास, गुरु-मंगल केंद्र में होंगे। बन रहा परिजात योग। हिन्दू धर्म में वैशाख मास पुण्य मास माना जाता है। वैशाख शुक्ल तृतीया यानी अक्षय तृतीया आगामी 7 मई दिन मंगलवार को ग्रह-गोचरों के दुर्लभ संयोग में मनायी जाएगी।
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मान्यता है कि अक्षय तृतीया अबूझ मुहूर्त है तथा इस तिथि पर किया गया व्रत-दान आदि अक्षुण्ण रहता है। इस दिन स्वर्ण, धातु और अन्य शुभ वस्तुओं की खरीदारी का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान परशुराम की जयंती भी मनायी जाती है। भविष्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन से ही सतयुग एवं त्रेता युग का आरंभ और महाभारत का अंत हुआ था। इसी दिन वृन्दावन स्थित बांके बिहारी के चरण दर्शन होते हैं। सृष्टि के निर्माता बह्मा के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था।
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कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि अक्षय तृतीया पर महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी व गौरी की पूजा तथा व्रत रखती हैं। पूजा में भगवान विष्णु व लक्ष्मी को श्वेत कमल, सफेद फूल तथा कमलगट्टा अर्पण कर अक्षय पुण्य व वैभव की कामना करती हैं। पंडित झा ने कहा कि इस तिथि पर किए गए सभी शुभ कार्य अक्षय रहते हैं और उनका शुभ फल ही मिलता है। इस दिन स्नान-दान, तप और जप करने से अक्षय पुण्य मिलता है। इस तिथि पर विशेषकर व्यवसाय आदि शुरू करने से उसका नाश नहीं होता है। स्वर्ण या आभूषण की खरीदारी बेहद शुभ मानी गयी है। इससे घर में सुख-समृद्धि और लक्ष्मी का वास होता है।
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अक्षय तृतीया पर सोलह वर्ष बाद बना दुर्लभ संयोग
पंडित झा ने कहा कि हिन्दू पंचांग के अनुसार अक्षय तृतीया पर इस बार पांच बड़े ग्रहों का अद्भुत संयोग बन रहा है। ऐसा योग बेहद दुर्लभ माना जाता है। पिछली बार यह संयोग वर्ष 2003 में बना था। पंचांग के मुताबिक इस वर्ष अक्षय तृतीया पर पांच बड़े ग्रह सूर्य, शुक्र, चन्द्र, राहू और केतु अपने उच्च राशि में होंगे। इसके साथ ही गुरु-मंगल के केंद्र में रहने से परिजात योग भी बन रहा है। यह संयोग अति पुण्य फलदायी होगा। इसके साथ ही इस तिथि पर चन्द्र व मंगल के अपने नक्षत्र में रहने से महालक्ष्मी योग भी बन रहा है। जहां चन्द्रमा रोहिणी नक्षत्र में वहीं मंगल मृगशिरा नक्षत्र में रहेंगे।
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अक्षय तृतीया पर इस शुभ योग के होने से माता लक्ष्मी की असीम कृपा भक्तों पर बरसेगी। पंडित झा ने कहा कि इस तिथि पर सिद्द्योग और रवियोग होने से इसकी महत्ता और बढ़ गयी है। ज्योतिषी पंडित राकेश झा शास्त्री के मुताबिक अक्षय तृतीया पर पवित्र जल में स्नान करने एवं दान-पुण्य व व्रत करना पुण्य फलदायी माना गया है। इस तिथि पर स्वर्ण की खरीदारी तथा व्यापर आरंभ करने से कभी नाश नहीं होता है। श्रद्धालु इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके अपने पापों से मुक्त होते हैं। इसके अलावा गरीबों और जरूरतमंदों को दान किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी का आशीर्वाद और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती हैं।
पूजन व खरीदारी का शुभ मुहूर्त
- पूजा का शुभ मुहूर्त- प्रातः 05:40 बजे से दोपहर 12:17 बजे तक
- स्वर्ण व अन्य सामग्री की ख़रीदारी का मुहूर्त– सुबह 06:26 बजे से रात्रि 11:47 बजे तक
- तृतीया तिथि आरंभ- 06 मई को रात्रि 03:24 बजे से
- तृतीया तिथि समाप्त- 07 मई को रात्रि 02:20 बजे
राशि के अनुसार करे दान-पुण्य, मिलेगी समस्याओं से निजात
- मेष -हरी वस्तु या सुगन्धित वस्तु का दान करें। इससे आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।
- वृष- पीली वस्तु (जैसे-केला,सोना,दाल या गेंहू) का दान करें, इससे वैवाहिक जीवन सुखमय होगा
- मिथुन– लाल वस्तु या मीठी वस्तु का दान करें। इससे कैरियर में आने वाली बाधाओं से निजात मिलेगी।
- कर्क- काले रंग की वस्तु (जैसे- तिल या उरद की दाल) या घट का दान करें। इससे विपदाओं से छुटकारा मिलेगा
- सिंह- सफ़ेद वस्तुओं (जैसे- दूध,चावल,चीनी) या स्वर्ण का दान करें। इससे धन संपत्ति में वृद्धि होगी।
- कन्या- लाल फल,गुड़ या सत्तू का दान करें। इससे स्वभाव और पारिवारिक जीवन उत्तम होंगे।
- तुला- पीली वस्तु या पीले वस्त्र व बेल शर्बत का दान करना उत्तम होगा। इससे आर्थिक तंगी से निजात मिलेगा।
- वृश्चिक- काले वस्त्र या काली दाल का दान करें। इससे संतान सुख की प्राप्ति होगी।
- धनु- हरी या सुगंधित वस्तु व सत्तू का दान करना शुभ होगा। इससे रोजगार में विस्तार होगा।
- मकर- लाल या मीठी वस्तुओं व घटदान करना उत्तम रहेगा। इससे कर्ज से छुटकारा मिलेगा।
- कुंभ- पीली वस्तु या जलपात्र का दान शुभ होगा। इससे मानसिक समस्याओं से निजात मिलेगी।
- मीन- सफेद खाने की चीज़ (मिष्ठान्न, शर्बत आदि) का दान करना उत्तम होगा।इससे स्वास्थ्य उत्तम रहेगा।
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